आपके मवेशियों में है ये लक्षण तो लम्पी रोग हो सकता है तुरंत करें ये उपाय

आपकी गाय भी अगर दूध कम दे रही है या उसका वजन कम हो रहा है तो हो सकता है वो लम्पी रोग से पीड़ित हो। ये चर्म रोग है जो समय रहते ठीक किया जा सकता है।

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लम्पी एक विषाणुजनित चर्म रोग है इसमें पशु को तेज बुखार, आँख नाक से पानी गिरना,पैरो में सूजन,कठोर और चपटी गांठ से शरीर का ढक जाना या साँस लेने में दिक्क्त हो सकती है। पशुओं में नेक्रोटिक घाव, जठरांत्र का होना, गर्भपात या दूध कम होना लम्पी बीमारी के लक्षण हैं। पशु चिकित्सकों के मुताबिक गोवंश में इस बीमारी के लक्षण दिखते ही तुरंत इसका इलाज कराना चाहिए।

लम्पी बीमारी से सबसे ज़्यादा उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और अंडमान निकोबार जैसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रभावित होते रहे हैं। पिछले साल इस बीमारी के प्रकोप के कारण डेयरी किसानों को काफी संकट का सामना करना पड़ा था।

रोग होने पर तुरंत ये करें

जैसे ही आपको अपने पशु में इस रोग के लक्षण नज़र आए करीब के पशु चिकित्सा अधिकारी को दिखाएँ। ऐसा होते ही अपने स्वस्थ पशुओं को बीमार पशु से अलग कर दें। इससे दूसरे पशुओं में इसके फैलने की संभावना कम हो जाएगी। कोशिश करें लम्पी रोग वाले पशु को उसकी जगह पर ही खाने पीने का इंतज़ाम हो। उसे कहीं इधर उधर घूमने के लिए खुला न छोड़े। पीने को हमेशा साफ़ पानी दें । ऐसे पशु का दूध हमेशा उबाल कर पीयें।

ऐसे समय में इस बात का भी ध्यान रखना होगा कि मच्छर या मक्खी आपके बीमार पशु के आस पास न हो। किलनी को भी दूर रखना होगा। बेहतर है कीटनाशक का उपयोग करें।

पशु बाड़े, गोशाला, पशु खलिहान में फिनायल या सोडियम हाइपोक्लोराइड का छिड़काव करें। सबसे ज़रूरी बात, बीमार पशुओं की देखभाल करने वाले दूसरे पशुओं से कुछ दूर ही रहें।

रोग प्रकोप के समय क्या नहीं करें

अपने पशुओं को सामूहिक रूप से चराहगार के लिए नहीं भेजें। पशु मेला और प्रदर्शनी में पशुओं को न भेजें। पशु की मृत्यु होने पर शव को खुले में बिल्कुल नहीं फेकें। वैज्ञानिक तरीके से गहरे गड्ढे में दफनाएं। बीमार और स्वस्थ पशु को एक साथ चारा नहीं दें। अगर किसी क्षेत्र में लम्पी बीमारी होने की आपको जानकारी है तो वहाँ से पशु खरीद कर नहीं लाएं। रोगी पशु का दूध बछड़े को न पिलाएँ।

उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग ने 31 अक्टूबर तक इस बीमारी से प्रभावित जनपदों के गो-आश्रय स्थलों में किसी नए गोवंश के आने पर रोक लगा दी है। सीमावर्ती राज्यों और नेपाल के उत्तर प्रदेश से जुड़े सभी बॉडर से गोवंश के प्रवेश पर रोक है। सरकार ने इस बीमारी से जुड़ी किसी तरह की जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 1800 180 5141 जारी किया है। इसके अलावा किसान भाई (0522) 2740992 या 7307669041 पर फोन कर जानकारी ले सकते हैं।

किस देश से आई है लम्पी बीमारी

भारत में इस बीमारी को पाकिस्तान के रास्ते आया माना जाता है। हालाँकि ये बात साफ़ है कि इसकी शुरुआत अफ्रीका से हुई। इसका पहला केस अफ्रीका में 1929 में सामने आया था।

एमएसडी मैन्युअल (वेटरनरी) की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1970 के दशक में यह महाद्वीप के जरिये उत्तर-पश्चिम में उप-सहारा पश्चिमी अफ्रीका तक फैला। साल 2000 के बाद ये मध्य पूर्व के कई देशों में आया और 2013 में तुर्की और बाल्कन (अल्बानिया, यूनान, बुल्गारिया, यूगोस्लाविया और रोमानिया के कुछ भाग को बॉल्कन प्रायद्वीप कहा जाता है।) देशों में कहर बरपाने के बाद जॉर्जिया, रूस, बांग्लादेश और चीन में पहली बार गांठदार त्वचा रोग के फैलने की खबर मिली थी।

lumpy skin disease 

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