चुनाव में इस बार कम दिखेंगे उड़नखटोले
Ashwani Nigam 29 Nov 2016 3:48 PM GMT

लखनऊ। आम लोकसभा चुनाव के बाद देशभर की निगाहें अगर किसी प्रदेश के चुनाव पर सबसे ज्यादा होती हैं तो वह उत्तर प्रदेश है। यहां के चुनाव को मिनी लोकसभा का चुनाव भी कहा जाता है।
प्रदेश में सक्रिय सभी बड़ी पार्टियां चुनाव प्रचार को भव्यता प्रदान में करने में काई कसर नहीं छोड़ती हैं। लेकिन नोटबंदी के असर विधानसभा चुनाव प्रचार प्रचार के लिहाज से फीका होने वाला है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में नेताओं को जोर सबसे ज्यादा हेलीकाप्टर से चुनाव प्रचार करने में होता है। बड़ा राज्य होने के कारण अधिक से अधिक जनता तक अपनी पहंच बनाने के लिए नेता हेलीकाप्टर से रैलियों को संबोधित करने जाते हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में प्रदेश के विभिन्न एयरपोर्ट के स्टेट हैंगर में दर्जनों हेलीकाप्टर का आना जाना लगा रहता था। आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी विभिन्न एविएशन कंपनियों के नुमांइदें दिल्ली और लखनऊ आकर पार्टियों से संपर्क में थे। लेकिन नोटबंदी ने उनमी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। स्थित यह है कि कि इस बार नेताओं का जोर हेलीकाप्टर की बजाए अब रोड शो पर ज्यादा है।
बीबीसी से जुड़े रहे और पिछले चार दशक से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी का कहना है कि यूपी विधानसभा चुनाव हेलीकाप्टर से चुनाव प्रचार करना एक स्टेटस सिंबल भी था। बड़े नेतओं के अलावा जो मझोले नेता है वह भी चुनाव प्रचार के लिए हेलीकाप्टर की डिमांड करते थे। यूपी चुनाव प्रचार संसाधन के जरिए ग्लैमराइज करने का काम यहां के सभी राजनीतिक दलों ने किया। लेकिन इस बार के चुनाव प्रचार में अभी तक जो ट्रेंड देखने को मिल रहा है उसके अनुसार राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव प्रचार में विज्ञापन का बजट कम करेंगी। क्योंकि नोटबंदी के असर उनपर प्रभाव पड़ा है। संसाधन के मामले में केन्द्र में सरकार होने की वजह से बीजेपी सबसे भारी है।
लौटेगा पोस्टर वार का युग
चुनाव प्रचार में कभी झंडा, बैनर, पोस्टर और हैंडबिल पर सबसे ज्यादा जोर होता था। चुनाव प्रचार के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों के लोग जीप और टैक्सी के जरिए गांव-गांव जाकर दीवारों पर पोस्टर चिपकाकर वोट मांगते थे। पोस्टरों में अपने दल की घोषणा और विपक्षी दलों पोल खोली जाती थी। लेकिन साल 2000 के बार चुनाव प्रचार के इस परंपरागत तरीके की जगह बड़े-बड़ होर्डिंग्स ओर चुनावी रैलियों ने ले ली। लेकिन नोटबंदी के बाद इस बार के विधानसभा चुनाव में पोस्टर युग फिर लोटेगा। साथ ही गांवों में घूम-घूम कर माइक के जरिए चुनाव प्रचार भी जोर रहेगा।
More Stories