अस्पतालों में पानी को तरस रहे तीमारदार

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अस्पतालों में पानी को तरस रहे तीमारदारGaon Connection

लखनऊ।अस्पताल में गर्मी में पीने का पानी मिलना मुश्किल हो रहा है। सूखे हलक के साथ पानी आने का इंतजार करना पड़ता है। गरीबी हालत में मरीज के इलाज के साथ रोजाना बीस रुपए की पानी की बोतल खरीद पाना भी नामुमकिन है।यह कहना है ट्रामा सेंटर के बाहर अपने पति के ठीक होने का इंतजार कर रही राबरेली निवासी गीता का।

गीता बताती है, “ट्रामा सेंटर के पास लगे हैंडपंप में तो पानी ही नहीं आता, वहीं एक और नल है जहां पानी लेने वालों की लंबी लाइन लगी रहती है। कभी-कभी उस नल में पानी चला भी जाता है। तब मजबूरी में बाहर से पानी खरीद कर पीना पड़ता है।वहीं गोरखपुर निवासी महिला तीमारदार बेबी का कहना है कि पंद्रह दिनों से ट्रामा सेंटर में भाई का ब्रेन का इलाज चल रहा है। बाहर बने रैन बसेरे में रहकर दिन गुजार रहे हैं। जहां ना तो कोई साफ-सफाई की व्यवस्था है और ना ही पीने के पानी की। एक ही नल है जहां कभी पानी आता है तो कभी नही आता।

बेबी ने बताया कि यहां तीमारदार महिलाओं के लिए नहाने-धोने की भी कोई व्यवस्था नही है। पास ही बने सुलभ शौचालय में रोजाना पैसे देकर काम चला रहे हैं। जो कि हम जैसे गरीबों के लिए बहुत ही मुश्किल है।

इसी प्रकार डफरिन अस्पताल में भी मरीजों के साथ आए परिजन ऐसी ही समस्याओं से दो चार हो रहे हैं। बालागंज से आई महिला लक्ष्मी ने बताया कि बेटी को भर्ती कराया है। यहां पीने के पानी की बहुत ज्यादा समस्या है। बाहर गेट के पास जो नल लगा है। वहां पानी ही नही आता। अस्पताल के बाहर बने शौचालयों के पास वाटर कूलर लगा है। वहां सफाईकर्मी कभी सफाई करने आता ही नहीं जिससे वाटर कूलर में कचरा जाम हो जाने से गंदे पानी की निकासी हो नही पाती। तीन दिनों से पानी खरीदकर काम चला रहे हैं। डफरिन अस्पताल की प्रमुख अधीक्षिका मंजुल बहार ने बताया कि अस्पताल में पानी की कमी को दूर करने के लिए डीप बोरिंग का काम चल रहा है।

 

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