सस्ते दामों में आम बेचने को मजबूर किसान

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सस्ते दामों में आम बेचने को मजबूर किसानgaonconnection

लखनऊ। लगातार आंधी आने से किसानों को इस बार आम की फसल में काफी नुकसान हुआ है। इसके चलते किसानों को जल्दी-जल्दी अपने बागों में फले आम को मण्डी में लाकर बेचना पड़ रहा है, जबकि मण्डी में पहले से ही आम का स्टाॅक इतना ज्यादा है कि आम सस्ते दामों पर बिक रहा है। 

जिला मुख्यालय से 30 किमी दूर स्थित मलिहाबाद और माल मंडी आम बिकने शुरू हो गए हैं। फलपट्टी क्षेत्र का लगभग 40 प्रतिशत आम टूटकर मंडी में बिकने आ चुका है। वहीं बाहर की मंडियो में आम की मांग कम होने के कारण किसानों का आम किसी तरह से बेचा जा रहा है।

मलिहाबाद मंडी में देश के हर प्रदेश से आम को खरीदने के लिए व्यापारी आते हैं। लेकिन इस बार सिर्फ मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, बिहार प्रदेशों के ही व्यापारी अभी तक आए हैं। मंडी में व्यापारियों की कमी के चलते आम बिक्री प्रभावित हो रही है। मलिहाबाद मंडी के आढ़ती संतोष कुमार बताते है, “अलग-अलग प्रदेश के व्यापारी आम खरीदने के लिए आते हैं। लेकिन इस बार कुछ प्रदेशों से ही व्यापारी आम खरीदने के लिए आए हैं। व्यापारियों की मारामारी होने से आम बहुत कम दामों में बिक रहा है।” माल क्षेत्र के व्यापारी छोटा बताते हैं,

“मैंने अपना आम लगभग 40 प्रतिशत तुड़वा लिया है लेकिन मलिहाबाद मंडी में भेजा गया आम दो दिनो से मंडी में लगा है लेकिन अभी तक बिका नहीं है, जिससे मंडी में लगा आम खराब हो रहा है। इससे मेरा बहुत नुकसान हो रहा है।”

सरकार की उपेक्षा का शिकार दशहरी अाम

मलिहाबाद (लखनऊ)। दशहरी आम बाजार में आ गई है। लेकिन मण्डी में बिक्री के लिए मौजूद कच्ची दशहरी का उचित मूल्य बागवानों को नहीं मिल पा रहा है, जिसके लिए बागवानों ने सरकार पर उपेक्षा का आरोप लगाया है।

आम बागवान रितेन्द्र यादव (45 वर्ष) बताते हैं, “तेज गर्मी और जमीन में सूखापन होने के कारण डाल में लगी दशहरी अब तेजी से पकना शुरू हो जाएगी। 15 जून के आसपास डाल की पकी दशहरी मण्डियों में भारी तादाद मे बिक्री के लिए आ जाएगी।” कच्ची दशहरी की टूट बागों मे तेजी से शुरू हो गई है। 

कच्ची दशहरी मण्डी मे औसतन 200 रूपया प्रति पेटी व 1900 रूपया प्रति कुन्टल की दर से बिक रही है। इसके भाव अभी बढ़ने की संभावनाएं हैं। पिछले सप्ताह बागों से हुई टूट की पहुंची दशहरी पूरी तरह से परिपक्व न होने के कारण व्यापारियों के गोदामों में अपना वास्तविक रंग नहीं दे पाई। 

इसके अलावा लगातार 3 दिन आई आंधी में गिरा हुआ आम मण्डियों में पट गया था। इस कारण दशहरी आम के भाव नहीं बढ़ सके। 

अब पूरी तरह से तैयार दशहरी बाजार में आ रही है और इसके दाम बढ़ने की भी पूरी संभावना है। वहीं इस बार गर्मी के कारण आम की क्वालिटी पर भी असर दिखा है।  बागवान विमल कुमार ने बताया, “पेड़ों मे जो दशहरी पकना शुरू हुई है वह अपने पूरे लाजवाब स्वाद पर नहीं है। 

गर्मी और सूखापन के कारण आम मे स्वाद की कमी के साथ रंग रूप मे भी कमी है। थोड़ी बरसात होने के बाद पकने वाली दशहरी अपने पूरे सबाब पर आएगी।” 

पेड़ों से टूट रही कच्ची दशहरी स्थानीय मण्डी के अलावा गोरखपुर, इटावा, मेरठ, पंजाब हरियाणा, मुम्बई, दिल्ली, इलाहाबाद, मुजफ्फरनगर और कानपुर आदि मण्डियों मे बिक्री के लिए डीसीएम और ट्रकों में भरकर सड़क मार्ग से बिक्री के लिए जा रही है। 

नहीं मिल रहा आम का सही मूल्य

स्थानीय मण्डी मे दशहरी का सही मूल्य बागवानों को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि यहां प्रति पेटी की दर से खर्च ज्यादा है। मण्डी मे आम पहुंचने पर आढ़ती आम उत्पादक से 6 रुपए और खरीददार से 6 रुपए प्रति पेटी की दर से कमीशन वसूलते हैं। मण्डी तक लाने में 6 रुपए  प्रति पेटी का किराया लगने के साथ वाहन से पेटी उतारने के लिए 2 रुपए  प्रति पेटी पल्लेदारी अदा करनी पड़ती है। खाली पेटी 22 रुपए  की दर से बागवानों खरीद रहे हैं। इसके अतिरिक्त मण्डी समिति द्वारा अलग से शुल्क वसूला जा रहा है। बागवान रमेश बताते हैं, “पिछले वर्षों से यहां मण्डी बनाने का कार्य शुरू हुआ था, जो आज तक पूरा नहीं हो सका। आढ़ती अपनी दुकानें लोक निर्माण विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा कर सजाए हैं।” 

रिपोर्टर - सतीश कुमार सिंह/सुरेंद्र कुमार

 

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