पशु चिकित्सालय के जर्जर भवन में बैठने को कतराते हैं डॉक्टर
गाँव कनेक्शन | Jul 04, 2017, 12:32 IST
श्रीवत्स अवस्थी, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
उन्नाव। कस्बे का पशु चिकित्सालय बड़े ही जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। इस भवन में जगह -जगह पर प्लास्टर टूटा है। अपने पशुओं का इलाज कराने आए कई लोग घायल हो चुके हैं। कस्बे के सुभाष गुप्ता अपनी बीमार भैंस का इलाज कराने पशु चिकित्सालय आए थे तभी भवन की छत से टूटकर गिरे प्लास्टर की चपेट मे आकर घायल हो गए थे।
यहां तैनात डॉ. धनेश कुमार से बातचीत करने पर उन्होंने बताया, “भवन की हालत बहुत ही कंडम है। बरसात के मौसम में किसी भी दसा में इसमें बैठा नहीं जा सकता।”
हरिनरायण शुक्ला, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
गोंडा। मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर विकास खंड वजीरगंज विकास खंड का पशु चिकित्सालय की हालत खराब है, लेकिन पशुपालन विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
यहां तैनात डॉ. आरएस मिश्र का कहना है, “इसकी सूचना विभाग को दे दी गई है। विभाग अगली प्रक्रिया कर भवन को कंडम घोषित कर देगा तभी नए भवन का बजट मिल पाएगा। भवन मिलने से पुुशुओं की स्वास्थ्य सेवाओं में इजाफा होगा।”
लोकेश मंडल शुक्ला,स्वयं कम्युनिटी जर्नलिस्ट
रायबरेली। रायबरेली जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बछरावां ब्लाक के पशु चिकित्सालय की स्थिति काफी अच्छी है वहां डॉक्टर समय से आ जाते हैं और सुबह के आठ बजे से ही पशुपालक अपने जानवरों की दवा लेने के लिए आने लगते हैं। भैंस के लिए दवा लेने आए रविकांत गुप्ता बताते हैं, “हम जब भी आते हैं डॉक्टर साहब यहां मिलते हैं। आसानी से दवा भी मिल जाती है। अभी तक तो हम को कोई दिक्कत नहीं महसूस हुई।”
खादिम अब्बास, स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
जौनपुर। शासन की मंशा के अनुरूप जौनपुर जिले में पशुओं का इलाज भी बेहतर हो रहा।
मछलीशहर ब्लॉक के निवासी अखिलेश सिंह (36 वर्ष) का कहना हैं, “हमारे जानवरों को टीकाकरण समय पर हो जाता है।” करंजाकला ब्लॉक निवासी आसिफ (57 वर्ष) कहना हैं, “पशुओं के इलाज की जो सेवाएं उपलब्ध हैं। पशुपालक उससे संतुष्ट हैं।”
उपमुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके अग्रवाल बताते हैं, “पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए उसका टीकारण समय पर किया जाता है।”
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उन्नाव। कस्बे का पशु चिकित्सालय बड़े ही जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। इस भवन में जगह -जगह पर प्लास्टर टूटा है। अपने पशुओं का इलाज कराने आए कई लोग घायल हो चुके हैं। कस्बे के सुभाष गुप्ता अपनी बीमार भैंस का इलाज कराने पशु चिकित्सालय आए थे तभी भवन की छत से टूटकर गिरे प्लास्टर की चपेट मे आकर घायल हो गए थे।
यहां तैनात डॉ. धनेश कुमार से बातचीत करने पर उन्होंने बताया, “भवन की हालत बहुत ही कंडम है। बरसात के मौसम में किसी भी दसा में इसमें बैठा नहीं जा सकता।”
दस हजार पशुओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी, भवन की लाचारी
गोंडा। मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर विकास खंड वजीरगंज विकास खंड का पशु चिकित्सालय की हालत खराब है, लेकिन पशुपालन विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं।
यहां तैनात डॉ. आरएस मिश्र का कहना है, “इसकी सूचना विभाग को दे दी गई है। विभाग अगली प्रक्रिया कर भवन को कंडम घोषित कर देगा तभी नए भवन का बजट मिल पाएगा। भवन मिलने से पुुशुओं की स्वास्थ्य सेवाओं में इजाफा होगा।”
चिकित्सालय में समय से आते हैं डॉक्टर, मिलती है दवा
रायबरेली। रायबरेली जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर बछरावां ब्लाक के पशु चिकित्सालय की स्थिति काफी अच्छी है वहां डॉक्टर समय से आ जाते हैं और सुबह के आठ बजे से ही पशुपालक अपने जानवरों की दवा लेने के लिए आने लगते हैं। भैंस के लिए दवा लेने आए रविकांत गुप्ता बताते हैं, “हम जब भी आते हैं डॉक्टर साहब यहां मिलते हैं। आसानी से दवा भी मिल जाती है। अभी तक तो हम को कोई दिक्कत नहीं महसूस हुई।”
जिले के पशुपालकों को नहीं होती परेशानी
जौनपुर। शासन की मंशा के अनुरूप जौनपुर जिले में पशुओं का इलाज भी बेहतर हो रहा।
मछलीशहर ब्लॉक के निवासी अखिलेश सिंह (36 वर्ष) का कहना हैं, “हमारे जानवरों को टीकाकरण समय पर हो जाता है।” करंजाकला ब्लॉक निवासी आसिफ (57 वर्ष) कहना हैं, “पशुओं के इलाज की जो सेवाएं उपलब्ध हैं। पशुपालक उससे संतुष्ट हैं।”
उपमुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके अग्रवाल बताते हैं, “पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए उसका टीकारण समय पर किया जाता है।”
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