प्लास्टिक के कचरे से मुक्ति दिलाएगा यह बैक्टीरिया
Sundar Chandel 8 July 2017 8:16 AM GMT

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
मेरठ। कचरे की मिट्टी से जन्मा बैक्टीरिया अब पर्यावरण की रक्षा करने में सहायक हो सकेगा। इस बैक्टीरिया की खोज मेरठ के तीन छात्रों ने की है। यह बैक्टीरिया दुनियाभर के लिए ज्वलंत समस्या बन चुके प्लास्टिक के कचरे से मुक्ति दिला सकता है।
असल में इन तीन छात्रों ने कचरे से निकले जीवाणु से जैव अपघटन प्लास्टिक का निर्माण किया। यह बैक्टीरिया एक स्थायी तापमान में प्लास्टिक का निर्माण करता है। जांच में बैक्टीरिया द्वारा बनाया गया प्लास्टिक पूरी तरह प्रदूषण रहित पाया गया, जो पर्यावरण की सुरक्षा के लिहाज से ज्यादा अच्छा है।
ये भी पढ़ें-गांव कनेक्शन की कहानी : मुट्ठी भर लोगों ने देखा एक असम्भव सपना
पर्यावरण विद डॉ. सुनील सागर बताते हैं, “हमने माइक्रो बायोलॉजी के तीन स्टूडेंट्स की मदद से यह बैक्टीरिया खोज निकाला है। करीब एक साल तक उन्होंने कचरे से निकले जीवाणु से जैव अपघटन प्लास्टिक का निर्माण किया। हमने सबसे पहले मवाना शुगर मिल, मंगल पांडेय नगर, रंगोली रोड, दौराला शुगर मिल सहित जनपद के 27 स्थानों पर इकठ्ठा होने वाले कचरे के नमूने लिए। इनमें सबसे ज्यादा पाली हाईड्रोब्यूटरेट बनाने वाले बैक्टीरिया की खोज की गई, जो रिजर्व फूड मैटीरियल है जो प्लास्टिक निर्माण में इस्तेमाल होता है।“ उन्होंने आगे बताया, “इस बैक्टीरिया को लैब में ले जाकर परीक्षण किया गया। जिसके बाद इस बैक्टीरिया का नाम रोडसेप रखा गया।”
उन्होंने आगे बताया, “साथ ही लैब में तापमान कम कर यह देखा गया कि सबसे ज्यादा प्लास्टिक का निर्माण बैक्टीरिया कब करता है, जांच में सामने आया कि 30 डिग्री तापमान पर सबसे ज्यादा प्लास्टिक का निर्माण होता है। बैक्टीरिया द्वारा बनाया गया प्लास्टिक पूरी तरह प्रदूषण रहित पाया गया।”
ये भी पढ़ें- सस्ती और अच्छी वर्मी कंपोस्ट बनाने के ये हैं सबसे आसान तरीके
कचरे की मिट्टी से जन्मा बैक्टीरिया पर्यावरण सुरक्षा के लिए भी बहुत फायदेमंद है। खास बात यह है कि बैक्टीरिया बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक निर्माण करने में भी सहायक साबित हुआ है। विषेशज्ञों के अनुसार, यह प्लास्टिक इको फ्रेंडली होने के साथ आसानी से नष्ट भी हो सकेगा। बैक्टीरिया से बनने वाला प्लास्टिक एक नया विकल्प हो सकता है, जो वायू और जल प्रदूषण रोकने में कारगर होगा।
इसलिए है फायदेमंद
पर्यावरण एक्सपर्ट प्रदीप खंडेलवाल बताते हैं, “जिस प्लास्टिक का हम इस्तेमाल करते हैं, यह नॉन डिग्रेबल होती है। इसका अपघटन नहीं होता। यही कारण है कि देश में पर्यावरण के साथ जल प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। बैक्टीरिया द्वारा निर्माण बायोडिग्रेबल प्लास्टिक इको फ्रेंडली है। इससे प्रदूषण न के बराबर होगा, साथ ही धरती की उर्वरा शक्ति भी प्रभावित नहीं होगी।”
ताजा अपडेट के लिए हमारे फेसबुक पेज को लाइक करने के लिए यहां, ट्विटर हैंडल को फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें।
More Stories