सावधान: समय रहते पहचानें हार्ट अटैक के लक्षण
गाँव कनेक्शन | Nov 29, 2016, 18:04 IST
स्वयं डेस्क
लखनऊ। जहां पहले दिल की बीमारी सिर्फ उम्र बढ़ने के साथ होती थी अब ये बदलती जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी है। दिल की बीमारी काफी गंभीर है और यह कई रूप ले सकती है। ख़ासतौर से युवा लोगों में, मृत्यु का पहला कारण हार्ट अटैक या स्ट्रोक है।
भारतीय हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, “50 प्रतिशत हार्ट अटैक भारतीय पुरुषों में 50 साल तक की उम्र में आते हैं और 25 प्रतिशत हार्ट अटैक भारतीय पुरुषों में 40 साल तक की उम्र में आते हैं।”
ज़्यादातर मामलों में हृदय को ब्लड पहुंचाने के लिए जिम्मेदार ब्लड वेसल (वाहिका) में खून के थक्के जम जाते हैं, उससे हार्ट अटैक होता है। दिल की बीमारी पुरुषों में होने वाली बीमारी के रूप में जानी जाती रही है। यह शायद पिछले अध्ययनों से पता लगा है कि महिलाओं में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है। यह ब्लड वेसल को लचीला रखने के लिए जाना जाता है, ताकि वे आसानी से काम कर सकें और ब्लड के प्रवाह को उसी के अनुरूप बढ़ाने में मदद करती हैं। जीवनशैली में आने वाले बदलावों के चलते महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही इसका खतरा बढ़ रहा है।
डॉ. प्रवीण शर्मा, ह्दय रोग विशेषज्ञ
हार्ट अटैक का सबसे सामान्य लक्षण छाती के बीच में तेज और दबाव वाला दर्द होना है, जो कि शरीर के बायीं ओर होता है, ख़ासतौर से बायें हाथ, कमर और दो कंधों के बीच में इसका दर्द होता है। यही नहीं, कई बार दर्द ठोड़ी (चिन) और जबड़े तक में आ जाता है। व्यक्ति को बहुत ज़्यादा पसीना आने लगता है। इस स्थिति को मेडिकल में डाइफरीसिस (पसीना) के रूप में जाना जाता है। नर्वस सिस्टम के ज़्यादा सक्रिय होने के कारण पसीना आता है।
जब व्यक्ति तेज़ दर्द का अनुभव करता है, तो कुछ हार्मोन्स निकलते हैं, ब्लड प्रेशर और हृदय दर ऊपर चली जाती है और इससे पसीना आता है। डॉ शर्मा के अनुसार, डायबिटीज़ पीड़ित मामलों में तेज़ दर्द की बजाय पसीना आना, दिमाग का हल्का लगना और कुछ सेकेंड के लिए अंधेरा छा जाना आदि ज़्यादा सामान्य लक्षण हैं। पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द और जलन से बैचेनी होती है, जिससे व्यक्ति कई बार एसिडिटी और दिल में चुभन के साथ कंफ्यूज हो जाता है। थकान, पीलापन, चिंता आदि कुछ अन्य चिन्ह हैं।
दिल की धड़कन जाने बिना थम्पिंग और पंपिग (दबाव और जबरदस्ती) करने से परहेज करना चाहिए। पीड़ित को ऐसे में कुछ खिलाने की कोशिश न करें। एसि्प्रन ब्लड क्लॉट रोकने में मदद करती है लेकिन एसि्प्रन सभी लोगों के लिए नहीं है। इसे इस्तेमाल करने के कुछ सुझाव हैं। यह तब मदद कर सकती है, जब इसकी जरूरत हो लेकिन अगर डॉक्टर की बिना सलाह लिए इसे दिया जाए, तो यह बहुत हानिकारक हो सकती है।
यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि बहुत-सी जान बचाने वाली दवाएं हार्ट अटैक से निपटने में मदद करती हैं, लेकिन उन्हें पहले लक्षण दिखने के एक से दो घंटे के बीच ले लिया जाए इसलिए कई स्थिति में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। शुरुआती लक्षण पहचान कर उस पर काबू पा लेना कई जान बचाने में मदद कर सकता है।
This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).
लखनऊ। जहां पहले दिल की बीमारी सिर्फ उम्र बढ़ने के साथ होती थी अब ये बदलती जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी है। दिल की बीमारी काफी गंभीर है और यह कई रूप ले सकती है। ख़ासतौर से युवा लोगों में, मृत्यु का पहला कारण हार्ट अटैक या स्ट्रोक है।
भारतीय हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, “50 प्रतिशत हार्ट अटैक भारतीय पुरुषों में 50 साल तक की उम्र में आते हैं और 25 प्रतिशत हार्ट अटैक भारतीय पुरुषों में 40 साल तक की उम्र में आते हैं।”
ज़्यादातर मामलों में हृदय को ब्लड पहुंचाने के लिए जिम्मेदार ब्लड वेसल (वाहिका) में खून के थक्के जम जाते हैं, उससे हार्ट अटैक होता है। दिल की बीमारी पुरुषों में होने वाली बीमारी के रूप में जानी जाती रही है। यह शायद पिछले अध्ययनों से पता लगा है कि महिलाओं में एस्ट्रोजन नामक हार्मोन उन्हें सुरक्षा प्रदान करता है। यह ब्लड वेसल को लचीला रखने के लिए जाना जाता है, ताकि वे आसानी से काम कर सकें और ब्लड के प्रवाह को उसी के अनुरूप बढ़ाने में मदद करती हैं। जीवनशैली में आने वाले बदलावों के चलते महिलाओं और पुरुषों दोनों में ही इसका खतरा बढ़ रहा है।
अक्सर, हार्ट अटैक के केस में देखा गया है कि जानकारी की कमी के कारण इस स्थिति से निपटने में देर हो जाती है, जो हृदय को होने वाले नुकसान को बढ़ा देती है और कई मामलों में जानलेवा भी साबित हो जाती है।
लक्षण की पहचान
जब व्यक्ति तेज़ दर्द का अनुभव करता है, तो कुछ हार्मोन्स निकलते हैं, ब्लड प्रेशर और हृदय दर ऊपर चली जाती है और इससे पसीना आता है। डॉ शर्मा के अनुसार, डायबिटीज़ पीड़ित मामलों में तेज़ दर्द की बजाय पसीना आना, दिमाग का हल्का लगना और कुछ सेकेंड के लिए अंधेरा छा जाना आदि ज़्यादा सामान्य लक्षण हैं। पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द और जलन से बैचेनी होती है, जिससे व्यक्ति कई बार एसिडिटी और दिल में चुभन के साथ कंफ्यूज हो जाता है। थकान, पीलापन, चिंता आदि कुछ अन्य चिन्ह हैं।
अटैक आने पर ये करें
- हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले मेडिकल हेल्प के लिए कॉल करना चाहिए, क्योंकि कई बार व्यक्ति अपने ही तरीकों से इससे निपटने की कोशिश करता है, जिससे स्थिति और भी खराब हो जाती है।
- व्यक्ति को सीधा लेटने के लिए कहें और उसके कपड़ों को ढीला कर दें।
- हवा आने की जगह छोड़ दें और व्यक्ति को कुछ लंबे सांस लेने के लिए कहें।
- पल्स चेक करें। कलाई की पल्स चेक करने से अच्छा है, गर्दन की साइड की पल्स चेक करें। जब ब्लड प्रेशर कम होता है तो कलाई की पल्स गायब हो सकती है, इसलिए गर्दन की पल्स चेक करना सही रहता है।
- अगर व्यक्ति को सांस नहीं आ रही, तो उसे ऑक्सीजन देने की कोशिश करें।
- अगर पीड़ित को उबकाई आ रही है, तो उसे एक तरफ मुड़कर उल्टी करने को बोलें, ताकि शरीर के अन्य भागों जैसे लंग्स आदि में न जा सके।
- पीड़ित के दोनों पैरों को उठा दें, ताकि हृदय तक ब्लड सप्लाई को सही किया जा सके।
हार्ट अटैक के दौरान क्या न करें
यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि बहुत-सी जान बचाने वाली दवाएं हार्ट अटैक से निपटने में मदद करती हैं, लेकिन उन्हें पहले लक्षण दिखने के एक से दो घंटे के बीच ले लिया जाए इसलिए कई स्थिति में समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। शुरुआती लक्षण पहचान कर उस पर काबू पा लेना कई जान बचाने में मदद कर सकता है।
This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).