'नहीं पढ़ने वाले बच्चों को भी मेरी इस तरकीब ने किताबों से जोड़ दिया '

बबीता यादव उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में कम्पोजिट विद्यालय दनकौर में टीचर हैं, बच्चों को पढ़ाने के साथ ही बच्चों की पर्सनल ग्रोथ पर भी ध्यान देती हैं।

Babita YadavBabita Yadav   22 Aug 2023 10:44 AM GMT

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नहीं पढ़ने वाले बच्चों को भी मेरी इस तरकीब ने किताबों से जोड़ दिया

मेरा मानना है कि बच्चों की पढ़ाई जितनी ज़रूरी होती है, उतना ही बच्चों के पैशन पर भी ध्यान देना चाहिए, जिससे बच्चों की प्रतिभा बाहर आ सके। अगर कोई बच्चा पढ़ाई में बहुत अच्छा नहीं है तो ज़रूरी नहीं कि उसमें टैलेंट की कमी है। बस बच्चों को सही दिशा दिखाने की ज़रूरत है।

मैं हमेशा से साइन्स स्टूडेन्ट रहीं हूँ, लेकिन मेरा पैशन सिंगिंग रहा है साथ ही मेरे पति को थियेटर का बहुत शौक था इसलिए मैं और हमारे दो बच्चों ने थियेटर भी किया है।

मैंने अपने बच्चों के साथ “सारा का सारा आसमान” प्ले किया है, जिसमें मैंने अपने बच्चों और पति के साथ रोल प्ले किया था। सारा की अम्मी का रोल प्ले किया था। साथ ही शार्ट फिल्म “चिराग” 2019 में की थी ।

जो प्ले मैंने किया है जो भी मैंने सिखा है वो बच्चों को जरूर सिखाना चाहती हूँ, वो सारी चीजें मैं स्कूल में बच्चों को सिखाती हूँ, जिससे उनके अंदर पढ़ाई के साथ कुछ अलग भी करने के लिए हो।


मेरे स्कूल में एक बच्चा लोकेश है, जिसका पढ़ने में मन नहीं लगता था, लेकिन उसके हाव भाव देखकर मैं समझ गयी थी ये बच्चा कुछ अलग कर सकता है, फिर लोकेश जब मेरी क्लास 6 में आया तो मैंने थियेटर की चीजें सिखाना शुरु किया। लोकेश बहुत अच्छा कर रहा है, लोकेश ने जब स्कूल में इतना अच्छा परफॉर्म किया तो बहुत अच्छा लगा। उसने सुदामा का रोल प्ले किया और अपने दोस्त को उसने कृष्ण बनने का मौका भी दिया।

नाटक के मंचन से जुड़ा सारा काम उसने खुद किया था। सभी बच्चों की ड्रेस का इन्तजाम उसने ही किया, जिसमें मुझे कुछ अलग से नहीं करना पङा था। मैं तीन सालों से लोकेश को जानती हूँ लेकिन स्कूल में इतना अच्छा परफॉर्म करेगा किसी को नहीं लगा था। ये किसी को नहीं पता होता की कोई बच्चा पढ़ाई में अच्छा नहीं तो इसका मतलब ये नहीं कि उसमें टैलेंट की कमी है। बस हमारा काम है बच्चों को मोटिवेट करना।

स्कूल में समर वेकेशन में वंशिका ने अनाज से ज्वेलरी बनाई थी और रिंकू ने प्याज के छिलके से फूल बनाया था। लोकेश ने गणेश भगवान की मूर्ति बनायी। हमारे स्कूल के बच्चे बहुत अच्छे कलाकार हैं। जब स्कूल में कोई बच्चा परफॉर्म करता हैं तो बच्चे पूछते हैं मैम उन दीदी का न्यूज़ पेपर में आया था मेरा कब आएगा , तो मैं उन्हें समझाती हूँ कि आप लोग भी मेहनत करो आ जाएगा आप लोगों का भी।

स्कूल के बच्चों को बाहर लेकर जाना उनके नाटकों का मंचन करना आसान नहीं है, लेकिन बच्चों के लिए ये स्पेशल होता है। बच्चों को अच्छा लगता है। मैं जब स्कूल के बच्चों को लेकर जाती हूँ, तो हमारे स्कूल के पढ़े हुए भईया नरेन्द्र भाटी का पूरा सहयोग मिलता है। थियेटर तक उन्हें ले जाना और उनका ध्यान रखना ज़िम्मेदारी का काम है, इसमें उनका सहयोग मिल जाता है।

आप भी टीचर हैं और अपना अनुभव शेयर करना चाहते हैं, हमें [email protected] पर भेजिए

साथ ही वीडियो और ऑडियो मैसेज व्हाट्सएप नंबर +919565611118 पर भेज सकते हैं।

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