देश में ज्यादा नए शहर देखने को नहीं मिलेंगे: देवरॉय
गाँव कनेक्शन 21 July 2016 5:30 AM GMT
नई दिल्ली (भाषा)। देश में निकट भविष्य में अधिक नए या निजी रुप से विकसित शहर देखने को नहीं मिलेंगे, क्योंकि ज्यादातर प्रयास मौजूदा शहरी क्षेत्रों को पुनर्गठित करने पर केंद्रित हैं। नीति आयोग के सदस्य विवेक देवरॉय ने यह बात कही है।
देवरॉय ने यहां एक सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मुझे लगता है कि वह विशिष्ट मामला होगा जबकि भारत पूरी तरह निजी तौर पर वित्तपोषित शहर देखेगा। यह होना संभव नहीं है। न ही ऐसा होगा जबकि पूरी तरह नए शहर देखने को मिलेंगे।'' उन्होंने कहा कि कुछ होगा, पर बहुत हद तक हम पुराने शहरों का विकास ही देखेंगे।
देवरॉय का मानना है कि 2001 से 2011 के दौरान शहरीकरण में आधी वृद्धि पुराने शहरों में हुई है जिससे संचालन की समस्या भी पैदा हुई है। उन्होंने कहा कि भारत में शहरीकरण कुछ अव्यवस्थित रहा है। इसकी योजना बेहतर तरीके से नहीं बनाई गई। ज्यादातर जब हम शहरीकरण की प्रकृति, संसाधनों के कम दक्ष प्रयोग की शिकायत करते हैं, तो ये मुख्य रुप से शहरीकरण के खराब प्रबंधन से संबंधित बात होती है।
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