टमाटर की खेती में मददगार पावर टिलर

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टमाटर की खेती में मददगार पावर टिलरटमाटर की खेती नगदी फसल के रुप में की जाती है।

कम्यूनिटी जर्नलिस्ट: मोबिन अहमद

रायबरेली। पशुपतिनाथ चौधरी (44 वर्ष) को पहले अपने खेत की तैयारी करने में काफी समय लग जाता था, लेकिन अब उन्होंने नया पावर टिलर ले लिया है, जिससे वो खेती में समय के साथ-साथ अपनी लागत भी बचा लेते हैं।

अब टिलर मशीन से अकेले ही काम कर लेता हूं

रायबरेली जिला मुख्यालय से 50 किमी दक्षिण दिशा में बथुआ गाँव में सब्जियों की खेती बड़े स्तर पर होती है। यहां के किसान ज़्यादातर टमाटर, मूली, गाजर, केला और गन्ने जैसी फसलों को उगाते हैं। 25 बीघे में टमाटर की खेती करने वाले पशुपतिनाथ बताते हैं, ''तीन साल पहले दिल्ली से पांच हार्सपावर का पावर टिलर खरीदा था। यह बड़ी ही आसानी से चलता है और ज़्यादा मेहनत भी नहीं लगती। पहले जहां खेत की गुड़ाई व निराई करने में सात से आठ आदमी लगते थे, वहीं अब टिलर मशीन से सारा काम अकेले ही कर लेता हूं।''

‘’एक हेक्टेयर खेत में बिना पावर टिलर के 1500 रुपए का खर्च बैठता था। (मजदूरी का खर्च शामिल) पावर टिलर से डेढ़ बीघे का खेत तैयार करने में तीन लीटर पेट्रोल लगता है, जिससे एक हेक्टेयर में ज़्यादा से ज़्यादा 800 से 1000 रुपए की लागत आती है।’’
पशुपतिनाथ, किसान

आसानी से कर सकते हैं उपयोग

सब्जियों की खेती के अलावा किसान पावर टिलर की मदद से गन्ने के खेत की गुड़ाई, खरपतवार को हटाने व छोटी मेड़ों को तैयार कर सकते हैं। बाज़ार में 18 इंच से लेकर 36 इंच तक के आकार के पावर टिलर मौजूद हैं। यह 5 हार्स पॉवर से लेकर 11 हार्स पावर तक उपलब्ध हैं। इसमें मेड़ों के हिसाब से ब्लेडों को एड्जस्ट करने की सुविधा है, जिससे यह बड़ी ही आसानी से गन्ने की छोटी मेड़ों के बीच भी चलाया जा सकता है।

पहले लग जाता था आधा दिन

अपने पावर टिलर मशीन को चलाते हुए पशुपति नाथ के भाई विशाल चौधरी बताते हैं,''पहले एक एकड़ खेत की गुड़ाई करने में आधा दिन लग जाता था और मजदूरों को दिहाड़ी अलग से देनी पड़ती थी। टिलर मशीन के आ जाने से एक एकड़ का खेत तैयार करने में डेढ़ से दो घंटे का समय लगता है। यह बड़ी ही आसानी से पेट्रोल की मदद से चलाया जा सकता है।''

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

  

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