अवैध शराब की भट्ठियों पर महिलाओं का हल्ला बोल
दिवेंद्र सिंह 26 May 2016 5:30 AM GMT
घोसी (मऊ)। वो गाँव की अनपढ़ महिलाएं जिनके पति शराब पीकर मार-पीट करते, प्रधान मनरेगा में काम नहीं देते वहीं महिलाएं आज पढ़ लिख कर अपना हक मांगती हैं और समूह बनाकर गाँव की बुराइयों को एकजुट होकर दूर करती हैं।
मऊ ज़िला मुख्यालय से लगभग 22 किमी उत्तर दिशा में घोसी ब्लॉक के गौरीडीह की महिलाओं की जिंदगी कई साल पहले तक इतनी आसान नहीं थी। पढ़ी-लिखी न होने के कारण आए दिन ठगी का शिकार होती। किसी अफसर से बात करने में लज्जाती थी पर आज वो पढ़लिख गईं हैं और गाँव की सबसे बड़ी बुराई शराब की लत को अपने पतियों से छुड़ा दिया।
ऐसा संभव हुआ गाँव में काम करने वाली गैर सरकारी संस्था भगवान मानव कल्याण समिति की वजह से। जिसने गाँव में जाकर इन महिलाओं को पढ़ना व लिखना सिखाया और अपने हक के बारे में जागरूक किया।
संस्था की निदेशक पूनम सिंह बताती हैं, “गाँव की महिलाओं के हालात इतने खराब थे कि कोटेदार अनाज तक नहीं देते थे, पति शराब पीकर घर आते और उनसे मारपीट करते थे।” पूनम आगे बताती हैं कि, “जब मैंने गाँव में जाना शुरू किया और ये महिलाएं पढ़ने लगीं तो कई ग्राम प्रधानों को यह बात पंसद नहीं आई और उन्होंने मुझे भी जान से मारने की धमकी दी।”
आज घोसी ब्लॉक के 72 ग्राम पंचायतों में महिलाओं ने अपने-अपने समूह बना लिए हैं। वो प्रधान से जाकर काम मांग लेती हैं। जिले और ब्लाॅक के अधिकारियों के नंबर उन्हें अब याद हैं। यही नहीं महिलाएं ब्लाॅक और जिला स्तर के सभी काम खुद जाकर ही करती हैं।
घोसी ब्लॉक के गौरीडीह के गाँव के पास में ही चार ईंट भट्ठे हैं, जहां पर झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेशों के मजदूर काम करने आते हैं। इन भट्ठों पर देसी शराब बनती, जहां से शराब पीकर गाँव के पुरुष अपनी पत्नियों के साथ मार-पीट करते थे। कई साल तक ऐसे ही चलता रहा महिलाएं चुप रहती।
एक दिन सैकड़ों की संख्या में महिलाएं ईट भट्ठों पर पहुंच गईं और वहां पर सारी शराब की भट्ठियों को तोड़ दिया। गौरीडीह गाँव में बने महिला समूह सीता-नारी संघ की सदस्य माया देवी (40 वर्ष) बताती हैं, “हम लोग गरीब है, पति मजदूरी करते हैं पर वो जितना कमाते सबकी शराब पी जाते। कई साल तक हम लोग चुप रहे। लेकिन एक दिन हम कई गाँव की महिलाओं के एकसाथ भट्ठे पर पहुंच गए।”
पहले तो महिलाओं के पतियों ने इनका विरोध ही किया, पर अब वो समझ गए हैं।वो आगे कहती हैं, “हमने पुलिस को पहले ही बता दिया था कि हम भट्ठे पर जा रहे हैं। एक बार तो उन्होंने शराब बनानी बंद कर दी, लेकिन कुछ दिनों में फिर शुरू कर दिए, तब हम दोबारा उसे बंद कराने पहुंच गए।” गाँव की महिलाओं के प्रयास से ईंट भट्ठे पर अब शराब बननी बंद हो गयी है।
गाँव की शांति (38 वर्ष) का पति आए दिन शराब पीकर उसे मारता-पीटता था, एक दिन माया देवी अपने साथ की महिलाओं के साथ उसके घर पहुंची और उसे पकड़, उसके खिलाफ घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करा दिया।
गाँव की दुर्गावती (45 वर्ष) कहती हैं, “पहले तो हमें लगता था कि शांति के घर का मामला है, इसलिए हम लोग चुप रहते। जब बात बहुत आगे बढ़ गयी तो हम लोग उसके घर पहुंच गए। अब शांति का पति बाहर मजदूरी करने लगा है और अपने बच्चों के साथ रहती है।”
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