गैर बासमती चावल का निर्यात 68 फीसदी बढ़ा, अन्य कृषि उत्पादों के निर्यात में भी बढ़ोतरी

भारत से गैर बासमती चावलों का निर्यात अप्रैल से जुलाई के बीच लगभग 68 फीसदी बढ़ा। दूसरे कृषि उत्पादों के निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है।

Mithilesh DharMithilesh Dhar   7 Oct 2020 4:00 AM GMT

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rice export, export of agri productभारत से गैर बासमती चावलों के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है।

कोरोना संकट के बीच भारत के कृषि उत्पादों के निर्यात में अप्रैल से जुलाई के बीच लगभग साढ़े आठ फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। गैर बासमती चावलों का निर्यात सबसे ज्यादा लगभग 68 फीसदी तक बढ़ा है।

कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) की रिपोर्ट के अनुसान अप्रैल-जुलाई 2020-21 के बीच कुल 7,770,193 मीट्रिक टन खाद्य उत्पादों का निर्यात हुआ। वर्ष 2019-20 में अप्रैल-जुलाई के बीच 6,987,325 मीट्रिक टन खाद्य उत्पादों का निर्यात हुआ था। इस तरह देखेंगे तो 11 फीसदी से ज्यादा का निर्यात बढ़ा है। वहीं अगर मूल्यों की बात करेंगे वर्ष 2019-20 इस अवधि के दौरान 38,043 करोड़ रुपए का निर्यात हुआ था जो कि इस साल 8.48 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 41,272 करोड़ रुपए पहुंच गया।

भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 के शुरुआती चार महीनों में कुल 29.9 लाख टन गैर बासमती चावलों का निर्यात किया है जो कि पिछले साल इस समय 17.8 लाख टन था। इस दौरान भारत ने कुल 8,903 करोड़ रुपए का व्यापार किया जो कि वर्ष 2019-20 के समान अवधि में 4,816 करोड़ रुपए था।

क्यों बढ़ा गैर बासमती चावल का निर्यात

इस बारे में अखिल भारतीय चावल निर्यातक संघ के कार्यकारी निदेशक विनोद कौल ने बताया, "थाइलैंड में सूखे के कारण भारतीय गैर बासमती चावलों का निर्यात बढ़ा है। थाई राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने हाल ही में 75 लाख टन के पूर्वानुमान से अपने निर्यात लक्ष्य को 2020 तक 13% घटाकर 65 लाख टन कर दिया है।"

कृषि उत्पादों के निर्यात की पूरी जानकारी (APEDA से साभार)

"भारतीय चावल थाई चावल से 100 डॉलर (7,000 रुपए से ज्यादा) प्रति टन सस्ता है। अफ्रीका में इस साल गैर बासमती चावल की मांग बहुत ज्यादा है। भारत दुनिया के 170 देशों में गैर-बासमती चावल का निर्यात करता है।" विनोद आगे कहते हैं।

साल 2020 में भारत से चावल का एक्सपोर्ट 1.4 करोड़ टन हो सकता है, जो पिछले साल 99 लाख टन था।

राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीवी कृष्णा ने इकोनॉमिक टाइम्स से बातचीत में कहा है कि गैर-बासमती चावल का निर्यात इस वित्त वर्ष में मजबूत रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, "हमें वित्त वर्ष 2020-21 में 70 लाख टन गैर-बासमती चावल निर्यात होने की उम्मीद है।"

एपीडा के अनुसार वर्ष 2018-19 के आंकड़ों पर नजर डालें तो भारत के गैर बासमती चावल का सबसे बड़ा खरीददार देश नेपाल था। उसने भारत के कुल उत्पादन का 9.28 फीसदी गैर बासमती चावल आयात किया था। इसके बाद बेनिन (8.72 %), सेनेगल (7.24 %) और गिनी (5.80 %) जैसे अफ्रीकन देश कुल उत्पादन का 21.76 फीसदी अपने यहां आयात करते हैं।

यह भी पढ़ें- अफ्रीकन बाजारों में पहुंचा चीन का चावल, भारत का निर्यात 35 % घटा, सरकार से मदद की मांग कर रहे निर्यातक

चावल निर्यात के मामले में भारत सबसे बड़ा देश है। इसके बाद दूसरे नंबर पर थाईलैंड, वियतनाम और पाकिस्तान आते हैं। इससे पहले चीन की गिनती चावल के आयतक देशों में होती थी। अफ्रीकी देश भारत के गैर बासमती चावलों के लिए सबसे बड़े बाजार रहे हैं लेकिन चीन के बाद अब भारत के सामने संकट दिख रहा है।

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