आलू की पछेती बुआई का सटीक समय

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आलू की पछेती बुआई का सटीक समयकिएशन: कार्तिक उपाध्याय।

स्वयं डेस्क

कन्नौज। उत्तर-प्रदेश में आलू का उत्पादन मुख्यत: अक्टूबर से मार्च के समय होता है। इस समय आलू की पछेती बुआई का सही समय चल रहा है। किसान पछेती आलू की बुआई 15 नवम्बर से 25 दिसंबर तक कर सकते हैं।

उत्तर प्रदेश आलू की पैदावार में नंबर वन

आलू विश्व की मुख्य फसल होने के साथ-साथ भारत की प्रमुख खाद्य फसल के रूप में प्रसिद्ध है। इसके उत्पादन में भारत का विश्व में चीन (748 लाख टन) के बाद दूसरा स्थान (432 लाख टन) है। विश्व के 150 देशों में आलू की खेती की जाती है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में आलू की फसल लगभग 50 अरब रुपये का योगदान करती है। इसका 80 प्रतिशत से अधिक उत्पादन शरद ऋतु में होता है। भारत में उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार आलू उत्पादक राज्य हैं। उत्तर प्रदेश में लगभग 5.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में 136 लाख टन आलू उत्पादन करते हुए देश में पहले स्थान पर है।

भूमि की तैयारी

आलू की खेती क्षारीय भूमि को छोड़कर सभी प्रकार की भूमि में की जा सकती हैं। जिस मिट्टी का पीएच स्तर 5.5 से 7.5 के बीच का है, वो भूमि आलू की पैदावार के लिए उपयुक्त मानी जाती है। जिस खेत में आलू की बुआई करनी हो, उस खेत में यदि खरीफ के मौसम में हरी खाद के रूप में सनही, ढेंचा की खाद देते हैं तो पैदावार बेहतर होती है। बुआई के 30 दिन पहले गोबर की खाद भी डाल सकते हैं। गोबर की खाद हमेशा शाम के समय खेत में फैलाएं और सुबह जुताई करने के बाद पाटा जरुर लगा दें, जिससे मिट्टी का भुरभुरापन बना रहे। अगर खेत में नमी नहीं है तो बुआई से पहले पलेवा जरुर करें।

बुआई का समय

आलू की अगैती बुआई 15-25 सितम्बर, समय से बुआई 15-25 अक्टूबर, पछेती बुआई का समय 15 नवम्बर से 25 दिसंबर के बीच का होता हैं।

आलू की पछेती प्राजाति – (110-125 दिन) 15 नवम्बर से 25 दिसंबर तक

कुफरी सिंदूरी, कुफरी बादशाह, कुफरी आनंद, कुफरी सफेद, कुफरी चमत्कार, कुफरी देवा, कुफरी किसान मुख्य पछेती प्रजातियां है।

बीज और बुआई की तैयारी

प्रति हेक्टेयर 30-35 क्विंटल आलू के बीज की जरूरत होती है। यदि बीज का आकार बड़ा है तो उसे दो भागों में काट दें। बुआई से एक दिन पहले 0.2 प्रतिशत मैकोजेब से उपचारित करके बीज को छाया में डाल दें। ये प्रयोग उस समय करें, जब अधिकतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस से कम हो।

बीज से बीज और लाइन से लाइन की दूरी

पौधे से पौधे के बीच की दूरी 15-20 सेंटीमीटर, लाइन से लाइन की दूरी 45-60 सेंटीमीटर रखें।

खाद एवम उर्वरक का प्रयोग

जिस खेत में आलू की बोआई करनी हो उसकी मृदा परीक्षण जरुर कराएं और उसी हिसाब से खेत में खाद और उर्वरा का प्रयोग करें। अगर मृदा जांच संभव न हो तो प्रति हेक्टेयर 15-20 टन सड़ी गोबर की खाद बुआई के एक महीने पहले मिट्टी में जरुर मिला दें, इसके साथ ही 180 किलोग्राम नत्रजन (391 किलोग्राम यूरिया), 80 किलोग्राम फास्फोरस (500 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट), 100 किलोग्राम पोटाश, 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट, 18 किलोग्राम बोरेक्स, 10-12 किलोग्राम फोरेट 10-जी का प्रयोग करें जिससे नत्रजन 1/3 भाग मात्रा और शेष सभी उर्वरकों की सम्पूर्ण मात्रा खेत की अंतिम जुताई के समय खेत में मिलाएं। शेष नत्रजन को दो भागों में बांटकर बुआई के 20-25 दिन बाद तथा बुआई के 40-45 दिन पर प्रयोग करें।

(ओपिनियन पीस: डॉ अमर सिंह, वैज्ञानिक उद्यान, कृषि विज्ञान केंद्र, कन्नौज)

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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