जान की बाजी लगाकर छात्र जाते हैं स्कूल

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जान की बाजी लगाकर छात्र जाते हैं स्कूलनाव से सफर तय कर पहुंचते हैं स्कूल। 

वीरेंद्र शुक्ला (कम्यूनिटी जर्नलिस्ट)

सूरतगंज (बाराबंकी)। राज्य और प्रदेश सरकार गाँवों के विकास के लिए नई-नई योजनाएं बनाती हैं, जिनका करोड़ों रुपए का बजट होता है। फिर भी इन योजनाओं के चलने के बाद भी विकास कार्यों में गति नहीं आ पा रही है। हम लोग तकनीकि के माध्यम से चांद से लेकर मंगल ग्रह तक पहुंच गए लेकिन आज भी भारत में कुछ गाँव ऐसे हैँ जहां लोग एक गाँव से दूसरे गाँव जाने के लिए नाव का सहारा लेते हैँ। ऐसा ही कुछ नजारा उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के एक गाँव में देखने को मिला। जहां स्कूल जाने के लिए बच्चे कपड़े उतार कर दूसरी तरफ नाव को लाते हैं फिर स्कूल जाते हैँ।

बाराबंकी जिले से 50 किलोमीटर दूर सूरतगंज विकास खंड में स्थित तीन गाँव गुड़ियांनपुरवा, घनवालिया महमतियनपुरवा की कुल जनसंख्या 2500 के पार है। इन तीन गाँव को दो नदियां (चौका व चौरारी) ने घेर रखा है। इन दो नदियों से घिरे गाँव के लोग वर्षों से दोनों नदियों पर पुल बनने की आस लगाये हुए हैं। महमतियनपुरवा गाँव के रहने वाले छात्र अजय कुमार (14 वर्ष) जो की रोज स्कूल जाने के लिए पहले तैर कर नदी पार करते हैं और दूसरी तरफ रखी नाव को लेकर आते हैँ तब जाकर उस गाँव के बच्चे उस नाव में बैठ कर स्कूल जाते हैं। अजय कुमार बताते हैं, "जब हम व हमारे परिवार व गाँव के बच्चे स्कूल जाते हैं तो हमें नाव का सहारा लेना पड़ता है। सबसे पहले हमें अपनी स्कूल ड्रेस उतार कर नाव को उस पार से इस पार लाना पड़ता है उसके बाद ही हम स्कूल जा पाते हैं। ऐसा हमारे साथ रोज होता है।" अजय आगे बताते हैँ, "हम रोज स्कूल देर से पहुंचते हैं। हमें रोज मास्टर जी से डांट खानी पड़ती है और जब हम स्कूल से वापस आते हैं तब भी हमें नाव के ही माध्यम से नदी को पार कर घर पहुंच पाते हैं।"

इसी गाँव के किसान राजू (38 वर्ष) बताते हैं, "अगर हमारे गाँव के दोनों तरफ पुल बन जाए तो हम अपनी आमदनी का जरिया भी बढ़ा सकते हैं और हमारे बच्चे सुरक्षित स्कूल जा सकते हैं। हम आज भी अपने बच्चों को स्कूल भेजते है, लेकिन हमें उनकी चिंता लगी रहती है क्यूंकि बच्चे नाव के जरिये नदी पार कर के स्कूल जाते हैं कोई हादसा न हो जाए इसी का डर हमेशा सताता रहता है।"

गुड़ियांनपुरवा निवासी गंगा राम (55 वर्ष) बताते हैं, "बस यही आस लगा कर बैठा हूं की चौरा और चौरारी नदी पर पुल बन जाये जिससे हमारे बच्चे सही सलामत स्कूल जाने लगे। हर दम कोई अनहोनी होने का डर लगा रहता है।" इन दो पुलों के लिए पूर्व प्रधान रामदेव ने काफी मशक्कत की पर कुछ हो न सका। उन्होंने गाँव के पुल के लिए मंत्री, विधायक व ग्राम विकास मंत्री अरविन्द सिंह गोप से अर्ज़ी लगायी पर किसी ने एक ना सुनी। गाँव की ये समस्या आज भी सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है, जिसको कोई देखने वाला नहीं है।

"This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org)."

    

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