मेरठ में वकीलों पर हुए लाठी चार्ज के विरोध में प्रदेश भर के वकीलों की हड़ताल, आम आदमी परेशान

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मेरठ में वकीलों पर हुए लाठी चार्ज के विरोध में प्रदेश भर के वकीलों की हड़ताल, आम आदमी परेशानप्रदर्शन करते वकील 

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

लखनऊ। मेरठ में वकीलों पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में प्रदेश भर में चल रही वकीलों की हड़ताल से आम आदमी तो परेशान हो ही रहा है, साथ ही हर दिन करोड़ों के राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। प्रदेश के कई जिलों में वकील अपनी मांगों को लेकर पिछले कई दिनों से हड़ताल पर हैं।

मेरठ में अक्टूबर का महीना वकीलों की हड़ताल के नाम ही रहा। कुल 25 दिनों में वकीलों ने महज 14 दिन ही काम किया। जिससे जहां एक और सरकार को करोड़ों रूपए के राजस्व का घाटा हुआ। वहीं सैंकड़ों वादकारी बिना काम के ही वापस लौटे। साथ ही इतने ही मुकदमों की पेंडेंसी और बढ़ गई।

14 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम में आए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी पहुंचे थे। हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर राज्यपाल का हजारों की संख्या में एकत्र होकर वकीलों ने घेराव किया था। जिस पर पुलिस वकीलों पर लाठी चार्ज कर दिया था। इसी के विरोध में मेरठ सहित वेस्ट यूपी के वकील लगातार 10 दिनों तक हड़ताल पर रहे। साथ ही 12 अक्टूबर को छात्रों की फीस बढने को लेकर भी एक दिन के लिए हड़ताल पर रहे थे।

रजिस्ट्री ऑफिस के रिकार्ड के अनुसार मेरठ में एक दिन में एक करोड़ से ज्यादा का राजस्व स्टांप से आ जाता है। हड़ताल से यदि छुट्टियों को निकाल दिया जाए तो ओसत 700 करोड़ के राजस्व का सीधा घाटा हुआ है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र के सैंकड़ों वादकारी जिन्हे हडताल के बारे में नहीं पता, उन्हे परेशान होकर वापस लौटना पड़ा।

हड़ताल से राजस्व का तो नुकसान हुआ ही आम आदमी भी परेशान हो रहा है। जिले के खरखौदा गाँव के नदीम बताते हैं कि उनके भाई की 14 अक्टूबर को बेल होनी थी, लेकिन हड़ताल की वजह से सुनवाई नहीं हो सकी, पता नहीं अब कब तक पेंडेंसी रहेगी। यही हाल दौराला की कमलेश का भी है। उनके पति की बेल भी 15 अक्टूबर को तय थी। इसके अलावा सैंकड़ों मुकदमों की पैरवी हड़ताल के चलते अधर में ही लटक गई।

मेरठ बार एसोसिएशन के महामंत्री प्रमोद शर्मा बताते हैं हाई कोर्ट बेंच हमारे हक की लड़ाई है, जिसे वे लड़ते रहेंगे। आगे भी हड़ताल का सिलसिला चलता रहेगा।

मेरठ के जिलाधिकारी समीर वर्मा बताते हैं, "अधिवक्ताओं की हड़ताल से आमजन प्रभावित होता है। इसलिए फिलहाल वकीलों से काम पर लौटने की रजामंदी हो गई है। एसएसपी मंजील सैनी से वार्ता के बाद वकील काम पर लौट गए हैं।"

उन्नाव में भी हड़ताल

उन्नाव जिले में अधिवक्ता एक हफ्ते से हड़ताल पर चल रहे हैं। इस दौरान न्यायिक प्रक्रिया ठप है। अधिवक्ताओं के हड़ताल पर जाने से वादकारी परेशान हैं। बांगरमऊ के नरेश (65 वर्ष) ने बताया कि उनके बेटे की जमानत एक सप्ताह पहले होनी थी। लेकिन हड़ताल से नहीं हो पा रही। इसी तरह शहर के लोकनगर में रहने वाले घनश्याम ने बताया कि अधिवक्ताओं ने रजिस्ट्री आफिस को भी बंद करा रखा है जिससे एक सप्ताह से उनकी जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो रही।

उधर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष गिरीश मिश्रा ने बताया कि जब तक प्रशासन मनमानी करेगा तब तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी। जिले में पूर्व बार अध्यक्ष सतीश शुक्ल के घर के बाहर पथराव और फायरिंग के आरोपियों की गिरफ्तारी न होनेसे अधिवक्ता हड़ताल पर हैं। बुधवार को अधिवक्ताओं ने कचहरी पल भी जाम कर दिया था।

पीलीभीत में पिछले दो वर्षों से हर शनिवार वकील करते हैं काम का बहिष्कार

वकीलों की हड़ताल के बारे यहां के वकील उरूज जकी बताते हैं, "पिछले मंगलवार को उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के आह्वान पर मेरठ में पुलिस द्वारा एक सम्मानित वकील साथी को लाठियों से पीटे जाने के विरोध में उत्तर प्रदेश के समस्त जनपदों के साथ ही जनपद पीलीभीत में भी हड़ताल रखी गई।

इसके अलावा भी साल में वकीलों द्वारा कितने दिन हड़ताल की की गई यह पूछने पर उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर पिछले दो वर्षों से माह के प्रत्येक शनिवार को जनपद के वकील कार्य का बहिष्कार करते हैं। क्योंकि जनपद पीलीभीत को हाईकोर्ट इलाहाबाद से जोड़ा गया है। जबकि जनपद के वकीलों की मांग है कि पीलीभीत को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से जोड़ा जाए। जिससे उनको अपना कार्य करवाने के लिए इलाहाबाद ना जाना पड़े, जो जनपद से काफी दूर पड़ता है।

सिसैया गाँव के निवासी गेंदनलाल ने बताया कि पिछले दो वर्ष से मेरा एक क्राइम का केस चल रहा है। अक्सर जनपद के वकीलों द्वारा हड़ताल रखी जाती है। हर शनिवार को वकील अपने कार्य का बहिष्कार करते हैं। जिनसे मुझे लगातार तारीख पर तारीख मिलती जा रही है। इसमें मुझे अनावश्यक परेशानी झेलनी पड़ती है।

वाराणसी में भी वकीलों ने किया हड़ताल

वहीं वाराणसी में अक्टूबर महीने में बनारस बार एसोसिएशन के बैनर तले पांच से 10 अक्टूबर तक कचहरी परिसर में साफ -सफाई और बदहाल सड़क की मरम्मत को लेकर हड़ताल रही। इस दौरान सिर्फ एक दिन अधिवक्ता न्यायिक कार्य पर रहे। बाकी दिन कार्य चलता रहा। पिछले माह भी कचहरी स्थानान्तरण होने को लेकर कई दिनों तक वकील हड़ताल पर रहे।

हालांकि न्यायिक कार्य बाधित होने से फरियादियों को काफी दिक्कत होती। फरियादी काफी दूर दराज से अपने मामले की सुनवाई के दिन कचहरी आते हैं, लेकिन अचानक पता चलता है वकील हड़ताल पर है, जिससे उनके मामले की सुनवाई नहीं हो पाती। उनका पैसा और समय दोनों बर्बाद होता है।

बनारस बार के पूर्व महामंत्री एवं अधिवक्ता धीरेंद्रनाथ शर्मा बताते हैं, "हड़ताल का मुवक्किलों और फरियादियों पर बहुत असर नहीं पड़ता है। बार एसोसिएशन की गाइड लाइन के अनुसार एक दिन से ऊपर हम लोग न्यायिक कार्य बरत नहीं रह सकते हैं। इसके लिए पहले से प्रस्ताव पारित कराना होता है, जो अब मुश्किल हो गया है। हालांकि हड़ताल की सूचना पूर्व में अखबारों के माध्यम से लोगों को हो जाती है।

अधिवक्ताओं से मिले योगी

कचहरी स्थानांतरण का विरोध कर रहे अधिवक्ताओं का 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल सेंट्रल बार के अध्यक्ष अशोक सिंह के नेतृत्व में बीते बुधवार को सर्किट हाउस में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिला। अधिवक्ताओं ने बताया कि सीएम ने मामले को गंभीरता से लिया है। कहा कि कचहरी यही रहेगी। इस संबंध में शासनादेश के बारे में उन्होंने कहा कि विधिक प्रक्रिया के तहत वह भी जल्द आ जाएगा।

रिपोर्ट- मेरठ से सुंदर चंदेल, उन्नाव से श्रीवत्स अवस्थी, पीलीभीत से अनिल चौधरी, औरैया से इश्तयाक अहमद, बहराइच से रोहित श्रीवास्तव, वाराणसी से विनोद शर्मा

      

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