पंजीरी घपले को रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने कसी नकेल

पंजीरी घपले को रोकने के लिए मुख्यमंत्री ने कसी नकेलआंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे।

नीतू सिंह

स्वयं प्रोजक्ट डेस्क

लखनऊ । आंगनबाड़ी केन्द्रों पर आए दिन पंजीरी बांटने के घपले सुनने में आते थे पर इन पर कार्रवाई न मात्र की होती थी । मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने पंजीरी के टेंडर के एग्रीमेंट पर रोक लगा दी है, ये 12 हजार करोड़ रुपए का ठेका था। आईसीडीएस के आदेश को प्रमुख सचिव ने रोक लगा दी है, यूपी के बाल विकास पुष्टाहार के इस मामले पर सख्ती से कार्रवाई का मुख्यमंत्री ने आदेश दिया है साथ ही नई सरकार की कैबिनेट में समीक्षा भी होगी ।

कानपुर देहात के मैथा ब्लॉक की एक आंगनबाड़ी कार्यकत्री ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “ब्लॉक से पंजीरी उठाने के समय 300-400 रुपए हर बार हर आंगनबाड़ी कार्यकत्री को सीडीपीओ को देना होता है, ऊपर से नीचे तक जितने भी अधिकारी हैं फीडिंग से लेकर हर काम के लिए पैसे तो देने ही पड़ते हैं, हमारे पास आमदनी का दूसरा कोई जरिया नहीं है इसलिए मजबूरी में पंजीरी बेचनी पड़ती है, पंजीरी भी कई बार समय से नहीं मिलती, पंजीरी मिलने की मात्रा हर बार कम ज्यादा होती रहती है, केंद्र तक पहुँचाने का किराया समय से नहीं मिलता, इसका किराया भी पंजीरी बेचकर ही निकालते हैं ।“ ये सिर्फ एक आंगनबाड़ी की समस्या नहीं है बल्कि हर आंगनबाड़ी को अपने ऊपर से नीचे तक के अधिकारियों को देने वाली घूस के लिए पंजीरी बेचनी पड़ती है ।

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महिला एवं बाल विकास विभाग के मौजूदा आंकड़ों के मुताबिक बाल विकास परियोजना के तहत प्रदेश में कुल 821 विकास खण्डों के अंतर्गत आने वाले गाँवों को लाभ पहुंचाया जा रहा है। इसके तहत सरकार एक लाख 53 हज़ार आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों को बांटे जाने वाले पोषाहार पर प्रतिवर्ष 7000 करोड़ रुपए खर्च कर रही है पर धरातल पर यह योजना कारगर नहीं हो पा रही है। जिन बच्चों के लिए ये योजना बनाई गयी है सही मामले में उन्हें लाभ ही नहीं मिल रहा है ।

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पंजीरी घपले पर मुख्यमंत्री की लगाम कसने के बारे में सीडीपीओ की राय जानने के लिए जब गाँव कनेक्शन संवाददाता ने बात की तो कोई भी सीडीपीओ इस पर अपनी प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं हुई । औरैया जिले की सीडीपीओ सरोज का कहना था, “इस सन्दर्भ में हम क्या कहें जो पंजीरी पर रोक लगाई गयी है अभी हमे उसकी जानकारी नहीं है।“

प्रदेशभर में ढाई लाख आंगनबाड़ी केंद्र

उत्तर प्रदेश में बाल विकास और पुष्टाहार परियोजना के तहत चल रहे आंगनबाड़ी प्रोग्राम के लिए प्रदेश भर में क़रीब 2.50 लाख आंगनबाड़ी खोले गए हैं, जिसमें आने वाले बच्चों को रोज़ाना पुष्टाहार जैसे मूंग की खिचड़ी, अरहर की खिचड़ी, पोहा-हलवा या दलिया दिया जाता है। इसके लिए आंगनबाड़ी चलाने वाले को हर महीने 3,000 रुपए भी मिलते हैं, पर इसके बावजूद केंद्रों पर केवल पंजीरी ही दी जा रही है।

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