'बच्चों के सिखाने के साथ ही ख़ुद भी सीखता हूँ, ताकि उनके लिए कुछ बेहतर कर पाऊँ'

प्रवीण कुमार मिश्रा यूपी के गोरखपुर में उच्च प्राथमिक विद्यालय बेलकुर में अध्यापक हैं। टीचर बनने की यात्रा से पहले वो एक ऐसी बड़ी कंपनी में काम कर रहे थे जिसके दफ़्तर कई देशों में थे। ऐसे में शुरू में उन्हें कुछ परेशानियाँ भी हुईं। टीचर्स डायरी में आज वो अपनी उसी यात्रा का ज़िक्र कर रहे हैं।

Praveen Kumar MishraPraveen Kumar Mishra   5 Jun 2023 7:22 AM GMT

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बच्चों के सिखाने के साथ ही ख़ुद भी सीखता हूँ, ताकि उनके लिए कुछ बेहतर कर पाऊँ

लगभग 10 साल तक कई मल्टीनेशनल कंपनियों (विदेशो में भी जिनके दफ़्तर थे) में काम करने के बाद जब साल 2015 में मेरी तैनाती उच्च प्राथमिक विद्यालय बेलकुर में हुई तो कई दिक्क्तों ने मेरा स्वागत किया। ज़्यादातर गाँव के परिवेश की चीज़ों से मैं परिचित नहीं था। शुरू में कुछ दिनों तक तो मैं इस कशमकश में था कि क्या प्राइवेट अच्छी नौकरी छोड़कर यहाँ सरकारी नौकरी में आने का मेरा फैसला सही है ? क्या मैं गाँव की इन परिस्थितियों से तालमेल बना कर अपनी भूमिका से न्याय करने में सफल हो पाऊँगा?

लेकिन ज़ल्द ही बच्चों से मिलने वाले स्नेह और सम्मान ने मेरे मन में चल रहे हर सवाल का जवाब दे दिया कि मुझे अब अपने छात्रों का विकास करना है और उनके सपनों को पूरा करना है। और मेरा पहले का अनुभव मुझे यहाँ बेहतर काम करने में सहयोग करेगा।

जब मार्गदर्शक के रुप में प्रधानाध्यापक शैलेंद्र कुमार सिंह और बाद में सहयोगी के रुप में अमित कुमार यादव का सहयोग मिला तो हमारी पूरी टीम ने विद्यालय की दशा और दिशा बदलने में पूरी ताक़त लगा दी।


एक शिक्षक के रूप में हमारे लिए सबसे मुश्किल काम था स्कूल को लेकर लोगों की सोच को सकारात्मक करना। इसके लिए हमारे स्कूल की पूरी टीम ने खूब काम किया। हमारे छोटे-छोटे प्रयासों से बड़े बदलाव दिखने लगे। जिससे उच्च प्राथमिक विद्यालय बेलकुर के विद्यार्थी न सिर्फ ब्लॉक और जनपद स्तर बल्कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी अपनी चमक बिखेर रहे हैं।

आज स्कूल और हमारे बच्चे राष्ट्रीय छात्रवृत्ति परीक्षा, प्रधानमंत्री इंस्पायर अवार्ड योजना, आई०आई०टी० गांधीनगर द्वारा आयोजित फ़िल्म निर्माण प्रतियोगिता, मण्डल,जनपद स्तरीय विज्ञान प्रतियोगिता, गोरखपुर महोत्सव के विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्थान, जनपद स्तरीय खेल कूद प्रतियोगिता में न केवल शामिल होते हैं, बल्कि यहाँ नाम भी करते हैं।

मैंने बच्चों को सिखाने के साथ-साथ स्वयं के सीखने का क्रम भी जारी रखा ताकि बच्चों के लिए कुछ बेहतर कर पाऊँ। मैंने समग्र शिक्षा राज्य परियोजना कार्यालय द्वारा मॉड्यूल और बुनियादी शिक्षा पर आधारित 100 शैक्षिक वीडियो का विकास किया। यूनिसेफ के सहयोग से दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए ई कंटेंट बनाया, निष्ठा प्रशिक्षक के रूप में जनपद के 7 ब्लॉक में प्रशिक्षण की ज़िम्मेदारियों को निभाया

और मेरा चयन स्टेट टीचर रिसोर्स रिपॉजिटरी सदस्य के रूप में भी हो गया है।

मेरा काम केवल मेरे विद्यालय तक ही नहीं सीमित है, अपने शिक्षक साथियों को टेक्नो सेवी (कम्प्यूटर, मोबाइल की जानकारी देना) बनाने के लिए कई साल से ऑनलाइन आईसीटी वर्कशॉप और जनपद में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रति जागरूकता के लिए मुहिम चला रहा हूँ।

बच्चों के विकास के लिए किए जा रहे कामों को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने 5 सितंबर 2022 को राज्य अध्यापक पुरस्कार से मुझे सम्मानित भी किया है।

ये उपलब्धियाँ हमारे मार्ग में आने वाले छोटे - छोटे पड़ाव हैं जिनको पार करके हमें लक्ष्य तक पहुँचना है। हमारा लक्ष्य है विद्यालय के बच्चों का पूरा विकास, जिससे वे भविष्य में देश और समाज के विकास में अपना योगदान दे सकें।

आप भी टीचर हैं और अपना अनुभव शेयर करना चाहते हैं, हमें [email protected] पर भेजिए

साथ ही वीडियो और ऑडियो मैसेज व्हाट्सएप नंबर +919565611118 पर भेज सकते हैं।


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