बैंड वालों की ज़िंदगी बेरंग

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बैंड वालों की ज़िंदगी बेरंगरायबरेली में बैंड-बाजा की दुकान में एक कलाकार।

देवांशु मणि तिवारी

रायबरेली। जिले के सदर क्षेत्र में रहने वाले प्यारेलाल (48 वर्ष) जिले के जाने माने वारसी बैंड में बैंड बजाने का काम करते हैं। जब तक शादी-बारातों का समय चलता है, तब तक वो अपने बैंड का काम करते हैं बाकी समय में वो अपनी पत्नी का हाथ बंटाते हैं। उनकी पत्नी निर्मला देवी (42 वर्ष) नगर निगम, रायबरेली में सफाईकर्मी के पद पर काम करती हैं।

रायबरेली जिले के सबसे पुराने ब्रास बैंडों में से एक वारसी ब्रास बैंड से मिली जानकारी के मुताबिक भारत में ब्रास बैंड का चलन अंग्रेजो के समय में शुरू हुआ। ब्रास बैंड सबसे पहले फिरंगी सेना में शामिल होते थे। जब कभी भी अंग्रेज़ी सेना भारत के किसी भी राजा पर हमला करती थी, तो वो तेज़ आवाज़ में अपना बैंड बजाते थे। अंग्रेजों के जाने के बाद ये बैंड यहीं पर रह गए और इनको लोग अब शादी-बारातों में इस्तेमाल करते हैं।

प्यारेलाल बताते हैं, ‘’बैंड पार्टी में एक बारात पर डेढ़ से दो हज़ार रुपए मिल जाते हैं। शादी-बारातों के समय में ज़्यादा से ज़्यादा 10 पार्टियों में काम मिलता है तो 20 हज़ार रुपए तक मिल जाता है पर इतने पैसों में घर नहीं चल सकता। घर पर दो बेटियां और दो बेटे भी हैं, उनकी पढ़ाई-लिखाई और घर चलाने के लिए लगन के समय बैंड बजाते हैं और लगन खत्म हो जाने के बाद पत्नी के साथ सड़क पर झाडू भी लगानी पड़ती है।’’

दूसरे जिलों से भी आते हैं कलाकार

पूरे जिले में लालगंज क्षेत्र में सबसे ज़्यादा बैंड पार्टी का काम होता है। यहां पर होने वाली शादी-बारातों में दूसरे जिलों से भी कलाकार आते हैं और बैंड पार्टी में गाने बजाने का काम करते हैं। लालगंज रोड पर लवकुश बैंड चलाने वाले लवकुश बताते हैं,’’ हम अधिकतर बाहर से कर्मचारी बुलाते हैं, हम अपनी बुकिंग के हिसाब से लखनऊ के ठेकेदारों को एडवांस देते हैं। वो हमे आदमी देते हैं क्योंकि सीजन के बाद यहां कोई काम नहीं होता, किसी के पास खेती है तो वो उसमे लग जाता है, नहीं तो बाकी लोग दूसरे काम करते हैं।’’ लवकुश आगे बताते हैं कि आज कल डीजे के चलन से बैंड का धंधा थोड़ा हलका हुआ है। इसलिए लोग ज़्यादा दिन तक हमें समय नहीं दे पाते हैं।

प्यारेलाल आगे बताते हैं, “लगन के समय ही बैंड मालिकों को हम लोगों की याद आती है। शुरुआत से ही हम बैंड में काम करते आए हैं इसलिए अब दूसरा कोई भी काम इससे बेहतर नहीं लगता है। इस काम के बदौलत हमने अपनी सबसे बड़ी लड़की की दो साल पहले शादी भी करवाई है। अब बस यही है कि लगन में नाचे-कूदे, बाकी सब अपने बूते।”

जिले के बछरावां ब्लॉक में सबसे लोकप्रिय साजन बैंड के मालिक दिनेश कुमार बताते हैं, “यहां पर ज़्यादातर बैंड में काम करने वाले कर्मचारी छोटा-मोटा प्राइवेट काम करते हैं। कोई किसी अस्पताल में लगा हुआ है तो कोई मंडी या स्थानीय मार्केट में मजदूरी करता है। जब शादी का टाइम आता है तो ये लोग बैंड पार्टी में शामिल हो जाते हैं। लगन बीतने के बाद ये सभी अपने-अपने काम मे लग जाते हैं।”

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

    

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