तिल की खेती कर रहे किसानों के चेहरे मुरझाए 

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तिल की खेती कर रहे किसानों के चेहरे मुरझाए तिल की खेती कर रहे किसानों के चेहरे मुरझाए

सत्येंद्र चौधरी (कम्यूनिटी जर्नलिस्ट), कक्षा: 12, स्कूल: बाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

रायबरेली। अचानक मौसम में नमी आने और ठंडी हवाओं के कारण लोगों को गर्मी से राहत तो मिली है, पर बरसात ने तिल की खेती कर रहे किसानों को काफी नुकसान पहुंचाया है।

सतांव ब्लॉक के अलीपुर आईमा गाँव के किसान राम लखन चौधरी को इस बार अपने आधे एकड़ खेत में बोई गई तिल की फसल से महज़ 500 किग्रा तिल्ली ही मिली है। यह उनके व्दारा बोई गई फसल की आधी उपज है। रामलखन बताते हैं, ''तिल्ली की अच्छी फसल के लिए यह बेहद ज़रूरी है कि मौसम में नमी न के बराबर हो, लेकिन इस बार क्षेत्र में बारिश बहुत हुई है। इसलिए तिल्ली की खेती कर रहे किसानों को बहुत नुकसान सहना पड़ रहा है।'' वे आगे बताते हैं, “पिछले वर्ष आधे एकड़ खेत से एक कुंतल तिल्ली की पैदावार मिली थी पर इस साल पानी गिरने से फसल आधी रह गई।''

वर्तमान समय में रायबरेली जिले के लालगंज, सतांव और डलमऊ जैसे ब्लॉकों में सैकड़ों एकड़ में तिल्ली की खेती की जाती है। क्षेत्र में बोई जा रही तिल्ली लखनऊ, बांदा, फैजाबाद, सीतापुर और कानपुर की बड़ी मंडियों में जाती है। पांच वर्षों से लालगंज ब्लॉक के गेगासो गाँव में तिल्ली की खेती कर रहे किसान कुलदीप सिंह (45 वर्ष) बताते हैं,“मैनें इस बार लगभग एक एकड़ में तिल्ली लगाई थी पर बीच में बारिश हो गई जिससे बहुत घाटा झेलना पड़ रहा है। ऐसे किसान जो तिल्ली काट कर इस समय अपने घरों में सुखा रहे हैं उन्हें अच्छी पैदावार मिली है मगर जिनकी तिल्ली इस समय कट रही है, उन्हें भारी नुकसान हो सकता है।''

इस समय तिल्ली का बाज़ार भाव लगभग 40 से 45 रूपए प्रति किलो की दर चल रहा है। एक एकड़ क्षेत्रफल से लगभग एक से डेढ़ कुंतल तिल्ली का उत्पादन हो जाता है, जो चार से पांच हज़ार रुपए तक बिकती है।

"This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org)."

     

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