उत्तर भारत का पहला मल्टी स्पेशिलिटी पशु चिकित्सालय, तस्वीरों में देखें इसकी खासियतें

Diti Bajpai | Jun 14, 2018, 12:07 IST
इस अस्पताल में बड़े और छोटे जानवरों के लिए अलग-अलग ऑपरेशन थिएटर, माइनर ओटी, प्रसव कक्ष, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, जांच प्रयोगशाला, एंडोस्कोपी, डायलिसिस यूनिट और सेमिनार रूम उपलब्ध है।
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इज्जतनगर(बरेली)। जानवरों को बेहतर इलाज मिल सके, इसके लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान (आईवीआरआई) ने अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त सुपर स्पेशलियटी अस्पताल तैयार करवाया है। इस अस्पताल में जानवरों की कई बीमारियों का इलाज आधुनिक मशीनों की सुविधा से किया जा सकेगा।

"जानवरों में अब तरह-तरह की बीमारियां हो रही हैं, इन बीमारियों का सही इलाज मिल सके। इसके लिए मल्टी स्पेशलियटी पशु चिकित्सालय तैयार किया गया है। अब छोटे-बड़े पशुओं का अल्ट्रासाउंड करके एक अच्छी डायलिसिस कर सकते हैं। इसके अलावा जानवरों के दांतों और आंख की जांच करके सर्जरी की जा सकती है।" आईवीआरआई के प्रधान वैज्ञानिक एवं मल्टी स्पेशलियटी अस्पताल के प्रभारी डॉ. अमर पाल ने बताया।

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उत्तर भारत का यह पहला मल्टी स्पेशलियटी पशु चिकित्सालय है, जिसे करोड़ों रुपए की लागत से तैयार किया गया है। इस अस्पताल में बड़े और छोटे जानवरों के लिए अलग-अलग ऑपरेशन थिएटर, माइनर ओटी, प्रसव कक्ष, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, जांच प्रयोगशाला, एंडोस्कोपी, डायलिसिस यूनिट और सेमिनार रूम उपलब्ध है। साथ ही इस अस्पताल में आईसीयू की भी सुविधा है, जिसमें ऑपरेशन के बाद जानवरों को रखा जा सकेगा। इस अस्पताल के लिए आईवीआरआई ने देश का पहला वेटनरी माड्यूलर ऑपरेशन थिएटर भी तैयार किया है।

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बरेली जिले के भोजीपुरा ब्लॉक से आए बशीर खां पिछले एक महीने से अपने बकरे का इलाज करा रहे हैं। बशीर बताते हैं, "पिछले एक महीने पहले हमारे बकरे के ऊपर एक लड़के ने बाइक चढ़ा दी थी। पास के डॉक्टर ने बोला कि ये ठीक नहीं हो सकता है। फिर उसको इलाज के लिए आईवीआरआई लाए। अब इसका प्लास्टर कटेगा और ये आज से चल सकता है।" बशीर कई वर्षों से बकरी पालन कर रहे हैं। उनके परिवार का खर्चा इसी व्यवसाय से चलता है। बशीर की तरह दूर-दूर से पशुपालक अपने जानवरों का इलाज कराने के लिए इस अस्पताल में आते हैं।

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"वर्ष 1996 में इस रेफरल पॉलीक्लीनिक (पशु चिकित्सालय) की शुरुआत हुई थी। तब से इसको बेहतर बनाने का प्रयास चल रहा है। समय-समय पर नई तकनीकों को ला रहे हैं, जिससे जानवरों का इलाज हो सके। इस अस्पताल में उत्तर प्रदेश ही नहीं, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड से आने वाले जानवरों का इलाज और बेहतर तरीके से हो सकेगा।" डॉ. अमरपाल ने बताया।

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मल्टी स्पेशिलिटी पशु चिकित्सालय को बनाने का काम वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। इस अस्पताल की दीवारों में एंटी बैक्टीरियल कोटिंग की गई, साथ ही दीवारों के ऊपर मेटल की शीट लगाकर इसको कोनों से मुक्त कर दिया गया है। जमीन पर भी विनायल और मेटल शीट लगाई गई हैं। इसमें प्रवेश करने से पहले डॉक्टर को इंफेक्शन फ्री किया जाएगा।

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बिना चीरा लगाए होगी जांच

जहां पहले जानवरों के भीतरी अंगों की जांच नहीं हो पाती थी, वहीं अब एंडोस्कोपी की मदद से पशुओं के भीतरी अंगों की जांच हो सकेगी। इससे पशुओं को चीरा लगाने की भी आवश्यकता नहीं होगी।

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पशु मालिकों के रुकने की भी सुविधा

दिल्ली, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों से पशु मालिक अपने जानवरों का इलाज कराने के लिए आते है। उनको सुविधा देने के लिए अस्पताल में रूम भी तैयार किया गया है, जहां वो तब तक रुक सकेंगे, जब तक उनके पशुओं का इलाज हो रहा है।

अत्याधुनिक लेबोरेटी का भी निर्माण

जानवरों के खून, पेशाब समेत कई जांच के लिए अत्याधुनिक लेबोरेटी का निर्माण कराया जा रहा है। "जानवरों की कई बीमारियों में खून और पेशाब की जांच करने के बाद ही उनका इलाज किया जा सकता है। ऐसे इस प्रयोगशाला के खुलने से काफी लाभ होगा। अभी इस पर काम चल रहा है।" डॉ. अमरपाल ने बताया।

हर साल बढ़ रही बीमार जानवरों की संख्या

डॉ. अमरपाल बताते हैं, "हर वर्ष बीमार जानवरों की संख्या 15 से 20 प्रतिशत के हिसाब से बढ़ रही है। पिछले साल 20 हजार से ज्यादा पशुओं का इलाज किया गया है। हम लोगों के पास ज्यादातर रेफर केस आते हैं, जिनका स्थानीय पशु चिकित्सालायों पर इलाज नहीं हो पाता है।"

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