थाई बॉक्सिंग में देश का नाम करना चाहती है गोंड जनजाति की ये लड़की

ओडिशा के आदिवासी समुदाय की 13 साल की एक लड़की थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप में कई पदक जीतकर अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमाल दिखाने की तैयारी में है।आईपीएस अफसर बनने का सपना देखने वाली ये लड़की अपने गाँव और समुदाय के लिए मिसाल बन गई है।

Niroj Ranjan MisraNiroj Ranjan Misra   10 July 2023 8:31 AM GMT

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थाई बॉक्सिंग में देश का नाम करना चाहती है गोंड जनजाति की ये लड़की

ओडिशा के क्योंझर में गोंड समुदाय की अर्ज्या कुमारी इन दिनों मार्शल आर्ट में मशहूर हो रही हैं। आदिवासी समुदाय की अर्ज्या ने न केवल राज्य-स्तरीय खेल प्रतियोगिताओं में पदक जीते हैं, बल्कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भी ओडिशा का नाम रोशन किया है, और अब वो एशियाई चैंपियनशिप और विश्व चैंपियनशिप की तैयारी कर रही हैं।

दयानिशी नायक की अर्ज्या इकलौती संतान हैं, जो एक खनन कंपनी में ड्राइवर के रूप में काम करते हैं। अर्ज्या 2019 से थाई बॉक्सिंग में प्रशिक्षण ले रही हैं। मूल रूप से अंगुल के बड़ा दादर गाँव की रहने वाली अर्ज्या अब क्योंझर के बारबिल में रहकर पढ़ाई और ट्रेनिंग कर रही हैं।

पिछले साल, 2022 में, उन्होंने पंजाब के अमृतसर में 13वीं राष्ट्रीय थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप (एनटीसी) में 32-36 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। इसके बाद उन्होंने 2022 में महाबलेश्वर, महाराष्ट्र में 8वें थाई बॉक्सिंग नेशनल फेडरेशन कप में एक और जीत हासिल की।


अर्ज्या के माता-पिता, जो आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से आते हैं, अपनी बेटी को थाई बॉक्सिंग में विश्व चैंपियन बनते हुए देखना चाहते हैं।

“हम बैठकर उसे सिर्फ घरों में काम करते हुए नहीं देखना चाहते हैं, क्योंकि हमारे समुदाय की कई लड़कियाँ आखिर में दूसरों के घरों में काम करने लगती हैं। इसलिए हमने उसकी प्रतिभा को निखारने के लिए थाई बॉक्सिंग के एक जाने-माने कोच की मदद माँगी और उसकी पढ़ाई में मदद के लिए दो निजी ट्यूटर्स की भी व्यवस्था की है, ''अर्ज्या की माँ सुभाश्री नायक ने गांव कनेक्शन को बताया।

अर्ज्या सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में कक्षा नौ की छात्रा हैं। उनका सपना थाई बॉक्सिंग विश्व चैंपियन और आईपीएस अधिकारी बनना है। वो जानती हैं कि अपने सपनों को साकार करने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी होगी।

“विश्व चैंपियन बनने के लिए, नियमित रूप से अभ्यास करना होगा और अलग अलग तकनीकों को ईमानदारी से सीखना होगा। उसी तरह, आईपीएस अधिकारी बनने के लिए यूपीएससी परीक्षा पास करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। मैं दोनों चीजें मेहनत से करना चाहती हूँ,” युवा थाई बॉक्सिंग चैंपियन ने गाँव कनेक्शन को बताया।

जीत की एक श्रृंखला

अर्ज्या ने 2019 में कोच सचिन महंत से थाई बॉक्सिंग में प्रशिक्षण शुरू किया। 2021 में, उन्होंने 12वें एनटीसी में मापुसा, गोवा में 32-36 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक जीता।

राज्य थाई बॉक्सिंग एसोसिएशन के भुवनेश्वर स्थित अध्यक्ष शुभेंदु सामंतराय ने गाँव कनेक्शन को बताया, "इस आधार पर 12वीं एनटीसी के लिए अर्ज्या सहित लगभग 50 प्रतिभाओं का चयन किया गया था।"

उन्होंने कहा, "पहली ऑल ओडिशा बीजू पटनायक मेमोरियल थाई बॉक्सिंग चैंपियनशिप उस साल के आखिर में अंगुल के तालचेर में आयोजित की गई थी, जहाँ अर्ज्या ने 32-36 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था।"


अगले साल 2022 में, उन्होंने अमृतसर में 13वें एनटीसी में स्वर्ण पदक जीता और महाबलेश्वर में 8वें थाई बॉक्सिंग नेशनल फेडरेशन कप में एक और जीत हासिल की।

थाई बॉक्सिंग को आठ अंगों की कला भी कहा जाता है। इसमें पंच (मुक्का), किक (पैर से हिट करना), कोहनी और घुटने से प्रहार किया जाता है। जबकि पश्चिमी बॉक्सिंग में मुट्ठी का उपयोग किया जाता है।

अर्ज्या ने कराटे में भी परचम लहराया है। उन्होंने 2021 में फेडरेशन कप नेशनल कराटे चैंपियनशिप (सब-जूनियर) रायपुर, छत्तीसगढ़ में रजत और उसी वर्ष 11-13 वर्ष आयु वर्ग में ओडिशा के संबलपुर में 5वीं शोटोकन रयु चिडोकई कराटे-डो स्टेट चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता।

जब अर्ज्या ने 2019 में प्रशिक्षण शुरू किया, तब वह अनिश्चित थी कि क्या वह वास्तव में इसे जारी रखना चाहती हैं। अर्ज्या के साथ अपनी पहली मुलाकात को याद करते हुए, कोच सचिन महंत ने कहा, “वह 20 अन्य बच्चों के साथ अभ्यास के लिए आई और बिना किसी उत्साह के प्रदर्शन किया। मुझे लगा कि वह साथियों के दबाव में कोचिंग आई है, ''कोच महंत हँसे।


“लेकिन अब वह आग का गोला है। वह 5 से 10 वर्ष आयु वर्ग के आठ अन्य बच्चों को बुनियादी बातें सिखाने में मेरी मदद करती हैं,"' महंत, जो महंत मार्शल आर्ट, बारबिल के महासचिव भी हैं, ने गाँव कनेक्शन को बताया।

“अर्ज्या की नज़र अब एशियाई चैम्पियनशिप और विश्व चैम्पियनशिप पर है। लेकिन विश्व चैम्पियनशिप से पहले उन्हें तीन साल और अभ्यास करना होगा, क्योंकि इसके लिए अपनी सहनशक्ति बढ़ानी होगी और अधिक तकनीक सीखनी होगी,'' उन्होंने कहा।

पढ़ाई में भी है आगे

सरस्वती शिशु मंदिर के प्रधान आचार्य दंबरुधर महंत को अपनी छात्रा की उपलब्धियों पर गर्व है। “वह अपनी पढ़ाई और खेल के बीच एक आदर्श संतुलन बनाए रखती है। उसने कक्षा की परीक्षा में लगभग 80 प्रतिशत अंक हासिल किए और साथ ही मार्शल आर्ट में चैंपियनशिप भी जीती,'' उन्होंने गाँव कनेक्शन को बताया।

अर्ज्या ने गाँव कनेक्शन को बताया, "स्कूल से पहले सुबह मेरी अंग्रेजी की ट्यूशन होती है और स्कूल के बाद मैं विज्ञान और गणित की ट्यूशन के लिए जाती हूँ।" वह अपने कोच के साथ प्रशिक्षण लेती है।

अर्ज्या को प्रशिक्षित और स्कूल में रखने के लिए उसके माता-पिता को हर महीने करीब 6,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। अगर उन्हें राज्य से बाहर जाना पड़ता है तो खर्च बढ़ जाता है।


“क्योंकि मार्शल आर्ट को सरकारी मान्यता नहीं मिली है, इसलिए प्रतियोगी विभिन्न चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए ज़रूरी एंट्री फीस सहित सभी खर्च वहन करते हैं। अगर टूर्नामेंट राज्य के अंदर आयोजित किया जाता है, तो एंट्री फीस 500 रुपये से 1,000 रुपये के बीच होती है। अगर यह राज्य के बाहर आयोजित किया जाता है, तो एंट्री फीस 3,000 रुपये से 4,000 रुपये के बीच है ” राज्य थाई बॉक्सिंग एसोसिएशन के अध्यक्ष सामंतराय ने कहा।

यह एक संघर्ष है, अर्ज्या के पिता ने स्वीकार किया, जिनका वेतन लगभग 12,000 रुपये प्रति माह है। “मुझे ओवरटाइम भत्ते के रूप में प्रति घंटे 20 रुपये और दोपहर के भोजन के लिए रोज़ 150 रुपये मिलते हैं। मैं पूरी रकम अपनी बेटी के लिए बचाता हूँ।' आपात स्थिति में, मेरी पत्नी, जो एक स्वयं सहायता समूह की सदस्य हैं, भी एसएचजी (स्वयं सहायता समूह) फंड से 0.5 प्रतिशत ब्याज़ पर उधार लेती है, ''अर्ज्या के पिता ने गाँव कनेक्शन को बताया।

उन्होंने कहा कि उनके गाँव में उनकी कुछ पुश्तैनी जमीन है, जिसे उन्होंने नौकरी की तलाश में 15 साल पहले छोड़ दिया था।“ मेरे पास लगभग तीन एकड़ ज़मीन थी जहाँ मेरे दो भाई आज धान की ख़ेती करते हैं। जब भी मैं अपने गाँव जाता हूँ , वे मुझे कुछ चावल देते हैं जिससे हमारे खाने के लिए कुछ राशन मिल जाता है, ''उन्होंने आगे कहा।

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