उन्नाव: सफीपुर विधानसभा में चौदह में छह बार एक ही प्रत्याशी ने विजय हासिल की

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उन्नाव: सफीपुर विधानसभा में चौदह में छह बार एक ही प्रत्याशी ने विजय हासिल कीविधानसभा भवन, लखनऊ।

श्रीवत्स अवस्थी

स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क

उन्नाव। सफीपुर विधान सभा जिले की राजनीति में अपना विशेष स्थान रखती है। मखदूम शाह सफी की दरगाह के चलते देश-विदेश में चर्चित यह क्षेत्र कभी कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता था। लेकिन, समय के साथ कमजोर पड़ती कांग्रेस को किनारे कर सपा ने इस क्षेत्र पर कब्जा जमा लिया।

हालांकि, दलित वोटरों की संख्याबल के आधार पर इस विधान सभा क्षेत्र को सुरक्षित क्षेणी में रखा गया है बावजूद इसके बसपा को इस विधान सभा क्षेत्र में कोई खास उपलब्धि नहीं मिली। लेकिन दल बदल की राह पकड़ कर राजनैतिक हित साधने वाले सुन्दरलाल अब तक इस क्षेत्र से छह बार विधायक रह चुके है। सपा से वर्तमान विधायक को प्रदेश सरकार ने राज्यमंत्री के पद से नवाजा है।

विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 286958 हैं, जिसमें पुरुष मतदाता 161123 व महिला मतदाता 125835 हैं। दो हजार बारह के चुनाव में कुल दस प्रत्याशियों में समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधीर कुमार ने 72869 मत प्राप्त कर विजय प्राप्त किया था, जबकि बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रामबरन को 63815 मत मिले थे। भाजपा के राधेश्याम और कांग्रेस के मनीष कुमार को क्रमश: तीसरा और चौथा स्थान मिला था। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सुरक्षित सीट होने के बावजूद बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी को एक बार भी जीत का स्वाद नहीं मिला है। इस विगत 4 विधानसभा चुनावों में लगातार बसपा के प्रत्याशी को दूसरे स्थान पर संतोष करना पड़ रहा है। भारतीय जनता पार्टी के बाबू लाल को दो बार जीत हासिल हुई है। कांग्रेस का प्रत्याशी भी यहां से जीत चुका है। एक महत्वपूर्ण बात और है कि अलग-अलग पार्टियों से प्रत्याशी बने सुंदरलाल ने कुल चौदह बार हुए चुनावों में छह बार विजय पताका फहराया है।

क्षेत्र में जानकी कुंड परियर का महत्वपूर्ण स्थान ऐतिहासिक स्थलों के दृष्टिकोण से देखा जाए तो जानकी कुंड परियर महत्वपूर्ण स्थान है। पर्यटन के दृष्टिकोण से भारत सरकार की तरफ से क्षेत्र का विकास किया जा रहा है। लवकुश विश्वविद्यालय की स्थापना भी की गई है। गंगा नदी के तट पर स्थित सफीपुर विधानसभा का क्षेत्र अभी भी विकास की किरणों से दूर है। जहां प्रत्येक वर्ष गंगा का विकराल रूप सैकड़ों गांव को अपने आगोश में लेकर तहस-नहस कर देता है। क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या बाढ़ का कोई स्थाई निदान अभी तक नहीं हो पाया है। बिजली, सडक़, बेरोजगारी अपने आप में एक समस्या है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सफीपुर में स्वास्थ्य कर्मियों की कार्यप्रणाली से स्थानीय लोगों में रोष व्याप्त रहता है। विधानसभा के कई क्षेत्रों में कच्ची दारू कुटीर उद्योग का रूप ले चुका है, जिससे आए दिन हादसे भी होते रहते है। इन सब समस्याओं के बीच विधान सभा चुनाव दो हजार सत्तरह में परचम किस पार्टी का लहराता है, यह समय बताएगा।

बेटे के सिर पर नहीं सजा सके विधायकी का ताज

छह बार विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले सुन्दरलाल पुत्रमोह के कारण राजनीति की मुख्य धारा से बाहर हो गये थे। अपनी विरासत पुत्र को सौंपने की चाहत में सारी जोर जुगत कर वर्ष दो हजार सात में अपने पुत्र मनीष को सफीपुर विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में बसपा का प्रत्याशी बनवाने में सफलता हासिल की। मगर मनीष के साथ भी कुछ ऐसा ही रहा और वह विधान सभा का चुनाव सपा प्रत्याशी सुधीर रावत से हार गए। वर्ष दो हजार बारह में सुंदरलाल कुरील ने एक और प्रयास करते हुए बेटे को कांग्रेस से टिकट दिलायी लेकिन इस बार भी उन्हें चौथे स्थान से संतोष करना पड़ा।

This article has been made possible because of financial support from Independent and Public-Spirited Media Foundation (www.ipsmf.org).

       

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