किसान ने प्‍याज बेचकर पीएम को भेजा था 1064 रूपए, अब नितिन गडकरी को कृषि मंत्री बनाने की कर रहा मांग

पिछले साल एक नासिक के किसान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी प्याज की फसल को बेचकर उसका पैसा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) मनी ऑर्डर कर दिया था। उसी किसान अब नितिन गडकरी को कृषि मंत्री बनाने का आग्रह किया है।

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किसान ने प्‍याज बेचकर पीएम को भेजा था 1064 रूपए, अब नितिन गडकरी को कृषि मंत्री बनाने की कर रहा मांग

लखनऊ। पिछले साल एक नासिक के किसान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी प्याज की फसल को बेचकर उसका पैसा प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) मनी ऑर्डर कर दिया था। उसी किसान अब नितिन गडकरी को कृषि मंत्री बनाने का आग्रह किया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार किसान का नाम संजय साठे है, उसने प्रधानमंत्री मोदी को एक पार्सल भेजा है, जिसमें एक गांधी टोपी, दो सफेद सूती रूमाल और एक पत्र है। साठे ने इस पत्र में प्रधानमंत्री को लोकसभा चुनाव जीतने पर शुभकामनाएं दी है।

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रिपोर्ट में साठे ने बताया कि मैं यहां की परंपरा के मुताबिक प्रधानमंत्री को बधाई देना चाहता हूं। मैंने उन्हें सफेद टोपी, दो लंबा रूमाल भी भेजा हैं। साथ ही नितिन गडकरी को कृषि मंत्री बनाने की बात कही है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार साठे ने 750 किलो प्याज बेचकर, उससे मिले 1064 रुपये विरोध स्वरूप प्रधानमंत्री को मनीऑर्डर कर दिया था। हालांकि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने साठे के मनीआर्डर को लौटा दिया था।

भारत दुनिया में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा प्याज उत्पादक देश है। कृषि उत्पादों के निर्यात पर नजर रखने वाली सरकारी एजेंसी एपीडा के मुताबिक देश में प्याज की फसल दो बार आती है। पहली बार नवम्बर से जनवरी तक और दूसरी बार जनवरी से मई तक। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्याज होता है करीब 30 प्रतिशत।

इसके बाद कर्नाटक 15 प्रतिशत उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर है। फिर आता है मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात का नंबर। 2015-16 में देश में 2.10 करोड़ टन प्याज का उत्पादन हुआ था। वहीं 2016-17 में करीब 1.97 करोड़ टन। लेकिन सच्चाई यह भी है कि कीमत न मिलने से प्याज के रकबे में कमी भी आ रही है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2015-16 में 13,20,000 हेक्टेयर में प्याज उगाया गया था। 2016-17 में गिरकर 13,06,000 हेक्टेयर हो गया। जबकि 2017-18 में यह और घटकर 11,96,000 हेक्टेयर तक पहुंच गया।

2014 में जब देश में भाजपा की सरकार बनी तो उन्होंने कीमतों पर नियंत्रण के लिए मूल्य स्थिरीकरण फंड (पीएसएफ) बनाया। इसके तहत तीन सालों के लिए 500 करोड़ का कार्पस फंड बनाया गया। इस योजना में होना यह था कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों को फंड देती ताकि वे बाजार के मामलों में दखल दे सकें। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सरकार का यह फैसला भी उपभोक्ताओं को ध्यान में रखकर लिया गया था।

फरवरी 2018 में देश का बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ऑपरेशन फ्लड की तर्ज पर 'ऑपरेशन ग्रीन' चलाने की घोषणा की थी। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टॉप प्रायोरिटी (टोमैटो, ओनियन, पोटैटो) का नारा दिया। सरकार की मंशा प्याज, आलू और टमाटर किसानों को राहत देने की थी। योजना थी कि प्याज को तब तक भंडारित रख जायेगा जब तक उसकी कीमत बढ़ती नहीं, लेकिन योजना जमीन पर कहीं नहीं दिखती।



  

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