डेयरी से हर रोज़ करते हैं सौ लीटर दूध का उत्पादन 

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डेयरी से हर रोज़ करते हैं सौ लीटर दूध का उत्पादन कामधेनु योजना से मिला कमाई का रास्ता 

किशन कुमार (कम्यूनिटी जर्नलिस्ट)

रायबरेली। जहां आजकल शुद्ध दूध न मिलने की शिकायत आम बात हो चुकी है, वहीं बछरावां ब्लॉक की इंचौली ग्राम सभा के भानू प्रताप सिंह (52 वर्ष) रोज़ अपनी डेयरी से 100 लीटर दूध का उत्पादन कर रहे हैं। उनकी खास बात यह है कि अपनी डेयरी का दूध किसी बड़ी कम्पनी को न देकर क्षेत्रवासियों को ही उपलब्ध कराते हैं ताकि उनके क्षेत्र में अधिक से अधिक लोगों को शुद्ध दूध मिल सके।

रायबरेली जनपद के बछरावां ब्लॉक से चौदह किलोमीटर पश्चिम दिशा में इचौली ग्रामसभा में भानू प्रताप सिंह की दूध डेयरी है। भानू बताते हैं, "हमने अप्रैल 2015 में सरकार की मिनी कामधेनू योजना का लाभ उठाकर यह डेयरी शुरू की थी। इस डेयरी में 15 विदेशी फ्रीजिशियन नस्ल की गाय और 35 हरियाणा की मुर्रा भैंसे हैं, जिनके माध्यम से हम प्रतिदिन लगभग एक कुन्तल दूध उत्पादन करते हैं। इस दूध को हम हर रोज़ सुबह 10 से शाम पांच बजे तक बछरावां के लालगंज रोड के रेलवे क्रांसिग पर बेंचते हैं। भानू प्रताप ने अपनी डेयरी प्रदेश सरकार की मिनी कामधेनू डेयरी योजना की मदद से शुरू की थी। इस योजना में लाभार्थी के पास दो बीघा ज़मीन होना जरूरी है। इसके लिए कुल बावन लाख रूपए सरकार देती है और लभार्थी को लगभग 13 लाख रूपए अपने पास से लगाना होता है।

डेयरी के रखरखाव की बात करते हुए भानू प्रताप बताते हैं, ''हमारे पास कुल पांच लोग हैं, ये सभी जानवरों की साफ-सफाई के साथ-साथ उनके नियमित परीक्षण व टीकाकरण का ध्यान रखते हैं। इसके लिए हमें खुद समय-समय पर पशु पालन विभाग मदद कर देता है। हम चाहते हैं कि हम डेरी संचालन के साथ-साथ क्षेत्रीय लोगों को शुद्ध दूध प्राथमिकता से पहुंचा सकें।'' मिनी कामधेनू डेयरी योजना के अंतर्गत 50 जानवर के प्रोजेक्ट से एक कुन्तल दूध बेचने वाले भानू प्रताप आज अपनी 70 हज़ार बैंक की किस्त दे रहे हैं और वो सिर्फ इसके माध्यम से सिर्फ अपनी कमाई ही नहीं चलाते बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को भी इस योजना से जुड़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

सरकार को सुझाव देते हुए भानू कहते हैं, ''सरकार ने जो मिड डे मील में बच्चों को दूध देने की योजना शुरू की है अगर इस योजना में मिनी कामधेनू डेयरी योजना से चल रही डेरियों को जोड़ दिया जाए, तो बच्चों को शुद्ध दूध मिल जाएगा और स्कूल प्रबंधन को परेशान भी नहीं होना पड़ेगा।''

"This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org)."

   

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