एक छोटी सी कोशिश से सरकारी स्कूल के बच्चों को नियमित मिल रही विज्ञान लैब

एक छोटी सी कोशिश से सरकारी स्कूल के बच्चों को नियमित मिल रही विज्ञान लैबएक छोटी सी कोशिश से सरकारी स्कूल के बच्चों को नियमित मिल रही विज्ञान लैब

रेखा गौतम राही (कम्यूनिटी जर्नलिस्ट), प्रधानाध्यापिका, उच्च प्राथमिक विद्यालय, टकटौली कानपुर नगर।

शिवराजपुर (कानपुर नगर)। ऊर्जा के वैकल्पिक श्रोत, अग्निशमन यंत्र व मैनोमीटर जैसे तमाम यंत्र बनाने मुझे खुद आते हैं। उच्च प्राथमिक विद्यालय नदिहा के कक्षा सात में पढ़ने वाली संगीता यह बात चहकते हुए बताती हैं। संगीता की ही तर्ज पर अन्य छात्र व छात्राएं भी विज्ञान लैब से मिलने वाली सुविधाओं को पाकर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

तकनीक के युग में अब गाँव के बच्चों को भी आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। ग्रामीण बच्चे विज्ञान प्रयोगशाला में जाकर नयी-नयी चीजें सीख रहे हैं। शिवराजपुर ब्लॉक के 27 उच्च प्राथमिक विद्यालय में विज्ञान लैब है, जिसमें गाँव के बच्चों को विज्ञान लैब में प्रतिदिन जाने का मौका मिलता है।

एक छोटी सी कोशिश से सरकारी स्कूल के बच्चों को नियमित मिल रही विज्ञान लैब

कानपुर नगर से 35 किलोमीटर दूर शिवराजपुर ब्लॉक के नदीहा न्याय पंचायत के सभी शिक्षकों ने मिलकर एक विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया है। इस न्याय पंचायत के 18 स्कूल के बच्चों ने इसमे भाग लिया। विज्ञान शिक्षक के सिखाने के बाद बच्चों ने प्रदर्शित माडलों को बहुत ही कम लागत में तैयार करवाया। उच्च प्राथमिक स्तर के बच्चों ने ऐलीवेटर, पेरीस्कोप, ऊर्जा के वैकल्पिक श्रोत, अग्निशमन यंत्र जैसी तमाम चीजें बनाईं।

इस बाबत नदीहा खुर्द की प्रधानाध्यापिका सीमा बताती हैं, “हमारे स्कूल में जबसे विज्ञान प्रयोगशाला शुरू हुई है तबसे बच्चों की संख्या बढ़ी है। बच्चे नियमित स्कूल आते हैं।” वह आगे बताती हैं, “जब पंचायत स्तर पर प्रदर्शनी लगती है तो बच्चों को सम्मानित भी किया जाता है। इससे उनमें सीखने की ललक और ज्यादा बढ़ जाती है। इस बार विज्ञान प्रदर्शनी में नदिहा खुर्द प्रथम कमालपुर दूसरे स्थान गज्जफरपुर तीसरे स्थान पर रहा।”

वहीं इस संबंध में खण्ड शिक्षा अधिकारी, देवेंद्र सिंह पटेल बताते हैं, “दो साल पहले आईआईटी प्रोफेसर हरीश चन्द्र वर्मा के सहयोग से विज्ञान के सभी शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया था। आठ स्कूल को लैब मुहैया कराई गई थी। अन्य शिक्षकों ने अपने स्वयं के पैसे से अपने स्कूल में लैब की शुरुआत की। आज 27 स्कूल में विज्ञान लैब है। शिक्षक अपने पैसों से न्याय पंचायत स्तर पर विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन करते हैं। इस तरह की गतिविधियों से बच्चों का रुझान पढ़ाई की तरफ ज्यादा बढ़ता है।”

"This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org)."

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