विज्ञान दिवस पर पढ़िए कैसे गोंडा की लड़की बनी अमेरिका में वैज्ञानिक 

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विज्ञान दिवस पर पढ़िए कैसे  गोंडा की लड़की बनी अमेरिका में वैज्ञानिक बच्चों के लिए की है साइंस इज फन की शुरूआत

राजेश मिश्रा

मध्यमवर्गीय परिवार में रहने वाली लड़की ने वो मुकाम हासिल किया है, जिसके लिए लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी लोग सिर्फ सपना देख पाते हैं। गोंडा की एक साधारण सी लड़की पेनसिलवेनिया विश्वविद्यालय अमेरिका मे वैज्ञानिक बनी है।

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अनुराधा गुप्ता गोंडा पटेल नगर के छोटे से घर में अपने माता-पिता के साथ रहती हैं। उनके पिता राम सुंदर गुप्ता छोटी सी स्टेशनरी की दुकान चलाते हैं। पिता राम सुंदर गुप्ता बताते हैं, "वो बचपन से ही वैज्ञानिक बनना चाहती थी। कक्षा आठ तक मोहनलाल मेमोरियल स्कूल गोंडा स्कूल मे पढ़ाई की।"

मोहनलाल मेमोरियल स्कूल की प्रबंधक उषा श्रीवास्तव कहती हैं, "अनुराधा बचपन से ही तेज दिमाग की लड़की थी। जो अपने लक्ष्य को पाने के लिए हमेशा उत्साहित रहती थी। कक्षा नौ से बारह तक राजकीय बालिका इंटर कालेज मे पढ़ाई की।”

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बीएससी लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय गोंडा से किया। लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय डिग्री कालेज के गणित प्रोफेसर डॉ. संजय पांडेय ने बताया कि अनुराधा शुरू से ही विज्ञान के प्रति लगाव रखती थी।उ से अपने लक्ष्य को पाने की ललक थी। इसीलिए वो कालेज मे होने वाली विभिन्न विज्ञान गतिविधियों मे हिस्सा लेती थी और विजयी होती थी। एमएससी भौतिक विज्ञान से बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से करने के बाद पीएचडी टाटा इंस्टीट्यूट आफ फंडामेटल रिसर्च सेंटर मुम्बई से किया।और फिर पेनसेलवेनिया स्टेट विश्वविद्यालय अमेरिका मे भौतिकी के गुरूत्वाकर्षण विषय मे वैज्ञानिक बनी।

बच्चों के लिए की है साइंस इज फन की शुरूआत

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डॉ. अनुराधा गुप्ता ने बताया कि बीएससी करते समय एक प्रतियोगिता मे विजयी होने बीएचयू मे एक सप्ताह का भ्रमण और वैज्ञानिकों से मिलने का मौका मिला। उसी के बाद उन्होंने मेहनत शुरू की वैज्ञानिक बनने की। वर्तमान मे वो अमेरिका उन वैज्ञानिको के समूह मे है जो भौतिकी के गुरूत्वाकर्षण मे नोबेल पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं।

कोई भी लक्ष्य बड़ा नहीं

कठोर परिश्रम व सतत प्रयास से काम करने से सफलता मिलने में विश्वास रखने वाली डॉ. अनुराधा गुप्ता का कहना है कि किसी भी मुकाम को हासिल करने में स्वयं की इच्छा शक्ति का होना आवश्यक है साथ ही मार्ग दर्शन एवं सम्बल देने वालों की भी महत्वपूर्ण भूमिका को भी कत्तई नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता और निर्धारित समय पर मिलने वाले मार्गदर्शन के साथ ही प्रबल इच्छा शक्ति जागृत कर सतत प्रयास व कठोर परिश्रम करने वाले व्यक्ति को अपने लक्ष्य तक पहुंचने से कोई नही रोक सकता।

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साइंस इज फन की शुरूआत

खुद मुश्किलों मे पढ़कर आगे बढ़ने वाली डॉ. अनुराधा गुप्ता ने गरीब बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए साइंस इज फन संस्था की शुरुआत कर प्रवेश परीक्षा कराके छात्रवृत्ति प्रदान करती हैं, जिससे उन बच्चों की पढ़ाई जारी रहे और वो बच्चे भी विज्ञान के क्षेत्र मे अपना और अपने देश का नाम रौशन करेंगे।"

     

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