नोटबंदी के 50 दिन बाद कहीं बैंक में लगी लंबी लाइन तो कहीं पसरा सन्नाटा

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नोटबंदी के 50 दिन बाद कहीं बैंक में लगी लंबी लाइन तो कहीं पसरा सन्नाटाजिले के विकास भवन स्थित इलाहाबाद बैंक के बाहर का आज भी लगी लंबी लाइन।

स्वयं प्रोजेक्ट

बाराबंकी। नोटबंदी के 50 दिन पूरे हो चुके हैं। मगर आज भी जिले में नोटबंदी का असर साफ देखा जा सकता है। एक तरफ बैंक में पैसे होने के बाद भी सन्नाटा पसरा हुआ है तो दूसरी तरफ बैंक में पैसे की कमी की वजह से आज भी लंबी-लंबी लाइन लगी हुई है। ऐसे में बैंकों के अंदर और बाहर क्या कुछ नजारा है, आप भी जानें।

तनख्वाह के मिल रहे थे सिर्फ पांच हजार

जिले के विकास भवन स्थित इलाहाबाद बैंक के बाहर का आज भी लंबी लाइन देखने को मिल रही है, जबकि बैंक अपने खाताधारकों को उनकी तनख्वाह के दस हजार रूपये ही अभी दे रही है। बैंक के ऑपरेशन मैनेजर नितेन्द्र मिश्रा का कहना है कि दो-तीन दिन बाद बैंक अपने खाताधारकों को उनके पूरे रूपये देने शुरू कर देगी। हालांकि ये बैंक 15 दिन पूर्व अपने खाताधारकों को सिर्फ पांच हजार रूपये ही दे रही थी।

क्या कहते हैं लोग

अपनी तनख्वाह निकालने आये देवा के उज्जयाही गाँव निवासी टुन्ना बताते हैं कि मुझे तनख्वाह में 18 हजार रूपये मिले। मगर उन्हें सिर्फ दस हजार रूपये ही निकालने को मिला। वहीं, दूसरे सफाई कर्मचारी अजय कहते हैं कि मैं खुश हूं कि आज भ्रष्टाचार पर रोक लगी है। वही सफाई कर्मचारी प्रमोद कुमार ने भी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उन्हें परेशानी नहीं है। सबसे ज्यादा अगर कोई परेशान है तो वो किसान हैं, जिनकी फसल नोटबंदी में ज्यादा प्रभावित हुई है। बंकी निवासी रामशरन मौर्या कहते हैं कि आगे किसानों को फायदा होगा, लेकिन वास्तव में सबसे ज्यादा नुकसान किसान का ही हुआ है।

खाताधारकों को मिले पूरे 24 हजार

वहीं इलाहाबाद बैंक से चंद कदम दूर क्षेत्रीय श्री गांधी आश्रम की शाखा पंजाब नेशनल बैंक के अंदर से लेकर बैंक के बाहर तक सन्नाटा ही दिखता है। हांलाकि सुबह के वक्त लोग ज्यादा पैसे निकालने आते हैं। बैंक अपने खाताधारकों को पूरे 24 हजार रूपये बड़ी आसानी से दे देती है। बैंक मैनेजर प्रोमोद कुमार का कहना है वो अपने खाताधारकों को पूरे 24 हजार रूपये इसलिए देती है ताकि उन्हें दोबारा बैंक के चक्कर काटने न पड़े। इसलिए भीड़ उनके बैंक में नहीं हो पा रही है। मैनेजर की मानें तो उनके बैंक में छह हजार से अधिक खाताधारक होने के बावजूद उनके बैंक में भीड़ नहीं जुटती। वही बैंक का स्टाफ भी लोगों को पैसे देने में और उनकी मदद करने में आगे आ रहा है। वहीं, प्रमोद कहते है कि नोटबंदी से आज भले ही हर कोई परेशान नजर आ रहा हो, लेकिन ईमानदार और साफ़ सुथरे छवि के लोग इस फैसले से बेहद खुश नजर आ रहे हैं। मगर सबसे ज्यादा अगर परेशानी किसी को है, वो हैं ग्रामीण इलाकों के उन किसानों की, जिनकी नोटबंदी के चलते फैसले बर्बाद हो गयी है और वो कौड़ियों के भाव फैसले बेचने पर मजबूर हैं।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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