दवा असली है या नक़ली झट से जान जाएँगे बस अपने फ़ोन से एक स्कैन कीजिए

अब मेडिकल स्टोर से दवाएँ खरीदते समय आप बस एक स्कैन से दवा की पूरी जानकारी जान सकेंगे, इससे नकली दवाओं पर रोक लगेगी।

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

बीमारियों में हम जो दवाएँ खरीदते हैं, हमें पता ही नहीं होता है कि वो असली है या फिर नकली ? लेकिन अब अपने मोबाइल फ़ोन से आप सारी जानकारी हासिल कर सकते हैं।

एक अगस्त 2023 से 300 दवाओं के पर क्यूआर कोड प्रिंट होगा, जिसे स्कैन करके आप पूरी जानकारी पा सकते हैं। क्यूआर कोड से कच्चे माल के सप्लायर से लेकर दवा मैन्युफैक्चरिंग कंपनी को भी ट्रैक किया जा सकेगा। भारतीय औषधि नियंत्रण जनरल (डीसीजीआई) ने फार्मा कंपनियों को नई व्यवस्था का पालन करने का निर्देश दिया है।

दवा कारोबारी गिरिजेश कुमार त्रिपाठी इस बारे में गाँव कनेक्शन से कहते हैं, "इंडियन फार्मास्यूटिकल जितनी भी कंपनियाँ हैं, उनमें पूरी तरह से पारदर्शिता होनी चाहिए। इससे नकली दवाओं पर रोक लगेगी। जो रियल मॉलिक्यूल्स होते हैं जो कंपनियाँ लिख कर देती हैं मेडिसिन बॉक्स पर वो 100 प्रतिशत लिखा होना चाहिए, वो प्रूफ होना चाहिए। क्योंकि ये लाइफ सेविंग चीज है । जो इसे इस्तेमाल करता हैं, शायद उसे इसके बारे में पता नहीं होता है कि वास्तव में इसमें होता क्या है । इसलिए कोई भी व्यक्ति अगर बाज़ार में दवा को खरीद रहा है, तो क्यूआर कोड से जान सकेगा कि दवा असली है या नकली।"


वो आगे बताते हैं, "कोई भी कम्पनी जब नयी दवा बाज़ार में लाती हैं, तो उसका एक बैच नंबर होता है, जितने बैच नंबर कंपनी बनाती है दवा की एंट्री उसी से होती है। बैच नंबर की संख्या क्यूआर कोड से स्कैन करने पर अगर उस दवा से मैच नहीं करेगा, तो इसका मतलब हैं वो दवा नकली है अगर मैच करेगा, तो ज़ाहिर सी बात हैं दवा असली है।"

सिर दर्द, बुखार, या विटामिन, सप्लीमेंट, थायराइड, शुगर बीपी जैसी समस्याओं के लिए मार्केट में आने वाली एलिग्रा, शेल्कल, कालपोल, डोलो और मेफ्टाल जैसी दवाओं पर क्यूआर प्रिंट होगा। पहले ये नियम अनिवार्य नहीं था लेकिन अब दवाओं के बारे में दवा खरीदने वाले को पूरी जानकारी देनी होगी ।

गिरिजेश कुमार त्रिपाठी आगे कहते हैं, "अब लोग जागरूक हो रहे हैं, पहले लोग एक्सपायरी डेट तक नहीं देखते थे, लेकिन अब एक्सपायरी डेट देखने के बाद ही दवा लेते हैं।"

दवाओं का जो मॉलिक्यूल होता हैं, कम्पनी अपने फायदे के अनुसार उनकी कीमत लगाती है, जिससे अपने खर्चों को मैनेज करती हैं। इसमें जेनरिक दवाइयाँ ऐसी होती हैं, जिनकी एमआरपी कम होती हैं जो पेशेंट तक सस्ते दामों तक पहुँचायी जाती हैं। इसके लिए सरकार की तरफ से जन औषधि केंद्र चलाया जाता है, जो बाज़ार की पेटेंट दवाइयों को सस्ते दामों पर उपलब्ध कराया जाता है।


Medicine #drugs 

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.