अब बेटी भी होगी संपत्ति की उत्तराधिकारी, कोई भी खरीद सकेगा दलित की ज़मीन

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अब बेटी भी होगी संपत्ति की उत्तराधिकारी, कोई भी खरीद सकेगा दलित की ज़मीनगाँव कनेक्शन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता (संशोधन) अध्यादेश - 2015 को मंजूरी दे दी है। इस अनुमति के बाद अब दलित बिना किसी सरकारी मंजूरी के अपनी जमीन बेच सकेंगे। इस संशोधन की वजह से न सिर्फ दलित समुदाय के लोगों को बड़ी राहत मिली है, बल्कि अब राजस्व मुद्दों से जुड़े विवाद भी आसानी से हल हो सकेंगे।

दलित किसी को भी बेच सकेंगे अपनी जमीन 

राजस्व संहिता संसोधन के बाद दलित अपनी जमीन किसी को भी बेच सकेंगे इसके साथ कुछ शर्ते जुड़ी हैं जिलाधिकारी से इजाजत लेने की व्यवस्था अब भी कायम है जिलाधिकारी तीन परिस्थितियों में ही गैर दलित को जमीन बेचने की इजाजत दे सकेंगे मसलन, प्रथम श्रेणी के उत्तराधिकारी यानी पत्नी, बेटा या अविवाहित बेटी नहीं है, वह जिले से बाहर या किसी अन्य प्रदेश में बस गया हो या फिर उसे असाध्य बीमारी हो 1.26 हेक्टेयर से कम जमीन होने पर डीएम जमीन बेचने की अब भी इजाजत नहीं दे सकेंगे दलितों के पास सीमित जमीन होने की वजह से उनको गैर एससी-एसटी वर्ग के लोगों को बेचने का अधिकार देने का प्रस्ताव राजस्व संहिता का सबसे संवेदनशील प्रावधान बन गया था

पट्टेदारों को मिलेगा मालिकाना हक

पट्टेदारो को अब मालिकाना हक़ मिलेगा इसके लिए राजस्व संहिता में लोक प्रयोजन की भूमि छोड़कर अन्य पर खतौनी की श्रेणी-3 में दर्ज और मौके पर काबिज असामियों को असंक्रमणीय अधिकार देने की व्यवस्था की गयी है असंक्रमणीय का मतलब पट्टेदार को ज़मीन का मालिकाना हक़ मिल तो जाएगा लेकिन वह उसे बेच या उसका वसीयत नही कर सकेगा न ही दान या बंधक रख सकेगा दरअसल उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 लागू होने पर तमाम ऐसे काश्तकारों के नाम असामी श्रेणी-3 में दर्ज़ कर दिए गए, जिन्हें सीरदार के रूप में दर्ज़ किया जाना चाहिए था इससे वे जमीन उनके कब्जे में तो होती लेकिन वे मालिकाना हक़ नही रखते थे  

अविवाहित बेटी भी उत्तराधिकारी 

महिला सशक्तिकरण की तरफ एक अहम कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने राजस्व संहिता में अविवाहित बेटियों को प्रथम श्रेणी का उत्तराधिकारी बनाने का फैसला किया है धारा 108 में यह संसोधन कर यह प्रावधान किया गया है कि अविवाहित बेटी को पुत्र व बेटी के साथ प्रथम श्रेणी का उत्तराधिकारी माना जाएगा

पत्नी को भी मिलेगा पट्टे में हक 

मौजूदा व्यवस्था में सरकार यदि किसी शादीशुदा व्यक्ति को पट्टा देती है तो उसमें पत्नी का नाम नहीं होता है संहिता की धारा 64 व 127 में प्रावधान है कि यदि कोई ज़मीन किसी शादीशुदा व्यक्ति को आवंटित की जाती है और उसकी पत्नी जीवित है तो पत्नी को भी पति के बराबर पट्टे में हक़ मिलेगा

बकायेदारों को मिलेगी राहत

बैंक व ऋण देने वाली संस्थाए अभी तक बकायेदारों को ज़्यादा बकाया होने पर आरसी जारी करके गिरफ्तार करवा देते थे। अब राजस्व संहिता 171 के आ जाने से अगर आपकी बकाया राशि 50,000 से कम है तो आपकी की गिरफ्तारी नहीं हो सकती है।

सहखातेदारों की भी होगी खतौनी में जगह

अभी तक खतौनी पर सहखातेदारों का नाम नहीं होता था, इससे ज़मीन का हकदार अपने हिस्से से ज़्यादा ज़मीन बेच देता था। राजस्व संहिता 31 में अब हर खतौनी पर सभीखातेदारों के नाम शामिल किए जांएगे, जिससे सभी लोगों को बराबर हिस्सा मिल सके और ज़मीनी धोखाधड़ी कम हो।

डीएम के आदेश का पालन नहीं किया तो देना पड़ेगा जुर्माना

अभी तक काश्तकारों को डीएम के आदेश के बिना वसूली करने पर एक माह की जेल होती थी, वहीं अब राजस्व संहिता में यह प्रावधान खत्म कर दिया गया है। संशोधित प्रावधान में आदेश के पालन ना होने पर संबंधित डीएम काश्तकार पर प्रतिदिन 250 रुपए से 2500 रुपए का जुर्माना लगा सकता है।

खेती नहीं तो पट्टे पर दी जा सकती है ज़मीन

ऐसे काश्तकार जो खेती करने में असक्षम हैं, वो अब अपनी ज़मीन एक निश्चत समय के लिए पट्टे पर दे सकते हैं। अभी तक ऐसा नहीं होता था।

सीमा से अधिक क्षेत्र की ज़मीन नहीं खरीद सकेंगी कंपनियां

नए संशोधन की मदद से अब कोई भी कंपनी सरकार की इजाज़त के बिना 5.0586 हेक्टेयर से अधिक ज़मीन नहीं खरीद सकती है। पहले यह प्रावधान सिर्फ एक व्यक्ति के लिये था, जिसे आप ओद्योगिक इकाईयों पर भी लागू कर दिया गया है। 

शपथपत्र से सुलझेंगे मामले

राजस्व मुद्दों से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर अब शपथपत्र के आधार पर केस हल किये जा सकेंगे। इस संशोधन की मदद से अब उपजिलाधिकारी फर्जी दस्तावेजों को सरकारी कार्यवाही में खारिज  कर सकेगा।

व्यथा निवारण समिति से निपट सकेंगे ग्रामीण मामले

सरकार ने ग्रामीण मुद्दों के निपटारे के लिए पंचायत स्तर पर एक व्यथा निवारण समिति बनाने का फैसला किया है। इस समिति की मदद से आपसी सुलह करवाकर ग्रामीण मामलों का निपटारा किया जा सकेगा।

 

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