उत्तर प्रदेश के राजकीय पक्षी का जीवन संकट में
गाँव कनेक्शन 9 Jun 2017 3:37 PM GMT

इश्त्याक खान, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
औरैया। जिले का वेटलैंड एरिया सूखा होने की वजह से उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी सारस का जीवन संकट में है। सारस मुख्यतः तराई क्षेत्रों में पाया जाता है। ये पक्षी गंगा के मैदानी इलाके में पाए जाते हैं। वन विभाग सारस को बचाने के लिए किसी प्रकार की कोई पहल नहीं कर रहा है। यही कारण है कि सारसों की संख्या घटती जा रही है।
जिले में अदल्दा, बेला, याकूबपुर, सहायल, सहार पक्षियों के लिए सुकून भरा वेटलैंड एरिया है। जहां पक्षियों के लिए पानी और खाने की व्यवस्था बनी रहती है। इस क्षेत्र से लगभग तीन नदियां निकली हैं इसी के साथ निचला क्षेत्र होने की वजह से पानी भी भरा रहता है।
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यहां सारस अधिक दिखाई देते हैं, लेकिन इस साल भीषण गर्मी और बढ़ते तापमान की वजह से वेटलैंड का एरिया सूखा पड़ा है। तालाब और माइनर में पानी न मिलने पर ये पक्षी नहर का किनारा ढूंढते हैं। जहां लोगों के आवागमन की वजह से उन्हें सुकून नहीं मिल पाता है।
पक्षी प्यास से न मरें इसलिए वन विभाग ने जंगल में मटके गड़वाए थे, लेकिन इस बार तो मटके भी नहीं गड़वाए, इससे पक्षियों के जीवन पर संकट मंडरा रहा है। जिले में पिछले साल नर और मादा 600 सारस थे, जिनकी संख्या घटकर 550 के करीब रह गई है।
अगर जिले में यही स्थिति रही तो प्रदेश का राजकीय पक्षी देखने को नहीं मिलेगा। वन विभाग द्वारा ऐसी कोई पहल नहीं की गई है, जिससे पक्षियों को प्यास से अपनी जान न गंवानी पड़े। डीएफओ सुंदरेशा से इस संबंध में बात की गई तो बताया, “वेटलैंड एरिया नहरों से भरा जा रहा है। आने वाले समय में पक्षियों को पानी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। जिले में सारस कम हो रहे हैं इसका मुख्य कारण है देखरेख न हो पाना।
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