106 साल की मां अपना और बेटे का रखती हैं पूरा ख्याल
गाँव कनेक्शन 5 July 2016 5:30 AM GMT
टिकरी (कानपुर देहात)। जिस उम्र में लोग बिस्तर से भी नहीं उठ पाते हैं, उसी उम्र में 106 वर्ष की पार्वती अपना और अपने 87 वर्ष के बेटे का भी पूरा ख्याल खुद रखती हैं। इस उम्र में भी वो किसी की मोहताज नहीं हैं।
कानपुर देहात जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मैथा ब्लॉक से पूरब दिशा में टिकरी गाँव हैं। इस गाँव में रहने वाली पार्वती के पोते और उनकी पत्नी ने उन्हें अपने घर से अलग कर दिया। ऐसे में पार्वती अपने बीमार बेटे का ख्याल खुद रखती हैं।
अपने घर की स्थिति के बारे में पार्वती बताती हैं, “मेरे पास अस्सी बीघे जमीन है, इसके बाद भी मेरी कोई पूछ नहीं है। अगर काम नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या, कौन है, इस बुढ़ापा में सहारा। कुछ काम करते रहेंगे तो जिन्दगी के दिन आसानी से कट जाएंगे।”
पार्वती इस उम्र में भी अपना पूरा काम खुद करती हैं। जैसे-कुएं से पानी भरना, घर की लिपाई-पोताई करना, बकरियां चराना और खाना खुद बनाना उनकी दिनचर्या में शामिल है। उनका एक बेटा है, जिसका नाम जसवंत सिंह (87 वर्ष) है, जसवंत सिंह की शादी के कुछ साल बाद एक बेटा हुआ और उनकी पत्नी का देहांत हो गया। एक नाती लोकेन्द्र सिंह (65) है जो अपने बीबी-बच्चों के साथ अलग रहते हैं। लोकेन्द्र न तो अपने पिता को खाना देता है और न ही अपनी दादी को।
“बदलते जमाने के साथ लोगों के संस्कार बदल रहे हैं, अब बच्चे कहां किसी के बुढ़ापे में सहारा बन रहे हैं, हमें भी पार्वती चाची को देखकर लगता है कि हमारी भी बुढ़ापे में ऐसी ही दशा होगी।” उनके गाँव की निर्मला सिंह (50 वर्ष) कहती हैं।
पार्वती भावुक होते हुए बताती हैं, “जब तक जिन्दगी के दिन हैं तब तक काम तो करना ही पड़ेगा, अब तो भगवान से बस एक ही दुआ है कि हमें जल्दी उठा लें, हमें तो किसी का ये भी सहारा नहीं है कि बीमार पड़ने पर हमे कोई एक गिलास पानी भी देगा।”
इसी गाँव में रहने वाले चन्द्र भूषण सिंह (55 वर्ष) बताते हैं, “अब के बच्चों का कोई सहारा न करे कि बुढ़ापे में उन्हें रोटी मिलेगी, गाँव में पार्वती ही नहीं ऐसे तमाम बुजुर्ग हैं, जिनके बेटे अपने परिवार के साथ अलग रहते हैं, उन्हें अपनी मां से कोई मतलब नहीं है।”
स्वयं वालेंटियर: कोमल सिंह
स्कूल: रोहन सिंह इंटर कॉलेज ब्लॉक
पता: मैथा - कानपुर देहात़
स्वयं प्रोजेक्ट डेस्क
More Stories