सपा में अंतरकलह : अब गेंद अखिलेश के पाले में
Rishi Mishra 25 Oct 2016 9:28 PM GMT
लखनऊ। नेता जी (मुलायम सिंह यादव) धोबी पछाड़ दांव के महारथी रहे हैं। सैफई के अखाड़ों में उन्होंने ये दांव कई बार अपने विरोधियों पर आजमाया है। मगर मंगलवार दोपहर हुई प्रेस कांफ्रेंस में वे भले बात मीडिया से कर रहे थे, मगर धोबी पछाड़ दांव का इस्तेमाल उन्होंने अपने बेटे पर ही कर दिया है। इस सियासती कुश्ती में अब जवाब देने की बारी बेटे अखिलेश की है। इससे बड़ा दांव मुख्यमंत्री अखिलेश खेल कर या तो विजेता बन जाएंगे या फिर समझौता कर के अपने पिता और उनका वरदहस्त प्राप्त कर चुके चाचा शिवपाल यादव और बर्खास्त मंत्रियों के वर्चस्व को स्वीकार कर लें।
प्रेस कांफ्रेंस में जो माहौल था, उसमें अखिलेश यादव को इग्नोर करने की नीति साफ नजर आई। चार बर्खास्त मंत्रियों और मुख्यमंत्री के धुर विरोधी एमएलसी आशु मलिक को साथ लेकर नेता जी ने स्पष्ट संदेश दे दिया है। सीएम अब अपना विकल्प चुन लें। उनसे जब बर्खास्त मंत्रियों को लेकर सवाल पूछा गया तो मुलायम सिंह यादव ने स्पष्ट कहा कि अब मुख्यमंत्री को खुद तय करना है कि वह क्या करेंगे। इसके साथ ही नेता जी खुद कोई भी समझौता नहीं करने जा रहे हैं उन्होंने ये कह कर स्पष्ट कर दिया कि विधायक तय करेंगे कि उनका मुख्यमंत्री कौन होगा। इससे इस बात को वजन मिला कि अखिलेश इस बार सीएम फेस के तौर पर चुनाव में नहीं जाने वाले हैं। भाई रामगोपाल पर निशाना साध कर सपा सुप्रीमो ने जता दिया कि अब उनकी वापसी का कोई भी आसार नहीं है।
इसलिए अपने किये गये फैसलों को वापस ले लें या फिर अपना एक नया रास्ता चुन लें। अगर सीएम नेता जी के किये इशारे के हिसाब से चले तो तय है कि अब तक हुई कवायद अखिलेश यादव के लिए एक आत्मघाती कदम हो जाएगी। जबकि नया रास्ता चुनने से एक ऐसा विभाजन होगा, जिसके दोबारा जुड़ पाने की संभावना न के बराबर ही होगी। कुल मिला कर अब खेल का पड़ाव सीएम अखिलेश को ही तय करना होगा।
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