सीड हब बनाने से खत्म हो सकती है दलहन की समस्या 

Update: 2017-12-26 12:46 GMT

अरहर, उड़द, मूंग जैसी दलहन का होगा उत्पादन

प्रदेश में अब किसानों को दलहन के बीज खरीदने और दाल बेचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा, बदायूं जिले में दलहन सीड हब बनाया जा रहा है, जहां दलहन प्रोसेसिंग यूनिट भी लगायी जाएगी।

सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ और भारतीय अनुसंधान संस्थान ने मिलकर दलहन को बढ़ावा देने के कार्यक्रम शुरू किया गया है। कृषि मंत्रालय ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर बदायूं को दलहन का बीज उत्पादन केंद्र बनाने के लिए चयन किया है। इस बीज उत्पादन की जिम्मेदारी कृषि विज्ञान केंद्र को दी गयी है।

ये भी पढ़ें: दलहन किसानों को राहत : इस वर्ष भी थोक बाज़ारों में नहीं कम होंगे दालों के दाम

भारत में उन्नत बीजों के संरक्षण और उनके विकास के लिए केंद्र सरकार ने भारत के प्रमुख दलहन उत्पादन करने वाले राज्यों में सीड हब स्थापित कर रही है। इन केंद्रों की मदद से जहां एक तरफ राज्यों में किसानों को खेती के लिए उन्नत बीज उप्लब्ध होंगे, वहीं तेज़ी से बढ़ रहे दलहन के दामों पर भी काबू पाया जा सकेगा। बदायूं के साथ ही देश के प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों के राज्य कृषि विश्वविद्यालयों, परिषद के संस्थानों और कृषि वैज्ञानिक केन्द्रों में सीड-हब खोले जा रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत प्रति वर्ष 1.50 लाख कुंतल अतिरिक्त बीज उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है।

पश्चिमी यूपी में दलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए दलहन की प्रोसेसिंग यूनिट लगायी जाएगी, इनमें खरीफ, रबी व जायद तीनों सीजन की उड़द, मूंग, मटर, मसूर व अरहर की प्रोसेसिंग यूनिट लगायी जाएगी।
डॉ. आरपी सिंह, प्रमुख वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केन्द्र बदायूं

बदायूं जिले में किसान गन्ने व आलू की खेती बड़ी मात्रा में करते हैं, दलहन का रकबा बढ़ाने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र पिछले कई वर्षों से जिले में किसानों को उन्न्त किस्म का बीज उपलब्ध करा रहा है। डॉ. आरपी सिंह ने बताया, “पिछले वर्ष हमने बदायूं जिले में लगभग 90 हेक्टेयर में दलहन की खेती करायी गई थी, जिसमें मसूर, मटर, उड़द और मूंग के बीज किसानों को दिए गए थे।”

ये भी देखिए-

Full View

ये भी पढ़ें: समस्या: उत्तर भारत के खेतों से दूर हो रही दलहन की खेती

भारतीय दलहन अनुसन्धान संस्थान (आईआईपीआर) की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में दाल आपूर्ति के लिए विदेशों से पांच लाख टन दालों का आयात किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से तंजानिया, आस्ट्रेलिया, म्यांमार और कनाडा जैसे देशों से आयात होता है। विदेशों से चना, मटर, उरद, मूंग व अरहर, दालें आयातित की जाती हैं। देश में प्रतिवर्ष दाल की मांग 220 लाख टन है।

दालें।

दलहन की बुवाई के लिए बीज कृषि विज्ञान केन्द्र की तरफ से दिया जाएगा, फसल बुवाई से पहले मिट्टी की जांच भी की जाएगी, जिन तत्वों की मिट्टी में कमी होती है, उन तत्वों को पूरा कराने के बाद ही बुवार्ई करार्ई जाती है। फसल की लगातार कृषि विज्ञान केंद्र निगरानी करता है।

ये भीी पढ़ें: इस बार पूरे देश में जमकर हुई है दलहन की बुआई, फिर क्यों विदेशों से मगंवाई जा रही है दाल ?

“हम किसानों से दलहन खरीद लेंगे और प्रोसेसिंग करके के बीज तैयार किया जाएगा। इसके बाद पैकिंग कर बीज को किसानों को दिया जाएगा। बदायू बनने वाले दलहन सीड हब की मॉनीटरिंग सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय व भारतीय अनुसंधान परिषद करेगा।” डॉ. आरपी सिंह ने आगे बताया।

Similar News