1988 में बने क़ानून से अब कसेगा कालेधन पर शिकंजा: वित्त मंत्री

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1988 में बने क़ानून से अब कसेगा कालेधन पर शिकंजा: वित्त मंत्री1988 में बने कानून से अब कसेगा कालेधन पर शिकंजा: वित्त मंत्री

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने देश में बेनामी संपत्तियों को जब्त करने के प्रावधान वाले विधेयक को बुधवार को लोकसभा में पेश करते हुए कहा कि ये काले धन पर रोक लगाने की दिशा में अहम कदम होगा।

बेनामी संव्यवहार प्रतिषेध संशोधन विधेयक 2015 पेश करते हुए जेटली ने कहा कि मूलरूप से 1988 में कानून बनाया गया था लेकिन नियम नहीं बनाये गये और प्रणाली के अभाव में ये प्रभावी नहीं हो सका। बाद में कोशिश की गई और ये विधेयक लाया गया है।

जेटली ने कहा कि इससे पहले 2011 में तत्कालीन संप्रग सरकार पुराने कानून में संशोधन के बजाय एक नया विधेयक लाई थी, जिसके चलते 1988 से अब तक की संपत्तियां बिना दंडनीय कार्रवाई के रह जातीं।

वित्त मंत्री ने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार साल 1988 के मूल अधिनियम में ही संशोधन लेकर आई है। उन्होंने कहा कि विधेयक स्थाई समिति में गया और सरकार ने समिति की कई महत्वपूर्ण सिफारिशों को मान लिया है। 

जेटली ने कहा कि काले धन का निवेश दूसरे लोगों के नाम पर या ऐसे लोगों के नाम पर जमीन के लेनदेन में किया जाता है जिनका अस्तित्व ही नहीं है, ऐसे में ये बेनामी संपत्ति होती है। ये विधेयक ऐसे लोगों को हतोत्साहित करेगा और इसमें उन पर अभियोजन के साथ दंडनीय कार्रवाई का प्रावधान करेगा। हालांकि वित्त मंत्री ने कहा कि हिंदू अविभाजित परिवार और ट्रस्टों की संपत्तियों से जुड़े कुछ मामलों में छूट का भी प्रावधान है।

वित्त मंत्री ने कहा, ''ये एक महत्वपूर्ण काला धन निरोधक कदम है।'' विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के एस पी एम गौड़ा ने कहा कि बेनामी लेनदेन एक गंभीर अपराध है और सरकार की जिम्मेदारी न केवल बेनामी लेनदेन को रद्द करने की बल्कि इसकी रोकथाम करने की भी है।

 

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