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अनु रॉय
"लेखिका महिला एवं बाल अधिकारों के लिए काम करती हैं। प्रकाशित लेख में उनके निजी विचार हैं।"


धड़क जो धड़कनों में उतरेगी आहिस्ता-आहिस्ता
'जो मेरे दिल को दिल बनाती है तेरे नाम की कोई धड़क है ना।' सच है न। बिना प्रेम के हम क्या हम होते जो आज हैं, नहीं। प्रेम में हम रचते हैं ख़ुद को नए सिरे से। हम महबूब बन जाते हैं और महबूब हम। ...
अनु रॉय 23 July 2018 7:51 AM GMT