पीलिया से बचने के लिए सफाई का रखें ध्यान
Shrinkhala Pandey | Sep 11, 2017, 15:20 IST
पीलिया को साइलेंट किलर कहा जाता है, ये आदमी को धीमी मौत मारती है.. अगर समय रहते इस पर काबू न पाया जाए तो जानलेवा साबित हो सकता है ये रोग
लखनऊ। पीलिया ऐसा रोग है जो एक विशेष प्रकार के वायरस और किसी कारणवश शरीर में पित्त की मात्रा बढ़ जाने से होता है। यह पहले लिवर में और वहां से सारे शरीर में फैल जाता है। इसमें रोगी को पीला पेशाब आता है। उसके नाखून, त्वचा एवं आंखों का सफेद भाग पीला पड़ जाता है। इस बीमारी के लक्षण, कारण और उपाय के बारे में विवेकानंद पॉलीक्लीनिक के जनरल फीजिशियन डॉ अमित अस्थाना बता रहे हैं--
त्वचा और आंखों के सफेद भाग का पीला हो जाना इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण है। ऐसा बिलिरुबिन का स्तर गिरने के कारण होता है, जो कि एक ऐसा पिगमेंट हैं जो लीवर में लाल रक्त कोशकिाएं नष्ट होने से पैदा होती हैं। इसमें यूरीन का रंग गहरा हो जाता है। कभी कभार पेट में दर्द भी होता है। आमतौर पर ये दर्द पेट के दाहिने तरफ होता है। इसमें उल्टी और मतली की शिकायत भी हो सकती है।
पीलिया Viral Hepatitis नामक वायरस से होने वाला रोग है, जो इस रोग से पीड़ित रोगी के मल के संपर्क में आए हुए दूषित जल, कच्ची सब्जियों आदि से फैलता है। इसके अलावा शरीर में अम्लता की वृद्धि, बहुत दिनों तक मलेरिया रहना, पित्त नली में पथरी अटकना, ज्यादा शराब पीना, अधिक नमक और तीखे पदार्थो का सेवन, खून में रक्तकणों की कमी के कारण भी होता है।
खाना बनाने, परोसने, खाने से पहले व बाद में और शौच जाने के बाद में हाथ साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए। भोजन जालीदार अलमारी या ढक्कन से ढक कर रखना चाहिए, ताकि मक्खियों व धूल से बचाया जा सकें। ताजा भोजन करें दूध व पानी उबाल कर काम में लें।
ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के लिए साफ पानी नल या हैण्डपम्प से ही लें। मल, मूत्र, कूड़ा करकट को सही स्थान पर गढ्ढा खोदकर दबा दें। स्वच्छ शौचालय का ही प्रयोग करे। रक्त देने वाले व्यक्तियों की पूरी तरह जांच करने से बी प्रकार के पीलिया रोग के रोगवाहक का पता लग सकता है।
रोग से बचने के लिए पानी उबालकर पिएं। चलते-फिरते रहने से वायरस का दुष्प्रभाव लिवर पर ज्यादा पड़ता है। इसलिए रोगी को कम से कम चलना-फिरना चाहिए। इस रोग में लिवर कोशिकाओं में ग्लाइकोजन और रक्त प्रोटीन की मात्रा घट जाती है। इसलिए कोई हल्का प्रोटीन भोजन, जैसे मलाईरहित दूध या प्रोटीनेक्स आदि लेना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह से भोजन में प्रोटीन और कार्बोज वाले प्रदार्थो का सेवन करना चाहिए। नींबू, संतरे तथा अन्य फलों का रस भी इस रोग में गुणकारी होता है। वसा युक्त गरिष्ठ भोजन का सेवन इसमें हानिकारक है। चावल, दलिया, खिचड़ी, उबले आलू, शकरकंदी, चीनी, ग्लूकोज, गुड़, चीकू, पपीता, छाछ, मूली आदि कार्बोहाडे्रट वाले पदार्थ हैं, इनका सेवन करना चाहिए।
लक्षण
प्रमुख कारण
रोग की रोकथाम एवं बचाव
ग्रामीण क्षेत्रों में पीने के लिए साफ पानी नल या हैण्डपम्प से ही लें। मल, मूत्र, कूड़ा करकट को सही स्थान पर गढ्ढा खोदकर दबा दें। स्वच्छ शौचालय का ही प्रयोग करे। रक्त देने वाले व्यक्तियों की पूरी तरह जांच करने से बी प्रकार के पीलिया रोग के रोगवाहक का पता लग सकता है।
रोग से बचने के लिए पानी उबालकर पिएं। चलते-फिरते रहने से वायरस का दुष्प्रभाव लिवर पर ज्यादा पड़ता है। इसलिए रोगी को कम से कम चलना-फिरना चाहिए। इस रोग में लिवर कोशिकाओं में ग्लाइकोजन और रक्त प्रोटीन की मात्रा घट जाती है। इसलिए कोई हल्का प्रोटीन भोजन, जैसे मलाईरहित दूध या प्रोटीनेक्स आदि लेना चाहिए।