आप पर भी पड़ेगा केरल में आए बाढ़ का असर, दोगुनी तक हुई मसालों की कीमत

Mithilesh DharMithilesh Dhar   30 Aug 2018 5:35 AM GMT

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Kerala Farmers

लखनऊ। भगवान की जमीन कहे जाने वाले केरल में कुदरत ने जो कहर बरपाया है उसका असर पूरे देश पर पड़ने वाला है। बाढ़ ने भले ही एक ही राज्य में तबाही मचायी हो लेकिन इसकी चपेट में देश का हर नागरिक होगा, फिर चाहे वो खास हो या आम। पहले से ही महंगाई की चक्की में पिस रहे आम लोगों की मुश्किलें और बढ़ेंगी। इस बाढ़ के कारण मसाला और कॉफी की फसलें बर्बाद हो गयी हैं, देश में इन दोनों का उत्पादन सबसे ज्यादा केरल में ही होता है।

बाढ़ के कारण मसाला और कॉफी के उत्पादन में भारी गिरावट की आशंका जतायी जा रही है। बाजार में इसका असर अभी से दिखने लगा है। मसाला की कीमतें दोगुनी तक बढ़ गयी हैं। वहीं धान और केला की फसलें भी क्षतिग्रस्त हुई हैं। आम लोगों पर इसका असर नयी फसल आ जाने तक रहेगा।


नयी दिल्ली में सोमवार को कृषि सचिव शोभना पटनायक ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया "केरल में करीब 45000 हेक्टेयर में कृषि फसल खराब हुई है। हमें भी इस तरह की रिपोर्ट मिली है। केरल में 20,000 हेक्टेयर में धान की फसल नष्ट हुई है। गन्ने की फसल को भी भारी नुकसान पहुंचा है। 2,000 हेक्टेयर में इलायची जैसे मसालों की फसल प्रभावित हुई है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार केरल में पिछले सप्ताह तक धान की बुवाई 57,000 हेक्टेयर में हुई थी, जो एक साल की समान अवधि के 62,000 हेक्टेयर से कम है।"

मसालों की कीमतें अभी से बढ़ीं

भारी बारिश और बाढ़ के कारण मसालों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। इसी कारण इनकी कीमतों में अभी से तेजी देखी जा रही है। दिल्ली के थोक मसाला बाजार में पिछले दिनों छोटी इलायची कलर रोबिन 1,300 रुपए प्रति किलो से ऊंचे भाव पर बिकने लगी थी और छोटी इलायची 8एमएम का दाम 1,600 रुपए प्रति किलो हो गया था।

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इस बारे में थोक मसाला कारोबारी भरत गुप्ता कहते हैं "हालांकि मांग कमजोर रहने से ऊपरी स्तर से भाव थोड़ा फिसला है, लेकिन अब भी सीजन के औसत कीमतों के मुकाबले इलायची का भाव काफी ऊंचा है। इलायची की फसल तबाह होने से आने वाले दिनों में आपूर्ति में कमी होने की उम्मीदों से इसकी कीमतों में जोरदार तेजी आयी है, अन्य मसालों की भी कीमतें बढ़ी हैं।"

करीब 15 दिन पहले खारी बावली में काली मिर्च का भाव करीब 450 रुपए प्रति किलोग्राम था, जो बढ़कर 550 रुपए से ऊपर पहुंच गया। जायफल 700-800 रुपए से बढ़कर 800-1000 रुपए प्रति किलोग्राम और जावित्री का भाव 1000-1200 रुपए से बढ़कर 1800-2000 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंचा है। दिल्ली के चांदनी चौक के पास स्थित खारी बावली देश के सबसे बड़े मसाला और किराना बाजारों में से एक है।


देश में इलायची के कुल उत्पादन में केरल का योगदान 70 फीसदी है। इसके बाद दूसरे स्थान पर तमिलनाडु है जिसका योगदान 20 फीसदी है। दूसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, वर्ष 2017-18 में देश में इलायची का कुल उत्पादन 27,000 टन था।

काला सोना कही जाने वाली कालीमिर्च की कीमतें बढ़कर 405 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई हैं, जो केरल में आठ अगस्त को भारी बारिश शुरू होने के दिन 305 रुपए प्रति किलोग्राम थीं।

दिल्ली के मसाला व्यापारी कुंदन गौतम बताते हैं "मसालों की आवक बहुत घट गयी है जिस कारण इसकी कीमतों में 30 से 50 फीसदी तक बढ़ोतरी हो गयी है। इनके दाम आगे बढ़ते ही जाएंगे क्योंकि मसालों की प्रयोग हर कोई करता है। केरल के कारण पूरे देश के रसोई का बजट बिगड़ेगा।"

महंगा पड़ेगा कॉफी का शौक

केरल के कोडागू जिले के करीब 45000 उत्पादक देश का 40 फीसदी कॉफी उत्पादन करते हैं। इसके बाद कर्नाटक के पश्चिमि घाट स्थित चिकमंगलुरु और हासन इलाके में देश का 70 फीसदी कॉफी उत्पादन होता है। लेकिन बाढ़ के कारण यहां की 60 फीसदी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं।

कॉफी बोर्ड के अध्यक्ष एमएस बोजे गौड़ा बताते हैं "भारी बारिश और बाढ़ के कारण केरल और तमिलनाडु की 60 फीसदी से ज्यादा कॉफी की फसलें बर्बाद हो गयी हैं। किसानों को लगभग 675 करोड़ का नुकसान हुआ है।"

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वहीं कॉफी एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष रमेश राजा कहते हैं "इस साल हमें बेहतर उत्पादन की उम्मीद थी लेकिन कुदरत ने हमारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उत्पादन में लगभग 20 फीसदी तक गिरावट आयेगी जिस कारण कॉफी की कीमतें भी बढ़ेंगी।"

भारत के कॉफी बोर्ड के अनुसार, भारत विश्व का छठा सबसे बड़ा कॉफी उत्पादक है। भारत ने 2017-18 के विपणन वर्ष 3,16,000 टन कॉफी का उत्पादन किया। इसमें 2,21,000 टन रोबोस्टा और 95,000 टन अरेबिका रही।


दूध उत्पादन में भी भारी गिरावट

केरल में दूध की भी भारी किल्लत हो गयी है। केरला कोऑपरेटिव मिल्क फेडरेशन लिमिटेड के चेयरमैन पीटी गोपाल कुरुप बताते हैं "केरल में बाढ़ के कारण बहुत से दुधारू मवेशी बह गये हैं। जो बचे हैं उनके खाने के लिए चारा ही नहीं बचा है। दूध का उत्पादन प्रतिदिन दो से ढाई लाख लीटर कम हो रहा है। पशुपालकों को लगभग 110 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। लेकिन उत्पादन में भारी कमी आयी है।"

फेडरेशन प्रतिदिन 13 लाख लीटर दूध खरीदता है। लेकिन अब इसमें कमी आ रही है। और जिस स्तर का नुकसान हुआ है उसे देखते हुए तो नहीं लग रहा कि इस परेशानी से जल्दी निजात मिलने वाली है।


      

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