स्त्री रोग विशेषज्ञ से ही कराएं गर्भपात

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स्त्री रोग विशेषज्ञ से ही कराएं गर्भपातगाँव कनेक्शन

चिंता के मारे वो कई रातों से सोई नहीं है। हर पल परेशान है। दिल में डर सताए जा रहा कि कहीं गर्भ तो नहीं ठहर गया। दो छोटे बच्चों की मां का मन इस खयाल से भी कांप जाता है। आज भी हमारे देश में परिवार नियोजन की जि़म्मेदारी पत्नी के कन्धों पर ही है। अधिकांश घरों में पुरुष इसे महिलाओं का विभाग मानकर इस जि़म्मेदारी से बचते आए हैं।

वह देवी मैया को याद करती है। शिव जी से गुहार लगाती है। इस बार बचा ले भगवान, प्रसाद चढ़ाऊंगी। भगवान के मान मनुहार के बावजूद तारीख निकल जाती है और महीना नहीं आता। वह घबराकर भाभी, चाची आदि से राय लेती है। गुड़ खाती है, अजवाइन का पानी पीती है, रस्सी कूदती है, सीढिय़ां चढ़ती उतरती है। फिर भी महीना नहीं आता। फिर शुरू होता है दवाओं का सिलसिला, दीवारों पर रुकी माहवारी शर्तिया चालू करने वाली दवा लेती है। फिर केमिस्ट से पूछकर गोलियां लाती है। लेकिन जैसा कि विदित है, कुदरत के जमे हुए गर्भ को हटाना इतना आसान नहीं है।

इस सब मे ढाई तीन महीने गुज़र जाते हैं। अंतत: निराश होकर वह झोलाछाप डॉक्टर के पास  पहुंचती है। अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए वो जान की बाज़ी तक लगा देती है। एक कमरे में, अनट्रेंड व्यक्ति के हाथों, नए जंग लगे औज़ारों से, बिना बेहोशी व जीवन रक्षक दवाओं के, वह महिला सिर्फ एक आंकड़ा बन के रह जाती है, मातृत्व मृत्यु दर के चार्ट पर।

हमारे देश में प्रतिवर्ष 50 लाख गर्भपात होते हैं जिसमें से दो तिहाई असुरक्षित गर्भपात हैं। हर दो घंटे पर एक महिला की मृत्यु असुरक्षित गर्भपात के कारण होती है। यह मौत preventable हैं, यानि बचाई जा सकती हैं। लेकिन उस सामाजिक व्यवस्था से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं जहां एबॉर्शन जैसी जटिल व खतरनाक सर्जिकल प्रक्रिया को सफाई के नाम से जाना जाता है ।

  • ज़रुरी हो तो गर्भपात स्त्री रोग विशेषज्ञ के हाथों अस्पताल में ही कराएं।
  • जितने दिन बढ़ेंगे, खतरा भी बढ़ता जाएगा।
  • गर्भपात एक नाज़ुक शल्य क्रिया है, कोई कपड़े की सफाई करने जैसी आसान नहीं है।

 

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