दो वर्ष पहले शुरू किया पोल्ट्री करोबार, आज कमा रहे लाखों
Diti Bajpai 3 Jan 2019 5:50 AM GMT

गोंडा। मुर्गिंयों के बाड़े का उचित प्रंबधन और नियमित टीकाकरण कराकर आज अनूप सिंह मुर्गी पालन व्यवसाय से अच्छी कमाई कर रहे हैं। इस व्यवसाय से आज पूरे गाँव में उनकी अलग पहचान बनी हुई। अनूप को देखकर गाँव के आस-पास के लोगों ने भी मुर्गी पालन की शुरूआत की है।
गोंडा जिले के केशवपुर पहाड़वा गाँव मे दो वर्ष पहले अनूप ने ब्रायलर मुर्गी पालन शुरू किया था। अनूप बताते हैं, ''2500 स्क्वायर फीट में हमारा फार्म बना हुआ है और इसमें करीब 2200 पक्षी हैं। इनको बीमारी न हो इसके लिए काफी ध्यान रखते हैं अगर एक पक्षी बीमार है तो सारी मर जाती है।'' भारत में पोल्ट्री व्यवसाय बहुत तेज़ी के साथ बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश में कुक्कुट पालन व्यवसाय की विकास की दर लगभग 30 प्रतिशत है। बहुत कम लागत से शुरू होने वाला यह व्यवसाय लाखों-करोड़ों का मुनाफा देता है।
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अपने फार्म में रोगों को फैलने से रोकने के लिए उचित प्रबंधन, टीकाकरण के साथ साथ अनूप बायोसिक्योरिटी को भी अपना रखे हैं। बायोसिक्योरिटी यानी जैव सुरक्षा। बायोसिक्योरिटी का इस्तेमाल ज्यादातर संगठित पोल्ट्री करती है लेकिन धीरे-धीरे ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे पशुपालकों में भी इसकी जागरूकता बढ़ रही है।
बायोसिक्योरिटी के बारे में अनूप बताते हैं, ''बाहर से आने वाले लोगों को फार्म में जाने नहीं देते है जिससे बीमारी न फैले। इसके अलावा फार्म का वैक्सीनेशन रिकार्ड, सुबह शाम बाड़े की साफ-सफाई, मुर्गियों के फीडर को भी दिन में एक बार साफ किया जाता है।''
मुर्गियों के टीकाकरण के बारे में अनूप बताते हैं, ''मुर्गिंयों में टीकाकरण बहुत जरूरी होता है इसलिए चूजों को फार्म में लाने के चार से छह दिन पर रानीखेत का टीका लगवाते हैं 12 से 14 दिन पर गंबोरो का टीका लगवाते है। इसमे हेस्टर के सहयोगी हमारी मदद भी करते हैं।'' सही प्रंबधन से अनूप ने अपने पोल्ट्री व्यवसाय को नया रूप दिया है साथ अन्य लोगों के लिए उदाहारण भी है।''
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