गाँवों में बेरोकटोक सज रही शराब की मंडियां

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गाँवों में बेरोकटोक सज रही शराब की मंडियांइस तरह बनाई जाती है शराब।

कम्यूनिटी जनर्लिस्ट: शिवेंद्र बहादुर सिंह

रायबरेली। खीरो ब्लॉक के नंदाखेड़ा बाज़ार क्षेत्र में सूरज ढलते ही स्थानीय लोगों की भीड़ लगना शुरू हो जाती है। यह भीड़ है शराब की मंडी की, जहां अंधेरा होते ही शराब के शौकीन लोग इकठ्ठा होना शुरू हो जाते हैं।

40 से 50 शराब की भट्ठियां

रायबरेली जिला मुख्यालय से 30 किमी. दूर दक्षिण दिशा में खीरो ब्लॉक के लालसाहब के पुरवा गाँव में आए दिन 40 से 50 शराब की भट्ठी धधकने लगती हैं। बाज़ार में रोज़ाना 1200-1300 लीटर शराब तैयार कर बोतलों और डिब्बों में भरकर शाम को मंडी लगती है। इसके साथ ही शराब पीने वाले शौकीन लोगों का जमावड़ा इकट्ठा होने लगता है।

कई बार पड़ा छापा, मगर नहीं हुई कार्रवाई

खीरो ब्लॉक के नंदाखेड़ा गाँव के रहने वाले 40 वर्षीय रमाशंकर मौर्य बताते हैं, ''आज से लगभग 20 से 25 वर्ष पहले से लालसाहब के पुरवा में कच्ची शराब बनती आ रही है। यहां शराब की बिक्री अब एक लघुउद्योग हो गई है। आबकारी विभाग ने यहां कई बार छापा मारा पर आज तक इस पर कोई भी कड़ी कार्रवाई नहीं हो सकी है। शराब बनाने के कारण यहां इतनी दुर्गन्ध भरी महक आती है कि लोगों का रहना भी मुश्किल हो गया है।''

तेजी से फैल रहा अवैध कारोबार

यह ही नहीं इसके साथ खीरो ब्लॉक के सेमरी कोरिहरा गाँव में भी शराब बनाने का अवैध कारोबार बड़ी तेज़ी से फैल रहा है। यहां महुए की बनी कच्ची शराब पीने से कुछ दिनों पहले एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। खीरो ब्लॉक के लालसाहब के पुरवा कस्बे में कच्ची शराब तैयार कर सराय, नयाखेड़ा, गहिरी, सेमरी जैसी कई जगहों पर बेची जा रही है और जिला प्रशासन इस पर कोई भी कार्रवाई नहीं कर रहा है।

क्या बोले जिम्मेदार

अवैध शराब के कारोबार पर खीरो थानाध्यक्ष अमर सिंह रघुवंशी ने बताया, ''शराब बनाने वालों का एक बड़ा संगठन है। शराब बनाने वालों ने इसे एक कुटीर उद्योग बना रखा है क्योंकि वो समझते है कि शराब बनाने पर न ही कोई बड़ा जुर्माना होगा और न ही कोई बड़ी सजा।''

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

   

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