हमें मूर्तियां देखने में अच्छी लग सकती हैं मगर वे ऑक्सीजन नहीं देतीं: पेड़ वाले बाबा

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हमें मूर्तियां देखने में  अच्छी लग सकती हैं मगर वे ऑक्सीजन नहीं देतीं: पेड़ वाले बाबापेड़ वाले बाबा 

आनंद कुमार- कम्यूनिटी जर्नलिस्ट उम्र- 28 वर्ष

बाराबंकी। “पेड़-पौधे हैं तो जीवन है, किसी की याद में लगाई गईं पत्थर की मूर्तियां देखने को अच्छी लग सकती है लेकिन वो जिंदगी देने वाली आक्सीजन कभी नहीं दे पाएंगी। इसलिए ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाओ।” ये बातें एक स्कूल में पौधरोपड़ कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए पेड़ वाले बाबा के नाम से मशहूर मनीष तिवारी ने कहीं।

बाराबंकी जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर बंकी स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में पेड़ वाले बाबा उर्फ मनीष तिवारी ने वृक्षारोपण कर वृक्षों के महत्व के विषय में छात्राओं को जानकारी दी। बाबा ने बताया कि पेड़ है तभी जीवन है। उन्होंने कहा कि किसी स्मृति मे पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के बजाय पारिजात, इमली, पीपल, पाकड़, बरगद, बेल, आंवला, गूलर, कटहल, अशोक, बड़हल, जामुन, अर्जुन एवं कदम्ब आदि के वृक्ष लगाये तो बेहतर होगा। उन्होंने रामायण समेत दूसरे धार्मिक ग्रंथों का हवाला देते हुए छात्राओं को न सिर्फ पेड़ों-पौधों का महत्व समझाया बल्कि उन्हें लगाने के लिए प्रेरित भी किया।

प्रकृति अपने आप से पेड़ लगाती रहती है, कोई बीज कहीं गिरता है तो बाद में पेड़ बनता है हमें चाहिए बस हम उसकी रक्षा करें। अगर हम धरती में उगे पौधों की रक्षा करने में सफल रहे तो पेड़ लगाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।
राजेन्द्र त्रिपाठी, विद्यालय के स्काउट अध्यापक

इस दौरान छात्राओँ ने अपने हर जन्मदिन पर एक पेड़ लगाने का संकल्प लिया। कस्तूरबा विद्यालय की वार्डेन पूनम मिश्रा ने बताया, पेड़ वाले बाबा के सहयोग से वो आगे भी इस तरह के आयोजन करती रहेंगी ताकि विद्यालय में ज्यादा से ज्यादा हरियाली रहे और परिसर सुंदर दिखे।इस मौके पर जिला गाइड कैप्टन रितु अग्निहोत्री एवं विद्यालय का पूरा स्टाफ उपस्थित था।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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