नैनो टेक्नोलॉजी में रोजगार के बहुत हैं अवसर

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नैनो टेक्नोलॉजी में रोजगार के बहुत हैं अवसरप्रतीकात्मक फोटो

21वीं सदी नैनो सदी बनने जा रही है। आज वस्तुओं के आकार को छोटा और मजबूत बनाने की होड़-सी मची हुई है। विभिन्न क्षेत्रों में नैनो तकनीक विकसित करने के लिए दुनिया भर में बड़े पैमाने पर शोध हो रहे हैं। अति सूक्ष्म आकार, बेजोड़ मजबूती और टिकाऊपन के कारण इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिसिन, ऑटो, बायोसाइंस, पेट्रोलियम, फॉरेंसिक और डिफेंस जैसे तमाम क्षेत्रों में नैनो टेक्नोलॉजी की असीम संभावनाएं बन रही हैं।

नैनो टेक्नोलॉजी का भविष्य

डॉ. बाल चंद्र यादव बताते है कि भविष्य में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं होगा, जो नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करेगा, इसलिए इस क्षेत्र में रोजगार की जबरदस्त संभावनाएं दिखाई दे रही हैं। विज्ञान, इंजीनियरिंग व टेक्नोलॉजी के किसी भी विषय से ग्रेजुएट, पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर नैनो टेक्नोलॉजी विषय लिया जा सकता है। तकनीकी जानकारों का मानना है कि आने वाला समय नैनो टेक्नोलॉजी का होगा। इससे ऐसी सूक्ष्म दवा बनाई जा सकेगी, जो कैंसर की करोड़ों कोशिकाओं में से किसी एक को पहचान कर उसका अलग से इलाज कर सकेगी।

नैनो टेक्नोलॉजी क्या है?

नैनो का अर्थ है ऐसे पदार्थ, जो अति सूक्ष्म आकार वाले तत्वों (मीटर के अरबवें हिस्से) से बने होते हैं। नैनो टेक्नोलॉजी अणुओं व परमाणुओं की इंजीनियरिंग है, जो भौतिकी, रसायन, बायो इन्फॉर्मेटिक्स व बायो टेक्नोलॉजी जैसे विषयों को आपस में जोड़ती है। इस प्रौद्योगिकी से विनिर्माण, बायो साइंस, मेडिकल साइंस, इलेक्ट्रॉनिक्स व रक्षा क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सकता है, क्योंकि इससे किसी वस्तु को एक हजार गुणा तक मजबूत, हल्का और भरोसेमंद बनाया जा सकता है। नैनो विज्ञान अति सूक्ष्म मशीनें बनाने का विज्ञान है। ऐसी मशीनें, जो इंसान के जिस्म में उतर कर, उसकी धमनियों में चल-फिर कर वहीं रोग का ऑपरेशन कर सकें। ऐसी मशीनें, जो मोबाइल को आपके नाखून से भी छोटा कर दें। जो ऐसी धातु बना दें, जो स्टील से दस गुना हल्की और सौ गुना मजबूत हो। यानी वह धातु, जिससे ऐसे खंभे बनाए जा सकें, जो सिर्फ कुछ इंच के हों, लेकिन पुल का बोझ सह सकें। नेसकॉम की रिपोर्ट के मुताबिक नैनो टेक्नोलॉजी का अनुमानित बाजार 2015 तक 180 अरब डॉलर से बढ़ कर 891 अरब डॉलर हो जाएगा। इसके साथ ही दुनिया भर में 1.2 करोड़ नए रोजगार पैदा होंगे, जिसमें एक बड़ा हिस्सा भारत का होगा। अमेरिका, जापान और चीन के बाद भारत इस क्षेत्र में शोध पर सबसे अधिक निवेश करने वाला देश है। फिलहाल 400 से अधिक कंपनियां इस प्रौद्योगिकी पर आधारित 1000 से अधिक वस्तुएं बाजार में उतार चुकी हैं। भारत की तीस से अधिक कंपनियां सैकड़ों करोड़ के नैनो उत्पादों को अमेरिका, जर्मनी और पोलैंड जैसे देशों को निर्यात कर रही हैं। बेंग्लुरू में बन रहा नैनो-एस एंड टी पार्क देश को विश्व के नैनो टेक्नोलॉजी बाजार में स्थापित करेगा।

कौन बन सकता है नैनो इंजीनियर

नैनो टेक्नोलॉजी का मुख्य काम आज की तकनीक का प्रयोग करते हुए भविष्य के लिए बेहतर रिजल्ट तैयार करना है, इसलिए छात्रों को नए अनुसंधानों के बारे में जानकारी होनी जरूरी है। यदि फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स व बायोलॉजी में अच्छी पकड़ है तो इससे अतिरिक्त लाभ मिल सकता है। नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में करियर बनाने वाले छात्रों का धैर्यशील होना आवश्यक है। इस क्षेत्र में कठिन और निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है।

प्रमुख कोर्स

  • बी.टेक. इन नैनो टेक्नोलॉजी
  • एम.टेक. इन नैनो टेक्नोलॉजी
  • पी.जी. इन नैनो टेक्नोलॉजी

योग्यता

नैनो टेक्नोलॉजी में करियर बनाना है, तो तैयारी 12वीं से ही करनी होगी। बारहवीं की परीक्षा भौतिकी, रसायन और जीव विज्ञान या गणित से पास होनी चाहिए, क्योंकि इसके बाद ही ग्रेजुएशन में साइंस रख पाएंगे। यही नैनोटेक का आधार भी है। जिन छात्रों ने मेकेनिकल, केमिकल, इलेक्ट्रानिक्स, बायो टेक्नोलॉजी, कम्प्यूटर साइंस जैसे विषयों से एमटेक किया है, वे भी इस क्षेत्र से जुड़ सकते हैं। नैनो टेक्नोलॉजी में पीजी करने के लिए साइंस में 50 प्रतिशत अंकों के साथ ग्रेजुएट होना जरूरी है। एम.टेक. करने के लिए बायोटेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्प्यूटर साइंस, मैटीरियल साइंस, मैकेनिकल, बायो मेडिकल, केमिकल में से किसी भी विषय में बी.टेक. की डिग्री आवश्यक है। कुछ संस्थानों ने नैनोटेक्नोलॉजी में बी.टेक. की डिग्री भी शुरू की है।

वेतन

अगर आप नैनो टेक्नोलॉजी में बीटेक हैं तो शुरुआती दौर में 20 से 25 हजार रुपए आसानी से कमा सकते हैं। अगर एमटेक किया है तो वेतन 20 से 30 हजार रुपए प्रतिमाह तक जा सकता है। हालांकि आपकी क्षमता के आधार पर यह राशि लाखों में भी पहुंच सकती है।

किन-किन क्षेत्रों में हैं अवसर

डॉ. यादव बताते हैं कि नैनो टेक्नोलॉजी का अर्थ है साइंस ऑफ मिनिएचर यानी छोटी चीजों का विज्ञान। जब कोई वस्तु या सामग्री नैनो डाइमेंशन में बदल जाती है तो उसके भौतिक, रासायनिक, चुंबकीय, प्रकाशीय, यांत्रिक और इलेक्टि्रक गुणों में भी भारी परिवर्तन आ जाता है। यह तकनीक मेडिकल साइंस, पर्यावरण विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, कॉस्मेटिक्स, सिक्योरिटी, फैब्रिक्स और विविध क्षेत्रों में उपयोगी है। फार्मा, मेडिकल, कृषि, डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और खाद्य एवं पेय पदार्थ की कंपनियों में, सरकार एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा चलाए जा रहे शोध एवं विकास के प्रोजेक्ट में, शिक्षा और शोध में, बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में और प्रोडक्ट डेवलपमेंट में यह उपयोगी है।

एक्सपर्ट व्यू

आने वाला समय नैनो टेक्नोलॉजी का है, नैनो टेक्नोलॉजी मार्केट का काफी तेजी से विस्तार हो रहा है। वैज्ञानिक गतिविधियां बढ़ने और हर क्षेत्र में नैनो टेक्नोलॉजी की बढ़ती मांग की वजह से पिछले कुछ वर्ष में इस क्षेत्र में अत्यधिक विस्तार की जरूरत पड़ रही है। नैनो टेक्नोलॉजी का अर्थ है साइंस ऑफ मिनिएचर मतलब लघुत्तर का विज्ञान। जब कोई वस्तु या सामग्री नैनो डाइमेंशन में बदल जाती है तो उसके भौतिक, रासायनिक, चुम्बकीय, प्रकाशीय, यांत्रिक और इलेक्टि्रक गुणों भी भारी परिवर्तन आ जाता है।

यह तकनीक मेडिकल साइंस, पर्यावरण विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, कॉस्मेटिक्स, सिक्योरिटी, फैब्रिक्स और विविध क्षेत्रों में बहुत उपयोगी है। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं होगा जो भविष्य में नैनो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं करेगा। इस क्षेत्र में रोजगार की बहुत संभावनाएं हैं। विज्ञान, इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी के किसी भी विषय से स्नातक, पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर नैनो टेक्नोलॉजी विषय ले सकते हैं।”
डॉ. बाल चंद्र यादव, नैनो मेटेरियल के प्रोफेसर- बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर कॉलेज

प्रमुख संस्थान

  • आईआईटी-रुड़की, मुंबई, गुवाहाटी , कानपुर
  • एमिटी इंस्टीट्यूट ऑफ नैनो टेक्नोलॉजी
  • अलीगढ़ मुस्लिम यूनीर्वसिटी, अलीगढ़
  • जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस साइंटिफिक रिसर्च, बेंगलुरू
  • पुणे यूनिवर्सिटी, पुणे
  • दिल्ली यूनिवर्सिटी, दिल्ली
  • भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली

जरूरी स्किल्स

डॉ. यादव कहते सिर्फ नैनो टेक्नोलॉजी के लिए ही नहीं बल्कि किसी भी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए छात्रों को विद्यार्थियों को अपने जीवन में पांच लक्षणों काकचेष्ठा, बकोध्यान, स्वान निद्रा, अल्पहार तथा ब्रह्मचर्य को अपनाना चाहिए। यादव आगे कहते हैं कि लॉजिकल दिमाग तथा एकाग्रता के साथ सीखने की चाहत इस क्षेत्र में प्रवेश करने की न्यूनतम जरूरत है। मैथ्स में स्ट्रॉन्ग होना जरूरी है। नई तकनीक और अन्य चीजों के प्रति जागरूकता होनी चाहिए। काम में एकाग्रता होनी चाहिए।

   

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