रंग लाई डाक्टर की पहल, अब बच्चों का होगा इलाज
गाँव कनेक्शन 28 Oct 2016 4:31 PM GMT

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
कन्नौज। गाँव के बीमार बच्चों के इलाज के लिए आखिरकार डॉ. वरूण कटियार की मेहनत रंग लाने लगी है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत डॉक्टर कटियार के प्रयास से अब इन बच्चों का इलाज केजीएमसी लखनऊ में हो सकेगा। वे हाल में गाँव के दस में से आठ बीमार बच्चों को केजीएमसी लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने इन बच्चों का चेकअप किया। इनमें पांच बच्चों का केजीएमसी लखनऊ में ऑपरेशन हो सकेगा। वहीं, तीन बच्चे गंभीर बताए गए हैं। जिनका इलाज वहां नहीं हो सकेगा।
पहले भी बच्चों को लेकर गये, लेकिन नहीं देख सके थे डॉक्टर
जिला मुख्यालय से करीब 18 किमी दूर स्थित जलालाबाद स्वास्थ्य केंद्र में संविदा पर काम करने वाले डॉ. वरूण कटियार ने फोर डी के तहत पहले 10 बच्चे खोज निकाले, जिनको इलाज की सख्त जरूरत थी। हालांकि अब यह संख्या बढ़ने की ओर अग्रसर है। डॉक्टर की टीम एक की पहल से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत सभी बच्चों को कुछ दिनों पहले केजीएमसी लखनऊ ले गये थे। बच्चों के साथ उनके अभिभावक भी थे। दोपहर के दो बजे जाने की वजह से वहां के डॉक्टरों ने मरीजों को देखा तक नहीं था, जिसकी वजह से वह वापस लौट आए थे।
तीन बच्चों की स्थिति गंभीर
मगर डॉ. वरूण और उनके साथ डॉ. जेआर सिंह तथा डॉ. सौरभ एक बार फिर बच्चों को लेकर लखनऊ पहुंचे। इस बार विधिवत चेकअप हुआ। डॉ. वरूण कटियार ने बताया कि तीन बच्चे गंभीर निकले, जिनका इलाज वहां नहीं हो सकता है। पांच बच्चों का स्टीमेट बना दिया गया है।
आरोग्य निधि से मिला इलाज के लिए बजट
सीएमओ स्तर से आरोग्य निधि से बजट मिलने के बाद चयनित बच्चों का ऑपरेशन और इलाज शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि दीपावली के बाद इलाज हो सकेगा। खास बात यह है कि बच्चों के इलाज को लेकर डॉकटर ने अपनी मां दमयंती कटियार के साथ सांसद डिम्पल यादव को पत्र दिया था। उन्होंने इस मामले को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पास रखा। मुख्यमंत्री की सख्ती से उनके विशेष सचिव अमित गुप्त ने डीएम से जानकारी मांगी और बच्चों के इलाज को आदेशित किया।
जलालाबाद ब्लॉक से हुआ बच्चों का चयन
खास बात यह है कि जिले में जलालाबाद ब्लॉक ही ऐसा है, जहां से चिहिन्त कर बच्चों को लखनऊ भेजा गया है। डॉ. कटियार का कहना है कि सूबे में इस योजना के तहत यह बच्चे कन्नौज से ही पहुंचे हैं, जिनका उपचार हो सकेगा। बताते चलें कि नौ से 15 अक्तूबर के अंक में गांव कनेक्षन ने ‘गरीब नौनिहालों को नहीं मिला इलाज, राजधानी से हताश लौटे’ शीर्षक से खबर भी प्रकाशित की थी।
एक बच्चे का खुद खर्च उठाएंगे डॉ. कटियार
जलालाबाद ब्लॉक क्षेत्र के पछाएपुर्वा निवासी नीरज के पांच वर्षीय पुत्र अमन की मां इस बार अपने बच्चे के साथ गई थी। केजीएमसी के डॉक्टरों ने कहा कि इलाज में करीब 10-15 हजार रूपये का खर्च आएगा। उसके लिए दवाइयां खरीदनी पड़ेंगी, हालांकि बाद में बिल लगाने पर यह रूपया वापस कर दिया जाएगा। अमन की मां ने डॉ. वरूण कटियार से कहा कि उसके पति बाहर निजी नौकरी करते हैं। इतना पैसा नहीं है कि इलाज करा सकें। भावुक हुई अमन की मां को देखकर डॉ. कटियार ने खुद खर्च करने का भरोसा दिया। इस पर महिला ने रूपये मिलने पर वापस देने का भरोसा भी दिया। लखनऊ में पंजीकरण आदि कार्ड का खर्च भी डॉक्टर ने स्वयं उठाया।
बच्चों के परिजन खुश हैं। मरीजों के उपचार के लिए मैंने जो प्रयास किए, उसमें सफलता मिलने लगी है। इस बार लखनऊ के डॉक्टरों का काफी सहयोग मिला। शासन स्तर पर भी हर संभव सहयोग मिल रहा है। जिला प्रशासन भी साथ है। नए बच्चे भी चिहिन्त हुए हैं। उनका भी इलाज कराने की पुरजोर कोशिश करूंगा। जब एक मरीज ठीक होता है तो मुझे काफी खुशी मिलती है।डॉ. वरूण कटियार, चिकित्साधिकारी, जलालाबाद, मुख एवं दंत सर्जन
इनका नहीं हो सकेगा इलाज
जेवां गांव निवासी 14 वर्षीय शिवांगी पुत्री उमेश, आठ वर्षीय श्रीदेवी पुत्री संतराम निवासी देवीपुर्वा और 10 वर्षीय अनुराग पुत्र रामप्रसाद निवासी फिरोजपुर तारन का इलाज नहीं हो सकता है। डॉ. कटियार ने बताया कि लखनऊ के प्रोफेसरों ने चेकअप रिपोर्ट देखने के बाद यह बात कही है। इन बच्चों में आंख की बीमारी है। आंखों का विकास नहीं हो सका है। सर्जरी तो करने की बात कही है, लेकिन इंप्रूवमेंट नहीं हो सकेगा। बच्चों में देखने की क्षमता बहुत कम है।
इन बच्चों का होगा ऑपरेशन
गांव जेवा निवासी पांच वर्षीय राही सिंह पुत्री लालजी, आठ वर्षीय अनुराग पुत्र हरीराम निवासी टिकैयापुर्वा, इनायतपुर निवासी छह वर्षीय अनुष्का पुत्री मुकेश शर्मा, पछाएपुर्वा निवासी पांच वर्षीय अमन पुत्र नीरज और चार वर्षीय अनिकेत पुत्र सुनील निवासी हजरतपुर का ऑपरेशन हो सकेगा। इसमें कुछ के कान में दिक्कत है। एक बच्चा बोल नहीं सकता है। उसकी जांच होने के बाद अगर मशीन लगाने पर सुनाई पड़ा तो करीब नौ लाख रूपये का खर्च होगा। लखनऊ के डॉक्टरों ने इम्पलांट बताया है। अन्य मरीजों के लिए 10-50 हजार का खर्च आएगा। एक बच्चे का तालू का ऑपरेशन होगा, जो नि:शुल्क है। उसका स्टीमेट नहीं बना है।
This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).
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