जीएसटी सराहनीय, लेकिन लागू करने का तरीका कैसा होगा

Update: 2017-06-08 09:00 GMT
जीएसटी के बाद हर प्रान्त का अपना-अपना बिक्री कर या दूसरे टैक्स एक समान हो जाएंगे

गुड्स एंड सर्विस टैक्स या वैल्यू ऐडेड टैक्स आने के बाद एक प्रकार से टैक्स का समाजवाद आ जाएगा। हर प्रान्त का अपना-अपना बिक्री कर या दूसरे टैक्स एक समान हो जाएंगे, एक बार टैक्स लगेगा और मुद्रास्फीति पर काबू पाया जा सकेगा। इसके लाभ भी होंगे और कुछ हानि भी। इसमें समान कर की दर 18 प्रतिशत रखी गई है, किसी प्रान्त में जिन चीजों की दरें इससे कम हैं, वहां कुछ महंगाई आएगी और जहां पर वर्तमान में इससे अधिक कर की दरें हैं, वहां लाभ मिलेगा। यह जटिल प्रक्रिया है और यदि जटिल न होती तो इतनी दशाब्दियां न बीततीं, इस पर सहमति बनने में।

अभी किसान की निर्भरता है स्थानीय मार्केट पर, लेकिन जीएसटी आने के बाद नेशनल मार्केट की उपलब्धता रहेगी उसको। अभी किसान जो पैदा करता है, उसे स्थानीय बाजार में बेचना होता है। नासिक का किसान प्याज पैदा करता है, बिचौलिया स्थानीय मार्केट से खरीद कर दिल्ली तक पहुंचाता है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आलू और गन्ना बड़ी मात्रा में पैदा होता है, लेकिन किसान लोकल मंडी में उपलब्ध भाव से बेचता है। यही हाल गुजरात के जीरा और आसाम की अदरक का है। बाहुल्य की जगहों से कमी की जगहों को पहुंचाने का कृषि व्यापारी के पास सरल और सस्ता उपाय नहीं है।

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कुछ दशक पहले कोई उत्पाद जब एक जिले से दूसरे जिले को ले जाना होता था तो नाका चुंगी पड़ती थी। बड़ी राहत हुई थी लोगों को जब चुंगी नाका समाप्त हुए। अब भी एक प्रान्त से दूसरे प्रान्त को सामान ले जाने के लिए ऑक्ट्राय देना पड़ता है। पहली जुलाई के बाद व्यापारी का सामान एक प्रान्त से दूसरे प्रान्त में आसानी से जा सकेगा, लेकिन क्या छोटा किसान इसका लाभ उठा पाएगा? यदि नहीं तो अब का बिचौलिया और तब का आढ़ती या माल वाहक एक ही भूमिका में आ जाएंगे। वैसे अभी तक पूरी प्रक्रिया स्पष्ट नहीं है।

व्यापारी को तकलीफ़ चुंगी की रकम से कम चुंगी वसूल करने वाले सिपाहियों से अधिक होती थी। कभी-कभी माल वाहकों को इतनी देर रोका जाता था कि व्यापारी दुखी हो जाता था। माल ढुलाई में बाधाओं के कारण और बेहतर भाव की आशा में व्यापारी जखीरेबाजी करते थे और कृत्रिम अभाव पैदा करते थे, अब शायद जखीरेबाजी पर अंकुश लगे। एक प्रान्त में टैक्स दे चुके हैं तो दूसरे प्रान्त में डबल टैक्सेशन नहीं होगा।

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अलग-अलग प्रान्तों में सेवा कर अलग-अलग है, लेकिन जीएसटी के बाद यह एक समान हो जाएगा। बैंकों ने अपने ग्राहकों को आगाह करना आरम्भ कर दिया है कि सेवा कर 15 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत हो जाएगा पहली जुलाई से। इससे किसान भी प्रभावित होगा और व्यापारी भी क्योंकि बैंक से पाला तो सभी का पड़ेगा। एक और घाटे का सौदा किसान के लिए कहा जा रहा है कि उर्वरकों के दाम महंगे हो जाएंगे। अभी तो हम बेहतर भविष्य की आशा में इंतजार ही कर सकते हैं।

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