10 किमी दूर कैसे पढ़ने जाएं बच्चे, गाँव में नहीं है आवागमन का साधन

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10 किमी दूर कैसे पढ़ने जाएं बच्चे, गाँव में नहीं है आवागमन का साधनबटटाह गाँव में आज भी ग्रामीण विकास की आस लगाए बैठे हैं।

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: पिंकी पाल

कक्षा-बीएससी द्वितीय वर्ष, सिद्धार्थ महाविद्यालय,भटौरा औरैया।

(बिधूना) औरैया। एक ओर जहाँ लोग समय बचाने के लिये हाइटेक युग की उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, वहीं कुछ गांव ऐसे भी हैं, जिन पर आवागमन के लिये कोई साधन नही है। यातायात के साधन के अभाव में ग्रामवासी साइकिल से यात्रा करने को मजबूर हैं।

बिधूना से 10 किलोमीटर दूर

विकासखण्ड बिधूना के ग्राम पंचायत सबहद का बटटाह गाँव आज भी अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रहा है। बिधूना से इस गाँव की दूरी करीब 10 किलोमीटर है, लेकिन बिधूना तक पहुंचने के लिये कोई भी साधन नहीं है। ऐसे में मजबूर होकर ग्रामीणों को साइकिल से 10 किलोमीटर का यह सफर तय करना पड़ रहा है। इस ओर न तो शासन प्रशासन का ध्यान है और न ही किसी जनप्रतिनिधि का।

मजबूरन साइकिल से तय करते हैं रास्ता

इस गाँव में रहने वाली दीक्षा का कहना है कि गाँव से बिधूना तक कोई भी साधन न चलने से बाजार और स्कूल के लिए साइकिल से 10 किलोमीटर का यह लम्बा रास्ता तय करना पड़ता है। वो आगे बताती हैं कि कोई संसाधन न चलने की वजह से कई लड़कियों की पढ़ाई छूट जाती है। दीक्षा का कहना है कि हमारे गाँव की यह समस्या मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास पहुंचे, जिससे उनका नारा 'पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ' सही मायनों में सार्थक हो सके।

विकास के नाम पर कुछ नहीं

इस गाँव में सिर्फ संसाधन की ही समस्या नहीं है, बल्कि गाँव में आज तक न तो बिजली का प्रबन्ध हो सका और न ही सौर उर्जा का। गाँव में पीने के पानी की बड़ी समस्या है। इस गाँव के निवासी विश्वनाथ (80 वर्ष) का कहना है कि गाँव में विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है। हमारे गाँव की कई सम्स्यायें ग्राम प्रधान स्तर से हल हो सकती हैं, लेकिन प्रधान बन जाने के बाद नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान समस्याओं से मुंह मोड़ लेते हैं। इस वजह से हम गाँव वाले पूरे पाँच वर्षों तक विकास की राह ही ताकते रह जाते हैं और प्रधानजी का कार्यकाल बिना कोई विकास कार्य कराये समाप्त हो जाता है।

ताकि बच्चों की पढ़ाई पर न पड़े असर

इस गाँव के निवासी मलखान (45 वर्ष) बताते हैं कि गाँव में अब तक न नालियाँ है और न ही खड़ंजा। वो आगे बताते हैं कि अगर हमारे गाँव से बिधूना तक वाहन चलने लगे तो हमारे गाँव के सैकड़ों बच्चों की पढाई न छूट पाए, बाकी समस्याएं तो हम सहन कर सकते हैं पर बच्चों का भविष्य बर्बाद होते देख बहुत चिंतित रहते हैं। इस गाँव के ग्रामीण इस आस में है कि किसी की तो नजर हमारे गाँव की समस्याओं पर पड़ेगी और उसका समाधान निकलेगा।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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