आईवीएफ (IVF) इलाज कब और कैसे होता है? जानें इससे जुड़े क्या हैं नियम

आईवीएफ को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल होते हैं; आखिर इसको लेकर क्या नियम होते हैं और यह तकनीक कितनी कारगर होती है, चलिए जानते हैं।

Manvendra SinghManvendra Singh   22 March 2024 9:58 AM GMT

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आईवीएफ (IVF) इलाज कब और कैसे होता है? जानें इससे जुड़े क्या हैं नियम

पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर आईवीएफ काफी चर्चा में हैं, इस पर बात तब बढ़ी जब पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की मौत के बाद उनकी माँ चरण सिंह कौर 58 साल की उम्र में आईवीएफ की मदद से माँ बनी ।

इसी ख़ुशी को ज़ाहिर करते हुए सिद्धू के पिता बलकौर सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। लेकिन ऐसा करना उनको भारी पड़ गया; क्योंकि केंद्र सरकार ने पंजाब सरकार को एक पत्र लिखा, जिसमें केंद्र सरकार ने चरण कौर की उम्र से लेकर अन्य बातों की डिटेल रिपोर्ट पंजाब सरकार से माँगी है।

चलिए जानते हैं कि आईवीएफ क्या होता है और इसको लेकर क्या नियम है।

हर देश में IVF को लेकर अलग नियम होते हैं, वैसे ही भारत में भी IVF को लेकर एआरटी अधिनियम, 2021 के तहत 21 से 50 साल की महिलाएँ ही इस तकनीक से माँ बन सकती हैं, लेकिन सिद्धू मूसेवाला की माँ चरण कौर की उम्र इससे अधिक है। हालाँकि ART अधिनियम 2021 के अनुसार 50 साल उम्र से ज़्यादा की महिलाएँ भी आईवीएफ की सेवा ले सकती हैं; लेकिन उसके लिए उन्हें विशेष मेडिकल और मेन्टल मापदंडों पर खरा उतरना ज़रूरी होता है।


इस मामले पर सिद्धू के पिता बलकौर सिंह ने अपने सोशल मीडिया पर कहा कि उन्होंने किसी कानून का उल्लंघन नहीं किया है और शासन द्वारा उन्हें परेशान किया जा रहा हैं।

आखिर आईवीएफ क्या होता है और ये तकनीक कितनी कारगर होती है, ऐसे ही कई सवालों के जवाब के लिए गाँव कनेक्शन ने किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की डॉ अंजू अग्रवाल से बात की।

डॉ अंजू अग्रवाल बताती हैं, "आईवीएफ के लिए जो कानून भारत में बनाया गया है वो इसी लिए बनाया गया है; क्योंकि उम्र बढ़ने के साथ माँओं में दिक्कतें बढ़ जाती हैं, कई बार तो उनकी जान जाने का ख़तरा भी रहता है; जैसे कि 50 साल की ऊपर की महिलाओं में ब्लड प्रेशर और मधुमेय होने के आसार ज़्यादा होते हैं और प्रेगनेंसी में इन चीज़ों का बहुत असर पड़ता है।"

वो आगे कहती हैं, "दूसरी बात ये है, अगर आप ज़्यादा उम्र जैसे 50 के ऊपर में गर्भ धारण कर रहे हैं तो उस समय आपका जीवन कम रह जाता है; इस अवस्था में बच्चे के अनाथ होने की सम्भावना बढ़ जाती है; उदाहरण के तौर पर अगर आपने 60 वर्ष की उम्र में बच्चे को जन्म दिया और अगले पाँच साल में आपकी मौत हो गयी तो वो बच्चा 5 साल में अनाथ हो जाएगा फिर उसका ध्यान कौन रखेगा? आईवीएफ का सक्सेस रेट करीब 15 से 20 प्रतिशत रहता है।"

भारत में IVF के क्या नियम हैं?

IVF के लिए महिला की आयु 21 से 50 वर्ष होना अनिवार्य है; वही पुरुषों के लिए आयु सीमा 21 से 55 वर्ष निर्धारित की गयी है।

जोड़ा बांझ होना चाहिए या उनकी कोई सिद्ध चिकित्सीय स्थिति होनी चाहिए जो असुरक्षित सहवास के एक वर्ष के बाद गर्भधारण को रोकती हो।

50 वर्ष की ऊपर की महिला को IVF की सुविधा लेने के लिए विशेष मेडिकल और मेन्टल मापदंडों पर खरा उतरना होता है।

वीर्य दान के लिए पुरुष की उम्र 21 से 55 वर्ष होनी चाहिए।

एग डोनेशन के लिए महिला की उम्र 23 से 35 वर्ष होनी चाहिए और वो शादी शुदा होनी चाहिए; जिसका कम से कम तीन वर्ष की आयु का एक बच्चा होना चाहिए।

महिला आपने पूरे जीवन काल में सिर्फ सात बार ही एग डोनेट कर सकती हैं।

पुरुष द्वारा दान किया हुआ वीर्य का इस्तेमाल एक से ज़्यादा कपल में नहीं हो सकता।

दाताओं के पास बच्चे पर कोई अधिकार नहीं रहता।

एग डोनेशन के बदले महिला कोई भी फीस या पैसे नहीं ले सकती है।


IVF के माध्यम से दुनिया का पहला बच्चा यूनाइटेड किंगडम में जुलाई 25, 1978 को पैदा हुआ था। उसके 67 दिन बाद 3 अक्टूबर साल 1978 को आईवीएफ के माध्यम से दुनिया का दूसरा और भारत का पहला बच्चा दुर्गा का कोलकाता में जन्म हुआ था। भारत में IVF की एक साइकिल का कॉस्ट बाकी देशों के मुकाबले बहुत कम है वहीं भारत में IVF का सक्सेस रेट भी बहुत अच्छा है। भारत में एक IVF साइकिल का औसत खर्च 2 से 2.5 लाख रूपए आता, वहीं अमेरिका में IVF की एक साइकिल का खर्च 10 लाख से ज़्यादा भी आ सकता है।

IVF होता कैसे है?

आईवीएफ करने के लिए सबसे पहले जोड़े की बहुत सी जाँचें की जाती हैं। सभी टेस्ट होने के बाद वीर्य को लैब टेस्टिंग के लिए भेजा जाता है। जहाँ बेकार क्वालिटी के शुक्राणुओं को अलग किया जाता है। उसके बाद महिला के शरीर से अण्डों को इंजेक्शन के माध्यम से बाहर निकाला जाता है। उसके बाद उन्हें फ्रीज़ किया जाता है। इसके बाद इन अंडों को अच्छे क्वालिटी के वीर्य से लैब में स्पेशल तरीके से फर्टिलाइज किया जाता है। इस फर्टिलाइजेशन से जो भ्रूण तैयार होता है उसको कैथिटर की मदद से महिला के गर्भाशय में ट्रांसफर कर दिया जाता है।

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