यही है कश्मीर की मशहूर कांगड़ी, तस्वीरें देखिए

Sanjay SrivastavaSanjay Srivastava   21 Jan 2019 6:17 AM GMT

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यही है कश्मीर की मशहूर कांगड़ी, तस्वीरें देखिएविश्व प्रसिद्ध कांगड़ी बेचता फेरीवाला

श्रीनगर। कांगड़ी का नाम सुनकर आप चौंक जाते है और आपके चेहरे पर एक खुशी की लहर से दौड़ जाती है इसलिए नहीं कि आप उसका उपयोग करते हैं। इसलिए कि उसका प्रयोग बेहद शानदार तरीके से होता है। तस्वीरों में कांगड़ी देखिए

जरा यादों में जाए तो पाएंगे कि एक कश्मीरी व्यक्ति या महिला एक बड़ा सा चोगा पहने हुए जिसे फिरन कहते हैं, उसके अंदर कांगड़ी को रख अपना हाथ सेंकते रहते हैं। कांगड़ी एक छोटी सी अंगीठी होती है, जिसे कश्मीरी अपना शरीर गरम करने के लिए सर्दियों में प्रयोग करते हैं।

#BridalKangri #Kashmir

कांगड़ी को विकर विलो नाम के एक बांस से बनाया जाता है। यह कश्मीर में भारी मात्रा में होता है, विकर विलो का प्रयोग ढेर सारे कश्मीरी फर्नीचर बनाने में किया जाता है। जैसे टोकरी, सोफा सेट, मेज, और विश्व प्रसिद्ध कांगड़ी। विकर विलो का बीज वर्ष 1942 में लंदन से भारत पहुंचा था

कश्मीरी फर्नीचर की एक दुकान, इस दुकान में टोकरी, सोफा सेट, मेज, और विश्व प्रसिद्ध कांगड़ी है। #Kangri #Srinagar

कांगड़ी के पुराने दिन लौट आए

आजकल एक बार फिर से कांगड़ी के पुराने दिन लौट आए हैं। श्रीनगर की सड़कों पर खूबसूरत कश्मीरियों की फिरन में कांगड़ियां दिख रही हैं। पर जिसने इस पुराने दौर को वापस लाने में मदद की है वह है कश्मीर में बार-बार बिजली की आए दिन असमय कटौती। जिस वजह से इसकी मांग और भी बढ़ गई है।

कश्मीरी फर्नीचर की एक दुकान से विश्व प्रसिद्ध कांगड़ी खरीदता एक कश्मीरी। #Kangri #Srinagar #Kashmiripeople

खपच्ची में रखी गई मिट्टी की इस पारम्परिक अंगीठी का इस्तेमाल लोग खुद को गर्म रखने के लिए करते हैं। कांगड़ी की बिक्री पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुनी हो गई है। इस उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि ऐसा बिजली की आए दिन असमय कटौती के हो रहा है।

दीवार घड़ी का खाका तैयार करता कश्मीरी कारीगर। #Kangri #Srinagar #Kashmiripeople

कश्मीर में ठंड से बचने के लिए कांगड़ी का खूब इस्तेमाल होता रहा है। यह असल में एक मिट्टी का बर्तन है जिसमें कोयला डाल लिया जाता है। उसके बाद लोग उसे अपने चोगे के अंदर रख लेते हैं, इससे जीरो से भी नीचे गए तापमान में उनके शरीर को गर्मी मिलती है।

विकर विलो को फर्नीचर बनाने के लिए तैयार करने से पहले उसे उबाल कर उसकी ऊपरी परत को निकालती एक कश्मीरी महिला #Kangri #Srinagar #Kashmiripeople

कांगड़ी का कारोबार करने वाले चरार-ए-शरीफ के एक निवासी गुलाम मोहम्मद ने से कहा, अत्याधुनिक उपकरण जैसे हीटर, जो बिजली, मिट्टी के तेल या एलपीजी को ईंधन से चलते हैं, उनके आने के बाद पिछले एक दशक से हर साल कांगड़ी की बिक्री में गिरावट आ रही थी। बहरहाल, अब ईंधन के आसानी से उपलब्ध न होने के कारण लोगों ने फिर से कांगड़ी खरीदनी शुरू कर दी है।

श्रीनगर के बाहरी इलाके में सूखी व बंधी हुई विकर विलो ले जाता एक कश्मीरी। #Kangri #Srinagar #Kashmiripeople

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श्रीनगर के बाहरी इलाके में सूखी व बंधी हुई विकर विलो को जांचता हुआ। विकर विलो का प्रयोग ढेर सारे कश्मीरी फर्नीचर बनाने में किया जाता है। जैसे टोकरी, सोफा सेट, मेज, और विश्व प्रसिद्ध कांगड़ी। कांगड़ी एक पारम्परिक आग तापने की टोकरी होती है। कांगड़ी कश्मीरियों का एक महत्वपूर्ण अंग था। विकर विलो का बीज वर्ष 1942 में लंदन से भारत पहुंचा था। #Kangri #Srinagar #Kashmiripeople

श्रीनगर सहित कश्मीर के कई इलाकों में प्रति दिन छह से 12 घंटे बिजली कटौती हो रही है और प्रति वर्ष हर घर में सब्सिडी वाले केवल 12 सिलेंडर ही दिए जाते हैं। मोहम्मद ने कहा कि उपरोक्त कारणों के चलते भी कांगड़ी की बिक्री में बढ़ोतरी हुई है।

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