लेडी टार्जन को देखकर भाग जाते हैं लकड़ी माफिया
Sanjay Srivastava 23 Jun 2018 12:26 PM GMT
नई दिल्ली (भाषा)। ओडिशा में जन्मी और शादी के बाद झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में बस गई जमुना टुडु तीर धनुष से लैस होकर लकड़ी माफिया से वनों को इस तरह से बचा रही है, जैसे कि वे उनके भाई की तरह हो। यहां तक कि वह अपने मुतुरखम गांव में हर रक्षाबंधन पर वनों के संरक्षण के लिए उन्हें राखी भी बांधती है।
टुडु ने इनजेंडर्ड डॉयलॉग वूमन चेंजिंग द वर्ल्ड में कहा कि वह इलाके को वनविहीन नहीं देखना चाहती। जमुना टुडु (37 वर्ष) कार्यकर्ता ने वन का बचाव करते हुए करीब दो दशक बिताए हैं। उन्होंने पांच महिलाओं के समूह के साथ 1998 में वन सुरक्षा समिति का गठन किया था। पर वन संरक्षण के उनके संकल्प को ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा।
उन्होंने याद दिलाया कि शुरुआत में विरोध हुआ लेकिन उन्होंने उन्हें मना लिया। उन्होंने उन्हें समझाया कि ईंधन के लिए लकड़ियों की जगह पेड़ों की छोटी टहनियों का भी इस्तेमाल हो सकता है। अब उनके पास ऐसे 300 से अधिक समूह हैं, हर समूह में करीब 30 लोग हैं, वे लोग माफिया से वन भूमि को बचाने के लिए काम कर रहे हैं, वे तीन पालियों- सुबह, दोपहर और शाम में काम करते हैं. वे तीन धनुष, डंडों से लैस होते हैं, उनके साथ कुत्ते भी होते हैं।
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हालांकि, जमुना टुडु को मौत की कई धमकियां भी मिली हैं, उनका घर लूट लिया गया और एक रेलवे स्टेशन के पास उन पर हमला भी हुआ था। उन्होंने यह उदाहरण पेश किया कि गांव में किसी लड़की के जन्म पर गांव की महिला 18 पौधे लगाए और लड़की की शादी पर 10 पौधे लगाए जाएं।
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