चुनाव ड्यूटी के बाद अब शिक्षकों पर वार्षिक परीक्षाओं की जिम्मेदारी 

Meenal TingalMeenal Tingal   3 March 2017 10:10 AM GMT

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
चुनाव ड्यूटी के बाद अब शिक्षकों पर वार्षिक परीक्षाओं की जिम्मेदारी बाल गणना, बीएलओ और निर्वाचन की ड्यूटी के बाद अब परिषदीय स्कूलों में वार्षिक परीक्षाओं को सम्पन्न कराने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है।

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। बाल गणना, बीएलओ और निर्वाचन की ड्यूटी के बाद अब परिषदीय स्कूलों में वार्षिक परीक्षाओं को सम्पन्न कराने की जिम्मेदारी शिक्षकों पर है। परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों की वार्षिक परीक्षाएं 18 मार्च से शुरू होंगी जो कि 21 मार्च को समाप्त होंगी। 24 से 26 मार्च तक कापियां जांचने की प्रक्रिया चलेगी। अगले क्रम में 27 से 29 मार्च तक रिजल्ट तैयार किए जाएंगे और 30 मार्च को रिजल्ट जारी किया जाएंगे, जिससे पहली अप्रैल से परिषदीय स्कूलों का शिक्षा सत्र व दाखिले की प्रक्रिया शुरू की जा सके।

शिक्षा से जुड़ी खबरों के लिए यहां क्लिक करके इंस्टॉल करें गाँव कनेक्शन एप

प्राथमिक विद्यालय माधवपुर के बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षामित्र शिव किशोर द्विवेदी (38 वर्ष) बताते हैं, “पहले भी परीक्षाएं सम्पन्न करवाने की जिम्मेदारी निभाते रहे हैं, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव होने के कारण जिम्मेदारियां काफी बढ़ गयीं। पहले बीएलओ की ड्यूटी की, फिर निर्वाचन सम्पन्न करवाने की जिम्मेदारी निभायी। साथ में बच्चों को स्कूल में पढ़ाने की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ी। अब स्कूल में वार्षिक परीक्षाएं सम्पन्न करवाने की जिम्मेदारी निभानी है। परीक्षाओं से पहले बच्चों को स्कूल का काम पूरा करवाना है। फिर परीक्षा की तैयारी करवानी है और इसके बाद परीक्षाओं को संचालित करवाना है। फिर रिजल्ट और फिर नये शैक्षिक सत्र भी शुरू होना है, बहुत तनाव की स्थिति है।”

बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारियों के साथ अन्य कई तरह के कार्यों को सम्पन्न करवाने की जिम्मेदारी निभा रहे शिक्षक व शिक्षामित्र बेहद तनाव और परेशानी में हैं। जिनके जिलों में विधानसभा चुनाव सम्पन्न हो चुके हैं वह अभी तक अपनी थकान नहीं मिटा पाए हैं। पढ़ाने की जिम्मेदारी तो जारी है ही, अब परीक्षाओं को पूरा करवाने की जिम्मेदारी का बोझ भी उठाना है। जहां चुनाव अभी होने बाकी हैं वहां शिक्षकों की जिम्मेदारी कुछ ज्यादा ही बढ़ने वाली है।

प्राथमिक विद्यालय खानपुर के इंचार्ज अध्यापक देवेन्द्र कुमार मिश्रा (40 वर्ष) कहते हैं, “पिछले छह महीने से बीएलओ की जिम्मेदारी निभा रहा हूं, रविवार को भी छुट्टी नहीं मिल पाती। इसके साथ ही स्कूल में पढ़ाने की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ती है। बीएलओ की ड्यूटी 15 मार्च को खत्म होगी और 18 मार्च से स्कूल में वार्षिक परीक्षाएं हैं, जिसकी तैयारी अभी से करवानी है। परीक्षाएं 21 मार्च को सम्पन्न होंगी और फिर कापियां जांचनी होंगी और इसके बाद रिजल्ट बनाना और नये शैक्षिक सत्र में दाखिले करने की जिम्मेदारी। सब कुछ बड़ा मुश्किल सा है। छुट्टी के दिन तक आराम नहीं मिल पाता, लेकिन कर भी क्या सकते हैं। सरकारी नौकरी कर रहे हैं तो सरकार जो चाहेगी वह काम तो करने ही पड़ेगे, लेकिन हम लोगों के बारे में सरकार को सोचना चाहिये।”

इस बार जिम्मेदारी जब शिक्षकों को पिछले वर्षों की अपेक्षा अधिक लग रही है तो शिक्षिकाओं के लिए तो कुछ और मुश्किल होना लाजमी है। बाकी सारी जिम्मेदारियों के साथ उनको घर की जिम्मेदारी भी निभानी पड़ रही है।

हर हाल में शैक्षिक सत्र अप्रैल में शुरू करना है इसलिए परीक्षाओं को समय से सम्पन्न कराना ही पड़ेगा। साथ ही 30 मार्च तक रिज्ल्ट भी जारी करना होगा, जिससे एक अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू किया जा सके।
महेन्द्र सिंह राणा, मण्डल सहायक निदेशक

क्या कहती हैं शिक्षिका

प्राथिमिक विद्यालय इचौली, रायबरेली की शिक्षिका भानुमती शुक्ला कहती हैं, “घर की जिम्मेदारी तो निभानी ही है चाहे जो भी दिक्कत सामने आएं। उसी तरह चुनाव में ड्यूटी की जिम्मेदारी भी पूरी कर ली है क्योंकि काम जरूरी था, लेकिन परेशानी बहुत आयी, तनाव भी रहा। अब परीक्षा करवानी है साथ ही उन बच्चों को भी स्कूल तक लाने की जिम्मेदारी पूरी करनी है जिन बच्चों के परीक्षा देने की संभावना नहीं है। बाकी कामों के साथ बच्चों और उनके अभिभावकों को भी समझाने की जिम्मेदारी निभानी है, जिससे परीक्षा के महत्व को समझते हुए बच्चे परीक्षा में भाग ले सकें।”

ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.