कृषि त्रासदी से निकलने का मोदीमंत्र: 'हर बूंद से लें ज्य़ादा फसलें'

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कृषि त्रासदी से निकलने का मोदीमंत्र: हर बूंद से लें ज्य़ादा फसलेंGaon Connection

नई दिल्ली। लगातार दो साल सूखा पड़ने से कृषि उत्पादन प्रभावित होने के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को देश भर के किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि पानी की हर बूंद से हमें ज़्यादा फसल उगानी होगी। उन्होंने आपदा से बचने के लिए किसानों को खेती के साथ-साथ डेयरी और पोल्ट्री जैसे कार्यों को भी करने की सलाह दी।

नई दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय ‘कृषि उन्नति मेले' का उद्घाटन करते हुए मोदी ने देश को खेती की त्रासदी से बचाने के लिए किसानों से खेती के तरीके बदलने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "जल संरक्षण के साथ-साथ जल संचयन भी महत्वपूर्ण है। हमें पानी को बर्बाद करने का अधिकार नहीं है। हर बूंद से अधिक फसल लेकर, हम पानी का अधिक से अधिक इस्तेमाल कर सकते हैं।''

वर्तमान समय में देश की लगभग 46 फीसदी ज़मीन पर ही सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं, बाकी की ज़मीन मॉनसून पर निर्भर है। लगातार अनियमित होते मौसम से लड़ने के लिए मोदी द्वारा दिया गया जल संरक्षण का सूत्र कारगर उपाय साबित हो सकता है। इस मेले में देश भर से एक लाख से ज्यादा किसानों के आने का अनुमान है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की आय वर्ष 2022 तक दोगुनी करने की दृष्टि से सरकार ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड देने और नई बीमा योजना शुर करने सहित कृषि क्षेत्र के विकास के लिए कई कदम उठाये हैं।

ताजा सरकारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2012 से जून 2013 के बीच खेती बाड़ी करने वाले परिवारों की अखिल भारतीय औसत मासिक आय 6,426 रपये थी।

प्रधानमंत्री ने पूर्वी राज्यों में आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाकर दूसरी हरित क्रांति लाने की भी आवश्यकता पर ज़ोर दिया। पूर्वोत्तर क्षेत्र की धरती को उर्वरा और पानी उपलब्धता से परिपूर्ण माना जाता है, जिस पर खेती की संभावनाओं को अभी पूरी नहीं टटोला जा सका है। कृषि उत्पादकता और आमदनी को बढ़ाने के लिए जल संरक्षण पर जोर देते हुए मोदी ने कहा कि सरकार ने ऐसी 90 सिंचाई परियोजनाओं की पहचान की है जो कि अटकी पड़ी हैं और जिनसे 80 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि सरकार सिंचाई व्यवस्था को पुख्ता बनाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।

खेती के विकास से ही सुधरेगी अर्थव्यवस्था

प्रधानमंत्री ने सकल आर्थिक विकास दर को बढ़ाने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाने पर जोर देते हुये कहा, "अगर हमें भारत को बदलना है तो हमें गाँवों को बदलना होगा और उच्च कृषि विकास दर हासिल करनी होगी।" उन्होंने कहा कि देश के समक्ष बड़ी चुनौती यह है कि किसानों को आधुनिक प्रौद्योगिकी अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाये उनके लिए लागू की जा रही योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचे।''

उन्होंने कहा कि यह मेला हजारों किसानों के बीच जागरकता पैदा करने के लिए आयोजित किया गया है। हम किसानों को आधुनिक प्रौद्योगिकी के बारे में जागरुक किये बगैर उनमें भरोसा नहीं पैदा कर पायेंगे।

प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के लिए मोदी ने सुझाव दिया कि किसानों को खेती के प्रति तीन स्तरीय रुख अपनाना चाहिये ताकि उन्हें फसल नुकसान से बचाया जा सके। उन्होंने कहा, "मौजूदा समय में किसान केवल एक ही तरीका अपनाते हैं और वह केवल''

 

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